दिल्ली

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इस प्यास को हमने ही बुलाया है
Posted on 12 Oct, 2015 12:44 PM दिल्ली के भूजल के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक बना नजफगढ़ नाला कभी जयप
water
आखिर कौन बचाएगा प्राकृतिक आपदाओं से हमें
Posted on 11 Oct, 2015 03:49 PM

इंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष

farmer
आपदाओं के कुदरती होने या न होने का सच
Posted on 11 Oct, 2015 02:50 PM

इंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष


. अचानक होने वाले हादसों से जिन्दगी में जो हाहाकार मचता है वो तो है ही, पर ऐसे हादसों का अन्देशा भी उतना ही भयावह होता है। सुरक्षित और निश्चिन्त जीवन के लिये मानव दस हजार साल से लगातार अपने विकास की कोशिश में लगा है। हमने पिछली सदी के आखिरी दशकों में आपदा प्रबन्धन पर ज्यादा गौर करना शुरू कर दिया था।

इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में तो आपदा प्रबन्धन अकादमिक विषय भी बन गया है। अपने नागरिकों को आपदाओं के अन्देशे से मुक्त रखने के लिये विश्व की लगभग सारी सरकारें सतर्क हैं। हम भी हैं। लेकिन अभी विकसित देशों के ज्ञान और प्रौद्योगिकी के सहारे ही हैं। और हम नई पीढ़ी को सिर्फ इस बात के लिये तैयार कर रहे हैं कि आपदा की स्थिति आने पर एक जागरूक नागरिक की तरह उन्हें क्या-क्या करने के लिये तैयार रहना चाहिए।
कार्बन बम का गोदाम बनती दुनिया
Posted on 11 Oct, 2015 10:08 AM कार्बन की बढ़ती मात्रा दुनिया में भूख, बाढ़, सूखे जैसी विपदाओं का
CO1
सेव नैनी झील
Posted on 11 Oct, 2015 09:31 AM जल ही जीवन है, जल के बिना जिन्दगी का तसव्वुर नामुमकिन है। जल के महत्त्व को वह लोग ही समझ सकते हैं जो इसकी कमी से दो-चार हैं। राजधानी दिल्ली में भी पानी की समस्या मुँह-बाए खड़ी है। हर साल गर्मियों के दिनों में यहाँ पानी की समस्या अपने चरम पर होती है।
साखर, संचय, हुनर, जैविकी : सूखे में सुख सार
Posted on 10 Oct, 2015 03:41 PM

इंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष


.सूखा पहले कभी-कभी आता था; अब हर वर्ष आएगा। कहीं-न-कहीं; कम या ज्यादा, पर आएगा अवश्य; यह तय मानिए। यह अब भारत भौगोलिकी के नियमित साथी है। अतः अब इन्हें आपदा कहने की बजाय, वार्षिक क्रम कहना होगा। वजह एक ही है कि सूखा अब आसमान से ज्यादा, हमारे दिमाग में आ चुका है।

हमने धरती का पेट इतना खाली कर दिया है कि औसत से 10-20 फीसदी कम वर्षा में भी अब हम, हमारे कुएँ, हमारे हैण्डपम्प और हमारे खेत हाँफने लगे हैं। उलटबाँसी यह कि निदान के रूप में हम नदियों को तोड़-जोड़-मोड़ रहे हैं। हमारे जल संसाधन मंत्रालय, हमेशा से जल निकासी मंत्रालय की तरह काम करते ही रहे हैं।
traditional water resource
ग्रामवासियों के जीवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
Posted on 07 Oct, 2015 04:05 PM

प्रायः देखा गया है कि गंदा पानी गलियों में बहता रहता है, जिसके कारण मच्छर आदि फैलते हैं। इस पान

भारत में नगरीकरण तथा सम्बद्ध समस्याएँ
Posted on 07 Oct, 2015 12:50 PM वर्ष 1991 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल जनसंख्या की 26 प्रतिशत आबादी अर्थात 21.70 करोड़ जनसंख्या नगरों में निवास करती है। अगर हम सिर्फ पिछले 40 वर्षों की स्थिति पर गौर करें तो पाते हैं कि उस समय कुल जनसंख्या के 12 प्रतिशत लोग ही शहरों में निवास करते थे। लेकिन स्वतन्त्रता के बाद जैसे-जैसे आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की गति तीव्र हुई, वैसे-वैसे नगरों की संख्या तथा उनमें निवास करने वाली जनसंख्या दोन
पारम्परिक प्रणालियाँ सक्षम हैं सूखे से निबटने में
Posted on 07 Oct, 2015 12:49 PM

इंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष


.अब देश से मानसून के बादल विदा हो गए हैं और यह तय है कि भारत का बड़ा हिस्सा सूखा, पानी की कमी और पलायन से जूझने जा रहा है।
Drought
स्वास्थ्य की देखभाल
Posted on 07 Oct, 2015 12:44 PM

स्वतन्त्रता के बाद के युग में स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बन्धित ढाँचे में व्यापक विकास देखने में

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