Posted on 25 Jun, 2016 10:02 AM भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है। प्रथम हरित-क्रान्ति के पश्चात फसलों के उत्पादन में जो महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है, इसमें प्रमाणीकृत बीजों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। अच्छी गुणवत्ता का बीज किसी भी फसलोत्पादन के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। खराब गुणवत्ता के बीज का प्रयोग करने के पश्चात उत्पादन के कारकों जैसे खाद, पानी, कीटनाशी रसायनों कृत्य क्रियायें आदि का कितना भी प्रयोग क्यों न क
Posted on 24 Jun, 2016 01:55 PM इस लेख में भारत की प्रमुख जनजातियों एवं आदिम जातियों के सम्बंध में सामान्य जानकारी दी गई है। आदिवासियों का वनों से सम्बंध एवं वन क्षेत्रों के साथ आदिवासियों के विकास के सम्बंध में विचार किया गया है। वर्तमान समय में वन विकास की वही अवधारणा ग्राह्य हो सकती है जिसमें आदिवासियों का हित सुरक्षित रहे। राष्ट्रीय वन नीति-1894 एवं 1952 द्वारा आदिवासियों को वनो
Posted on 24 Jun, 2016 01:32 PM जैवविविधता और इसके अन्य अंग मानव के अस्तित्व के आधार हैं। इस जैवविविधता के कारण ही हमें भोजन, ऊर्जा, दवाएं, परितांत्रित स्रोत, वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी और छह अरब से अधिक लोगों को सांस्कृतिक आधार मिलता है। जैवविविधता नष्ट होने से हमारे समाज या आर्थिक तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके सैंकड़ों उदाहरण उपस्थित हैं, कितने विस्थापन हो रहें हैं, कितने बीमार पड़ रहे हैं, कितनी भुखमरी बढ़ रही है। सं
ब्रायोफाइट्स में वातावरण में व्याप्त प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशीलता होती है जिस कारण उन्हें प्रदूषण के जीव सूचक के रूप में देखा जाता है और इसी कारण से वातवरण में उपस्थित प्रदूषण के अध्ययन में सहायक होते हैं।
Posted on 21 Jun, 2016 01:53 PM मशहूर किसान कवि घाघ ने कहा था- ‘धान, पान और केला - ये तीनों पानी के चेला।’ इसका मतलब यह है कि धान, पान और केला बिना पानी के नहीं हो सकते। लेकिन अब धरती पानी की किल्लत से जूझ रही है। ऐसे में धान उगाना है तो कुछ नया सोचना होगा।
Posted on 21 Jun, 2016 12:47 PM देशभर में सूखे की मार पड़ी है। दस राज्यों के 300 जिले बुरी तरह चपेट में हैं। सरकार हर सम्भव कार्य कर रही है। बाकायदा निगरानी के लिये केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक टीम बना दी गई है। दुष्प्रभावित राज्यों को फौरी मदद के लिये आवश्यक धनराशि भेज दी गई है। मराठवाड़ा क्षेत्र में जलदूत नाम से पानी की स्पेशल ट्रेन चलाई गई है। केन्द्र सरकार सूखे से निपटने के लिय
Posted on 21 Jun, 2016 11:02 AM प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की घोषणा होते ही हमने पाठकों के लिये ‘कृषि चौपाल’ के मार्च अंक में विस्तृत लेख प्रकाशित किया था। उस लेख की प्रतिक्रिया में हमें कई किसान भाइयों के पत्र मिले। इस योजना को लेकर उनके मन में अनेक प्रकार की शंकाएं थीं। उन्हें दूर करने के लिये इस बार हम मंत्रालय के सहयोग से हर उस प्रश्न का उत्तर यहाँ दे रहे हैं, जो संभवतः उनके मन में होंगे।