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आर्ट ऑफ लिविंग ने जमा कराए 4.75 करोड़ रुपए
Posted on 07 Jun, 2016 10:24 AM

हम जीते तो लौटाने होंगे रुपए


आर्ट ऑफ लिविंग ने संकेत दिया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट में जा सकती है। प्रवक्ता केदार देसाई ने कहा, ‘न्यायिक प्रक्रिया चल रही है और अगर हम जीतते हैं तो पाँच करोड़ रुपए हमें लौटाए जाएँगे।’
परिश्रम से बने पानीदार
Posted on 06 Jun, 2016 11:21 AM
एक समय सूखे के कारण देश के कुछ इलाकों की स्थिति काफी चिन्तनीय थी। सिंचाई और पीने का पानी लगभग खत्म था, बेरोजगारी बढ़ी थी, महिलाएँ दूरदराज क्षेत्रों से पानी लाती थीं और पलायन तेज था। मौसमी हालात यानी बारिश की स्थिति यहाँ आज भी वैसी ही है, लेकिन लगन और मेहनत से यहाँ के लोगों ने प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बना लिया। इनमें से कई स्थानों में सालाना 250 मिमी से भी कम वर्षा होती है। लेकिन वर्षा
धरती कहे पुकार के (Say unto the earth)
Posted on 06 Jun, 2016 10:58 AM
हर छोटे-बड़े, अमीर-गरीब के चेहरे पर लाली खिला देने वाला लाल गुलाब हवा और पानी के स्वास्थ्य और स्वच्छता का प्रतीक भी है। कहते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपनी अचकन में यह खूबसूरत फूल सजाते ही नहीं थे, दिल्ली स्थित तीनमूर्ति भवन के लॉन में फूलों की क्यारियों को सहलाने, सराहने और उनमें पानी डालने को भी तत्पर रहते थे।
मेरा देह दान हो, श्राद्ध नहीं - स्वामी सानंद
Posted on 05 Jun, 2016 03:22 PM


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 21वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

 

तैने तो मेरे मन की कह दी


.तरुण के भविष्य को लेकर मेरी चिन्ता बढ़ती गई। मैं क्या करुँ? इस प्रश्न के उत्तर की तलाश में मैं घर गया; पिताजी के पास। मेरी माँ तो तब नहीं थीं। मैंने पिताजी को अपनी चिन्ता से अवगत कराया। उसके बाद मैं दिल्ली लौट आया। लौटने पर सोचता रहा कि क्यों न मैं तरुण को गोद ले लूँ।

मैंने पिताजी को अपना विचार बताया, तो वह बहुत खुश हुए। भरे गले से बोले- “तैने तो मेरे मन की कह दी।’’ अब तरुण की माँ को तैयार करने की बात थी। यह जिम्मेदारी मैंने बाबा को दे दी। इस तरह आर्यसमाजी संस्कार विधि के साथ 1984 में मैंने तरुण को विधिवत गोद ले लिया।

खाद्य शृंखला बचाने से बचेगा वन्य जीवन
Posted on 04 Jun, 2016 03:31 PM

विश्व पर्यावरण दिवस, 05 जून 2016 पर विशेष


वायुमण्डल, जलमण्डल और अश्ममण्डल- इन तीन के बिना किसी भी ग्रह पर जीवन सम्भव नहीं होता। ये तीनों मण्डल जहाँ मिलते हैं, उसे ही बायोस्फियर यानी जैवमण्डल कहते हैं। इस मिलन क्षेत्र में ही जीवन सम्भव माना गया है। इस सम्भव जीवन को आवृत कर रक्षा करने वाले आवरण का नाम ही तो पर्यावरण है।

जीवन रक्षा आवरण पर ही प्रहार होने लगे.... तो जीवन पुष्ट कैसे रह सकेगा? हर पर्यावरण दिवस की चेतावनी और और समाधान तलाशने योग्यमूल प्रश्न यही है, किन्तु पर्यावरण दिवस, 2016 की चिन्ता खास है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘वन्य जीवन के अवैध व्यापार के खिलाफ जंग’ को पर्यावरण दिवस, 2016 का लक्ष्य बिन्दु बनाया है।
वरना पानी बह निकलेगा
Posted on 03 Jun, 2016 03:35 PM
कागभुसुंड़ि गरुड़ से बोले
आओ हो लें दो दो चोंचें
चलो किसी मंदिर में चलकर
प्रतिमा का सिंदूर खरोंचे। - जीवनलाल ‘विद्रोही’

बढ़ती असमानता और विलुप्त होता मध्यवर्ग
Posted on 03 Jun, 2016 01:36 PM

हाल के दशकों में आर्थिक असमानता के बढ़ने से ‘मध्य आय वर्ग’ पर संकट खड़ा हो गया है। औद्योगिक

परम्पराओं-मान्यताओं की उपेक्षा का परिणाम है पर्यावरण विनाश
Posted on 03 Jun, 2016 10:38 AM

विश्व पर्यावरण दिवस, 05 जून 2016 पर विशेष


Environment Day, 2016 Special
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