दिल्ली

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आओ, बनाएँ पानीदार समाज
Posted on 12 Sep, 2017 04:15 PM

गांधी जी ने पश्चिम की औद्योगिक सभ्यता को राक्षसी सभ्यता कहा है। असंयमी उपभोक्तावाद और लालची बाजारवाद ने सृष्टि विनाश की नींव रखी। भारत का परम्परागत संयमी जीवन-दर्शन ही त्रासद भविष्य से बचाव का मार्ग सुझाता है। समाज में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार जरूरी है। इसके सघन प्रयास जरूरी हैं। परम्परागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय जरूरी है, सम्यक सन्तुलन जरूरी है। इसके लिये हमें लोक संस्कृति, लोक संस्कार और लोक परम्पराओं के पास लौटना होगा।

भारतीय ज्ञान परम्परा में श्रुति और स्मृति का प्रचलन रहा है। प्रकृति के सान्निध्य में सृष्टि के समस्त जैव आयामों के साथ सामंजस्य और सह-अस्तित्व के बोध को जाग्रत करते हुए जीवन की पाठशाला अरण्य के गुरुकुल में आरम्भ होती थी। इसी परिवेश और पर्यावरण में 5000 वर्ष पहले विश्व के आदिग्रंथ वेद की रचना हुई। वेद हों या अन्यान्य वाङ्मय सनातन ज्ञान के आदि स्रोत ऐसी ऋचाओं, श्लोकों, आख्यानों से भरे पड़े हैं जिनमें प्रकृति की महिमा और महत्ता का गुणगान है। ये भारतीय संस्कृति की कालजयी धरोहर हैं। इनका सम्बन्ध मानव जीवन की सार्थकता से है। जीवन को उत्कृष्ट बनाने की दिशा में उत्तरोत्तर आगे बढ़ने से है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे समाज के व्यवहार में आया यह ज्ञान लोक-विज्ञान है। कालान्तर में लोक संस्कृतियों ने लोक-विज्ञान को अपने इन्द्रधनुषी रंगों में रंगा। उसकी छटा दैनन्दिन रीति-रिवाज, संस्कार, मान्यताओं, परम्पराओं में लोक संस्कृति के माध्यम से विस्तार पाने लगी।
samaj, prakriti aur vigyan book cover
अपशिष्ट पानी से सीसे का पता लगा सकते हैं सोने के नैनोकण (Gold nanoparticles can detect lead in wastewater)
Posted on 12 Sep, 2017 04:02 PM
दैनिक जागरण, आइएसडब्ल्यू, नई दिल्ली, 14 सितम्बर 2017

भारतीय महिलाओं की पसंदीदा धातु सोना वैज्ञानिकों में भी लोकप्रिय होती जा रही है, लेकिन किन्हीं और कारणों से। दरअसल, भारतीय शोधकर्ताओं के एक दल ने सोने के नैनोकण की मदद से अपशिष्ट पानी में सीसे का पता लगाने की आसान विधि तलाश ली है। इससे इस बहुमूल्य धातु की उपयोगिता वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बढ़ गई है।
सोच, संसाधन और सख्ती से स्वच्छ होगा देश
Posted on 12 Sep, 2017 10:10 AM

देश के ज्यादातर सार्वजनिक स्थल किसी भी कूड़ाघर सरीखे ही दिखते हैं। कई स्थानों पर कूड़ेदान

प्लास्टिक उपयोग की सनक (Plastic-Use Mania)
Posted on 11 Sep, 2017 04:52 PM
वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक के गम्भीर खतरे बताए हैं फिर भी हम इस पर निर्भर होते जा रहे हैं। क्या इस खतरनाक लगाव से बचने का कोई उपाय है?
बीहड़ भूमि का समतलीकरण - खतरा या अवसर (Leveling the Chambal Ravines - Right or Wrong)
Posted on 11 Sep, 2017 04:34 PM
चम्बल नदी घाटी का लगभग 4,800 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इस बीहड
बिजली की तर्ज पर हो पानी का बँटवारा
Posted on 11 Sep, 2017 10:43 AM

नदियों को आपस में जोड़ने के लिये जितनी ज़मीन की जरूरत होती है इस योजना में उसकी एक तिहाई

टॉयलेट वैन से शौचमुक्त होगी दिल्ली
Posted on 10 Sep, 2017 10:45 AM
सड़क किनारे और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को अब खुले में शौच जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, खुले में शौच जाने वालों को रेडीमेड शौचालय की सुविधा देने जा रहा है। नगर निगम ऐसे इलाकों में अब मोबाइल टॉयलेट वैन चलाएगा। मोबाइल टॉयलेट वेन झुग्गी-झोपड़ी और उन इलाकों में चलाई जाएगी जहाँ पर लोगों को मजबूरन खुले में शौच जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
भारतीयों ने तैयार की ओस से जल संचयन की तकनीक
Posted on 09 Sep, 2017 10:55 AM
अक्सर सुबह हम पत्तियों, घास व अन्य झुकावदार सतहों पर ओस की बूँदे देखते हैं। क्या कभी हमने यह सोचा कि ओस की ये बूँदे पानी का स्रोत भी हो सकती हैं। भारतीय वैज्ञानिकों के दल ने फ्रांस के विशेषज्ञों के साथ मिलकर ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जिससे ओस या वातावरण की नमी का संचय कर उसे पीने के पानी के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि गुजरात के कच्छ जैसे क्षेत्र जहाँ पानी की कमी
फंगल इन्फेक्शन से लड़ने के लिये मिला नया हथियार
Posted on 08 Sep, 2017 04:17 PM
भारतीय शोधकर्ताओं ने धान के पौधे से एक बैक्टीरिया खोजा है, जो रोगजनक फंगस (फफूंद) को खाता है, साथ ही शोधकर्ताओं ने उस बैक्टीरिया में एक फंगल-रोधी प्रोटीन की भी पहचान की है, जो कई तरह के फंगल इन्फेक्शन से लड़ने में मददगार हो सकता है।
Indian researchers
भूजलस्तर गिरने से एक साल में जलबोर्ड के 65 कुएँ सूखे
Posted on 07 Sep, 2017 10:57 AM
राजधानी में लगातार भूमिगत जलस्तर गिर रहा है। जलस्तर गिरने के कारण जलबोर्ड के 65 कुएँ सूख गये हैं। कुओं के सूखने के कारण जलबोर्ड को इन इलाकों में पानी की अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ रही है। पहले इन क्षेत्रों में कुओं से जलापूर्ति होती थी।
Water pipe
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