दिल्ली

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पानी दूर हुआ या हम
Posted on 07 Jul, 2016 04:25 PM


ग्लेशियर पिघले। नदियाँ सिकुड़ी। आब के कटोरे सूखे। भूजल स्तर तल, वितल, सुतल से नीचे गिरकर पाताल तक पहुँच गया। मानसून बरसेगा ही बरसेगा; अब यह गारंटी भी मौसम के हाथ से निकल गई है।

इस बार अधिक वर्षा की सम्भावना बताई गई है; बावजूद इसके हमारे कई इलाके मानसून की पारम्परिक तिथि निकल जाने के बाद भी सूने पड़े आकाश की ओर निहार रहे हैं। हम क्या करें? वैश्विक तापमान वृद्धि को कोसें या सोचें कि दोष हमारे स्थानीय विचार-व्यवहार का भी है ? दृष्टि साफ करने के लिये यह पड़ताल भी जरूरी है कि पानी, हमसे दूर हुआ या फिर पानी से दूरी बनाने के हम खुद दोषी हैं?

पर्यावरण संरक्षण बनाम विकास
Posted on 07 Jul, 2016 04:14 PM

आज आवश्यकता इस बात की है कि मानव के सोच में इस प्रकार का बदलाव आए कि वह व्यक्तिगत हित की

विकास, पर्यावरण और हमारा स्वास्थ्य (Development, Environment and Health)
Posted on 07 Jul, 2016 04:05 PM

पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य के बीच सम्बंध एक निर्विवाद सत्य है। स्वस्थ जीवन के लिये स्वच्

ग्रामीण विकास में ग्रामोद्योग
Posted on 07 Jul, 2016 02:22 PM

देश में बेरोजगारों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। कृषि प्रधान देश की सीमित खेती योग्य

हानिकारक रसायन - जवाबदेही समझे सरकार
Posted on 05 Jul, 2016 04:23 PM
पोटेशियम ब्रोमेट एक ऐसा रसायन है, जिसके कारण इंसान में पेट का कैंसर, गुर्दे में ट्युमर, थायोराइड सम्बन्धी असन्तुलन तथा तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी बीमारियाँ होने की सम्भावना रहती है। इसे कैंसर सम्भावित रसायनों की 2बी श्रेणी में रखा गया है। पोटेशियम आयोडेट से थायोरायड सम्बन्धी असन्तुलन पैदा होने का खतरा होता है; बावजूद इन ज्ञात खतरों के भारत में पोटेशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल बेकरी उत्पादों को ज्यादा मुलायम, ताजा और दिखने में बेहतर बनाने के लिये किया जाता रहा है।

भारतीय निर्माता कम्पनियाँ अब तक तर्क देती रहीं कि अन्तिम तैयार बेकरी उत्पाद में पोटेशियम ब्रोमेट के अंश मौजूद नहीं होते। नई दिल्ली स्थित सीएसई नामक एक गैर सरकारी संस्था ने इस तर्क का झूठ सार्वजनिक कर दिया। उसने बाजार से बेकिंग उत्पादों के तैयार नमूने उठाए; उनकी जाँच की और बताया कि 84 प्रतिशत नमूनों में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट मौजूद हैं।
बिन पानी फिल्में सून
Posted on 04 Jul, 2016 04:34 PM
आखिरकार फिल्मों में भी तो जीवन ही प्रतिबिम्बित होता है। जीवन में जब पानी का संकट है, तो फिल्में उससे कैसे बच सकती हैं? हिन्दी फिल्मों में पानी पर बेहद खूबसूरत दृश्य फिल्माए गए हैं, साथ ही पानी के संकट पर चिन्ता भी मुखर हुई है।
दवा भी है पानी
Posted on 04 Jul, 2016 03:31 PM
पानी सिर्फ पानी नहीं है। वह एक औषधि भी है। इसीलिये उसे अमृत कहा जाता है। प्राकृतिक जल-चिकित्सा पानी के इसी गुण पर आधारित है। इसमें पानी का इस्तेमाल कैसे किया जाये इस पर जोर दिया जाता है ताकि वह औषधीय रूप में रोगों से हमारी रक्षा करे। पानी का ठीक से उपयोग इसी विचार का हिस्सा है।

.हवा के बाद पानी का हमारे जीवन में दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थान है। बिना हवा और पानी के हम जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारे शरीर में भी पानी की मात्रा लगभग 70 प्रतिशत है। हमारा शरीर और यह ब्रम्हांड पंचमहाभूतों अर्थात पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से बना है अर्थात हमारे जीवन में जल का महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम अनेकानेक रूपों में जल का प्रयोग करते हैं, चाहे वह बाहरी रूप से हो या आन्तरिक रूप से। दैनिक स्नान से लेकर पानी पीने तक हम हमेशा जल के सम्पर्क में रहते हैं, पर क्या कभी आपने सोचा है कि यही जल हमारे लिये ‘संजीवनी’ का काम कर सकता है? हमारे रोगों के निवारण में हमारी मदद कर सकता है और इतना ही नहीं कई रोगों से हमारा बचाव भी कर सकता है।
हिफाजत कैसे हो
Posted on 04 Jul, 2016 12:53 PM

हमारे ज्यादातर जलस्रोत प्रायः प्रदूषित हो चुके हैं। खासकर अधिकतर नदियाँ प्रदूषित हैं। इसक

निर्मल जल के बारे में
Posted on 04 Jul, 2016 12:47 PM
निर्मल जल प्रकृति का हमें दिया ऐसा उपहार है जिसकी हम लगातार
संकट में गंगा की अविरलता
Posted on 04 Jul, 2016 10:05 AM
बाँध पर्यावरण के लिये कितना बड़ा खतरा है। इससे अविरलता बाधित
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