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संगोष्ठी : उत्तराखंड बचाने की चुनौतियां
Posted on 16 Jul, 2013 11:20 AM दिन : शनिवार,
तिथि : 20 जुलाई 2013,
स्थान : गाँधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली
समय : सायं 5 बजे से


गत माह के मध्य में उत्तराखंड में जो हुआ वह हिमालय के ज्ञात इतिहास की सबसे बड़ी त्रासद घटना है, जिसमें 10 से 25 हजार के बीच देश भर के लोगों के मारे जाने की अनुमान है। प्रश्र है ऐसा क्यों हुआ? क्या इन घटनाओं को रोका जा सकता था या रोका जा सकता है? अगर नहीं रोका जा सकता है तो क्या भविष्य में विनाश के इस तांडव का सिलसिला यों ही चलता रहेगा या और बढ़ेगा? यह याद रखना जरूरी है कि हिमालय मात्र उन लोगों का नहीं है जो हिमालय में रहते हैं; उन लोगों का भी नहीं है जो इसका दोहन करने में लगे हैं; उन लोगों का भी नहीं है जो इस पर शासन कर रहे हैं या हमारे नीति नियंता हैं; हिमालय का संबंध पूरे भारतीय उप महाद्वीप से है। यह मात्र सांस्कृतिक या धार्मिक ही नहीं है बल्कि भौगोलिक भी है। यानी हिमालय में होने वाले भूगर्भीय, भौगोलिक और पर्यावरणीय घटनाओं के व्यापक परिणामों से यह उपमहाद्वीप बच नहीं सकता।

स्पष्ट है कि इस घटना के दो पक्ष हैं, पहला, अगर यह प्राकृतिक आपदा है तो ऐसा क्यों हुआ और इसे किस तरह समझा तथा व्याख्यायित किया जा सकता है? दूसरा, अगर यह मानवनिर्मित है तो सवाल है इसकी पुनरावृत्ति को किस तरह और कैसे रोका जा सकता है?
मुंबइया फिल्मों में बरखा बहार
Posted on 16 Jul, 2013 11:06 AM हिंदी फिल्मों में एक अति चर्चित फिल्म रही है शोमैन राजकपूर की बरस
बिन मानसून सब सून
Posted on 16 Jul, 2013 10:22 AM मानसून मात्र गर्मी की तपिश से राहत दिलाने का ही नाम नहीं है। यह तो संपूर्ण ऋतु चक्र का आधार और जीवन को जीवंत करती सच्चाई है। लंबे समय से पपड़ाई, प्यासी धरती, मुरझाई और कुम्हलाए, अलसाए जीवों को गति देने का सहारा है मानसून। मानसून लरजा-गरजा तो पौं बारह, रूठा तो सब गुड़ गोबर। इधर वैज्ञानिक ने बादलों को बरबस बरसाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। प्रस्तुत है मानसून से जुड़े ऐसे ही
गंगा
Posted on 14 Jul, 2013 09:46 AM यह ‘घट’ इतना कहां हाय! जो इसमें रहती गंगा
मुझे हाथ धोने का अवसर दे तू, बहती गंगा

देखे हैं कितने ‘युग’ तूने क्या कहती है गंगा
तुझसे बुझती रहे चिता वह, जो दहती है गंगा

आज हमारे पाप-ताप ही तू सहती है गंगा
‘फूल’ भेंट के साथ बाँह यह तू गहती है गंगा

बहती रह इस महा मही पर मेरी महती गंगा
मुझे हाथ धोने का अवसर दे तू बहती गंगा।

सुरसरि तीर
Posted on 13 Jul, 2013 05:48 PM समयोचित संदेश उन्हें प्रभु ने दिए,
सबके प्रति निज भाव प्रकट सबने किए।
कह न सके कुछ सचिव विनीत विरोध में,
उमड़ी करुणा और प्रबोध-निरोध में।
देश सुमन्त्र – विषाद हुए सब अनमने,
आए सुरसरि – तीर त्वरित तीनों जने।
बैठीं नाव – निहार लक्षणा – व्यंजना,
‘गंगा में गृह’ वाक्य सहज वाचक बना।

बढ़ी पदों की ओर तरंगित सुरसरी,
आमंत्रण : उत्तराखंड की आवाज सुनो
Posted on 13 Jul, 2013 12:59 PM

तिथि- 16 जुलाई, 2013, दिन-मंगलवार
समय -प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक।
स्थान- गांधी शांति प्रतिष्ठान,
221-223 दीनदयालउपाध्याय मार्ग, (निकट आईटीओ), नई दिल्ली


निवेदक: उत्तराखंड के लोग

 

अपील


प्रिय मित्रों,
उत्तराखंड के बारे में आपने मीडिया में जो कुछ देखा, हकीकत उससे कई गुना ज्यादा व्यापक और डराने वाली है। साथियों से मिलकर मैंने महूसस किया कि अपनी तबाही से उत्तराखंड अत्यंत दुखी है और गुस्सा भी। दुखी इसलिए कि इस तबाही ने उन अच्छे-सच्चे ग्रामीणों व अन्य जीव-वनस्पतियों की भी बलि ली, जो इसके दोषी नहीं हैं। गुस्सा इसलिए कि जिन गतिविधियों को खतरनाक मानकर उत्तराखंडवासी लंबे अरसे से सरकारों को चेताते रहे हैं, उनकी आवाज को अब तक अनसुनी किया गया।

वे दो टूक चाहते हैं कि इस आपदा के दोषियों को दण्डित किया जाये; ताकि भाविष्य में कोई ऐसी हिमाकत न करे। वह आगे के रास्ते को भी लेकर दो टूक निर्णय के मूड में है। पुनर्वास के काम को भी वह अब सरकार भरोसे छोड़ने की गलती नहीं करना चाहते। यह ठीक ही है।

Rajendra Singh
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून और पूर्वानुमान पद्धति
Posted on 13 Jul, 2013 12:29 PM समुद्र और भूमि पर चलने वाली बयारमानसून की परिभाषा है – हवा के प्रवाह में आने वाला मौसमी बदलाव और तदनुरूपी निःसादन परिवर्तन और जमीन तथा समुद्र का असमान रूप स
फिशरीज में तलाशें भविष्य
Posted on 12 Jul, 2013 02:32 PM फिशरीज में कॅरिअर कहने को तो यह बड़ा ही साधारण लगता है लेकिन आज के दौर में यह एक तेजी से उभरता हुआ कॅरिअर बन चुका है। अब इस क्षेत्र में प्रशिक्षित युवा अच्छी कमाई कर रहे हैं।
सॉइल साइंस में कॅरिअर
Posted on 12 Jul, 2013 02:30 PM शिक्षण से लेकर रिसर्च और मिट्टी के संरक्षण से लेकर कंसल्टिंग जैसे कई अवसर कॅरिअर विकल्प के रूप में सॉइल साइंटिस्ट के लिए उपलब्ध हैं। एग्रीकल्चरल रिसर्च काउंसिल अपने सभी रिसर्च संस्थानों के साथ मृदा वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी नियोक्ता है। इसके अलावा सॉइल साइंटिस्ट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, विश्वविद्यालयों, कृषि सहकारी समितियों, खाद निर्माताओं और रिसर्च संस्थानों के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
मानसून का विज्ञान
Posted on 09 Jul, 2013 02:43 PM

भारतीय मानसून हवाओं की उत्पत्ति पर अनेक मत हैं लेकिन आधुनिक विचारधारा को सर्वाधिक समर्थन प्राप्त है। इस विचारधार

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