दिल्ली

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दूसरों की गलती का खामियाजा
Posted on 18 Jul, 2016 11:52 AM

प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्थित सालोमन द्वीप समूह के अनेक द्वीप बढ़ती समुद्री सतह से डू

चलें गाँव की ओर
Posted on 18 Jul, 2016 10:58 AM

भारत की आत्मा गाँवों में बसती है इस बात पर प्रधानमंत्री से लेकर पटवारी तक सभी सहमत हैं। प

गंगा की सफाई के लिये राज्य करें सहयोग
Posted on 18 Jul, 2016 10:21 AM
गोमुख से गंगा सागर तक 2525 किलोमीटर तक के प्रवाह क्षेत्र में गंगा का नाता पाँच राज्यों उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड व पश्चिम बंगाल से है। गंगा बेसिन की करीब 45 करोड़ की आबादी पीने, नहाने और कृषि से जुड़े पानी के लिये गंगा पर निर्भर है किन्तु गंगा प्रदूषण का बोझ ढोने को विवश है। गंगा की मौजूदा दशा व भविष्य की अपेक्षाओं पर राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के संस्थापक विशेषज्ञ
फिर छिड़ी बात बूँदों की
Posted on 18 Jul, 2016 09:54 AM
देश के 11 राज्यों के 266 जिलों में सूखा घोषित किया गया है। देश की 33 करोड़ जनता इससे प्रभावित है। इस सभी की आशा की किरण केवल बादलों से आ सकती है। बूँदों के रूप में। मानसून के बदरा राहत का पैगाम ला सकते हैं। हमारे देश के 55 फीसदी खेतों में सिंचाई बारिश पर निर्भर है। यानी कृषि मानसून का जुआ है। आखिरकार हमारा देश दुनिया भर में खाद्यान्नों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों है। साथ ही 70 फीस
सिनेमा से पानी का रिश्ता
Posted on 17 Jul, 2016 04:37 PM
पानी की दृश्यात्मकता ऐसी है कि किसी भी फिल्मकार के लिये उसकी
रेगिस्तान न बन जाए दुनिया
Posted on 17 Jul, 2016 01:15 PM
बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, खनन और पेड़ों की कटाई। ये तीनों विश्व के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहे हैं। इनके कारण मौसम चक्र गड़बड़ा रहा है जिससे विश्व के अधिकांश स्थान सूखाग्रस्त हो रहे हैं। साथ ही भूमि रेगिस्तान में तब्दील हो रही है। इस खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने और निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र हर साल 17 जून को ‘वर्ल्ड डे टू कॉम्बैट डजर्टीफिकेशन एंड ड्रॉट’ के रूप में मनाता है
प्राचीन भारत में जल संसाधनों का प्रबन्धन
Posted on 17 Jul, 2016 01:10 PM
हमारे देश में जल संसाधनों के प्रबन्धन का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से ही भारतीय भागीरथों ने सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ-साथ भारत की जलवायु, मिट्टी की प्रकृति और अन्य विविधताओं को ध्यान में रखकर बरसाती पानी, नदी-नालों, झरनों और जमीन के नीचे मिलने वाले, भूजल संसाधनों के विकास और प्रबन्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की थी।
दिसम्बर 2017 तक पूरी दिल्ली को पानी
Posted on 17 Jul, 2016 12:37 PM
जल को संपदा नहीं, मानवाधिकार मानती है दिल्ली सरकार
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