दिल्ली

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रेत लूटने के लिए बदला यमुना का रास्ता
Posted on 20 Dec, 2009 09:00 AM एक्सपर्टस् कहते हैं कि किसी भरी-पूरी नदी से थोड़ी बहुत रेत निकाली जाए तो ज्यादा समस्या की बात नहीं है
कोप 15 : कोपेनहेगन के कोपभाजन का शिकार कौन होगा?
Posted on 08 Dec, 2009 09:50 AM कोपेनहेगन में दुनियाभर के लगभग सभी देश इकट्ठा हो रहे हैं. हमारे अखबार हमें बता रहे हैं कि कोपेनहेगन में कुछ देशों को कोपभाजन का शिकार होना पड़ सकता है. अखबारों की सदिच्छा और इच्छा अपनी जगह लेकिन कोपेनहेगन में वे देश शेष देशों के कोपभाजन बनेंगे जिन्हें सचमुच बनना चाहिए, ऐसा लगता नहीं है.
कोपेनहेगन के समुद्र तट पर स्थापित एक कलाकृति
पानी की दरों में बढ़ोत्तरी
Posted on 06 Dec, 2009 01:46 PM

बस भाड़े और बिजली की दरों का करंट झेल चुके दिल्ली वालों को नए साल में पानी का झटका झेलना होगा। मुख्यमंत्री और दिल्ली जल बोर्ड की चेयरपर्सन शीला दीक्षित ने पानी की बढ़ी हुई दरों का ऐलान करते हुए पानी के मीटर न लगाने वालों को कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि 31 दिसंबर तक पानी का मीटर नहीं लगाने वालों के खिलाफ दिल्ली जल बोर्ड कड़ी कार्रवाई करेगा। उन्होंने मीटरों की जांच के लिए तीन मजिस्ट्रेट न

मुख्य मंत्री शीला दीक्षित
जलवायु परिवर्तन का गायन
Posted on 29 Nov, 2009 08:32 AM उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. 7 से 18 दिसंबर 2009 तक कोपेनहेगेन शहर में होने वाला संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, जिसे कोप-15 कहा जा रहा है, उत्साह का संचार कर रहा है.
कोपेनहेगेन सम्मेलन
साईकिल यात्रा
Posted on 25 Nov, 2009 02:55 PM

भगत सिंह पार्क संसद भवन से 17 से 24 नवम्बर 2009
दिल्ली यंग आर्टिस्टस् फोरम, बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति

cycle yatra
सूखे में डूबती सभ्यता
Posted on 25 Nov, 2009 07:49 AM
जब भारत में पानी की समस्या और भी गंभीर हो जाएगी तब स्वीडन,कनाडा और ब्रिटेन के लोगों को न केवल इसकी जानकारी होगी बल्कि वे इसे गहराई से महसूस भी करेंगे। अगर विश्व के किसी एक हिस्से में फसलें नष्ट होंगी और उत्पादन घटेगा तो समृद्ध विश्व की अर्थव्यवस्थाएं भी डांवाडोल हो जाएगीं। अगर व्यापक जनसमुदाय प्यासा रहेगा तो समाज टूटेगा और हर कोई संकट में आ जाएगा। हम अधिकतम पानी या चरम की स्थिति को पार कर चुके हैं क्योंकि आज सभ्यता प्यासी दिखाई दे रही है।
पर्यावरण आंदोलन अब उस रोचक दौर में पहुंच चुका है और इसके बारे में तकरीबन सभी तक जानकारी पहुंच चुकी है सिवाय राजनीतिक हलके के जहां यह अभी भी एक बाहरी तत्व है। वैसे हरियाली की बात (ग्रीन्स) करने वाले अभी एक अनजान व्यक्ति की तरह आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं और दुनिया इस दुविधा में है कि उन्हें घर में प्रवेश दें या नहीं। जलवायु परिवर्तन के विचार की ओर लम्बे-लम्बे डग भरते हुए हम यह भी स्वीकार कर रहे हैं कि हमें इस दिशा में त्वरित कार्यवाही करना ही होगी। हालांकि हममें से बहुतों के लिए यह दूसरों की समस्या है या वे सोचते हैं कि इस खतरे को बड़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है। लेकिन यह दौर भी
निर्जला होती नदियाँ
Posted on 24 Nov, 2009 06:49 AM नदियों के प्रति काका कालेलकर का भाव दृष्टव्य है ``नदी को देखते ही मन में विचार आता है कि यह कहां से आती है और कहां जाती है ... आदि और अंत को ढूंढने की सनातन खोज हमें शायद नदी से ही मिली होगी ....। संसार का हर व्यक्ति पेयजल, खाद्य पादर्थ, मत्स्य पालन, पशु पालन, कृषि एवं सिंचाई साधन आदि के लिए नदी जल परम्परा से जुड़ा है। जल चक्र की नियामक धारा स्वरूपा इन नदियों को सहेजना हमारा धर्म है। अब वक्त आ गया है कि हम उन कारणों को खोजे जो हमारी नदियों एवं जल वितरणिकाओं को निर्जला कर रहे हैं। हमारी रसवसना नदियों को सुखाकर अथवा प्रदूषित कर हमारी आँखों में आँसू भर रहे है।
डूब जाएगी दुनिया
Posted on 23 Nov, 2009 08:36 AM

पिघलते ग्लेशियर्स का ड्रैकुला मुंह फाडे मालदीव को निगलने के लिए बढ़ रहा है। हालात इसी तरह रहे तो मालदीव जल प्रलय का पहला शिकार बन सकता है। मालदीव ने दुनिया को यही संदेश देने के लिए अपने कैबिनेट की बैठक समुद्र के भीतर की। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर इसी तरह पृथ्वी का वायुमंडल गरम होता रहा तो सन् २०२१ तक मालदीव समुद्र में समा जाएगा। १७ अक्टूबर को संपन्न हुई मालदीव कैबिनेट की यह बैठक करीब आधे

जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है - जयराम रमेश
Posted on 22 Nov, 2009 08:42 AM आखिर इसके निहितार्थ क्या हैं? पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश द्वारा जारी की गई रिपोर्ट हिमालयन ग्लेशियर्स के अनुसार इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इस अध्ययन की कोई जिम्मेदारी न लेते हुए जयराम रमेश ने बड़ी तत्परता से इसमें जोड़ा कि इसका मतलब इस विषय पर चर्चा को आगे बढ़ाना था।
पिघलते ग्लेशियर पर रिपोर्ट जारी करते जयराम रमेश
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