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अगले मानसून तक सरकार सोई क्यों रहती है
Posted on 07 Aug, 2016 11:00 AM
मानसून कई तरीकों से हमें बताता है कि देश में आर्थिक स्थिति किस ओर जाने वाली है। एक अच्छे मानसून का अर्थ है स्वस्थ फसल तथा किसानों के लिये अच्छा होना। सरकार इसलिये खुश होती है क्योंकि वह यह सुनिश्चित करके अपने कंधों से बोझ उतार देती है कि खाद्यान्न तथा खाद्य उद्योग अपने बूते पर आगे बढ़ेंगे। मगर जैसे कि मानसून आया और 2-3 दिन अच्छी बारिश हुई, इससे परेशानी उत्पन्न हो गई। दुख की बात है कि हमारे श
यमुना की सफाई गंगा की स्वच्छता की दिशा में कारगर कदम
Posted on 05 Aug, 2016 04:24 PM
पर्यावरणविदों की बरसों से माँग थी कि सहायक नदियों को साफ किये बिना गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। देर से ही सही, जल संसाधन मंत्रालय को भी यह बात समझ में आई है। गंगा की सबसे बड़ी और पौराणिक नदियों में तीन का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। कान्हा के बचपन की अठखेलियों, किशोरावस्था की खेली क्रीड़ाओं और गोपियों के संग रास को लेकर यमुना जन-जन में विख्यात है।
मोटे होते हिमखण्ड
Posted on 05 Aug, 2016 03:24 PM
जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में 2007 में अन्तर सरकारी पैनल ने
हरित न्याय का भारतीय नायक
Posted on 05 Aug, 2016 11:13 AM


मैंने उनका बैंक बैलेंस नहीं देखा। न मैंने उनकी बहस सुनी है और न अदालती मामलों में जीत-हार की सूची देखी है। मैंने सिर्फ उनकी सादगी और पर्यावरण के प्रति समर्पण देखा है। मैंने उन्हें कई सभाओं में आकर अक्सर पीछे की कुर्सियों में बैठते हुए देखा है।

पैंट से बाहर लटकती सादी कमीज, हल्की सफेद दाढ़ी, चेहरे पर शान्ति, बिन बिजली बैठकर बात करने में न कोई इनकार और न चेहरे पर खीझ। यूँ वह मितभाषी हैं, लेकिन पर्यावरण पर बात कीजिए, तो उनके पास शब्द-ही-शब्द हैं; चिन्ताएँ हैं; समाधान हैं। 69 की उम्र में भी पर्यावरण को बचाने के लिये कुछ कर गुजरने की बेचैनी है और जीत का भरोसा है। वह प्रतीक हैं कि कोई एक व्यक्ति भी चाहे, तो अपने आस-पास की दुनिया में बेहतरी पैदा कर सकता है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Prime Minister Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY))
Posted on 05 Aug, 2016 10:32 AM

प्रश्न 1: भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना क्या है?

भारतीय संस्कृति का बदलता स्वरूप और पर्यावरण प्रदूषण
Posted on 04 Aug, 2016 12:29 PM
बदलते वैज्ञानिक युग में शनै:-शनै: हमारी संस्कृति का स्वरूप बद
नदी जोड़ योजना : एक संवाद
Posted on 04 Aug, 2016 12:03 PM


नदी जोड़ योजना
तिथिः 06 अगस्‍त 2016
सायं काल 3:00 बजे, हाईटी
सायं काल 4:00 बजे, कार्यक्रम की शुरुआत
स्थानः कान्स्टीट्यूशन क्‍लब, रफी मार्ग, नई दिल्‍ली


.भारत जल और भूमि संसाधनों से सम्पन्न देश है। विश्व में भारत की भूमि 2.5 प्रतिशत है, जल संसाधन वैश्विक उपलब्धता का 4 प्रतिशत है और जनसंख्या 17 प्रतिशत है। उपलब्ध क्षेत्र 165 मिलियन हेक्टेयर है जो दुनिया में दूसरा सबसे अधिक क्षेत्र है, उसी तरह जैसे भारत का स्थान जनसंख्या के मामले में भी दुनिया में दूसरा है। नब्बे के दशक में भारत में 65 प्रतिशत किसान और कृषि मजदूर थे जिससे स्पष्ट होता है कि हमारा देश कृषि यानि जमीन और जल पर निर्भर रहा है। इसलिए इस बात को शुरुआत से ही माना जाता रहा है कि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये जल संसाधनों का विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

दुनिया में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। अगर विश्व की आबादी बढ़कर 25 अरब हो जाएगी तो भी उपलब्ध पानी पर्याप्त होगा। भारत में कुल उपलब्ध पानी 16500 लाख की आबादी के लिये पर्याप्त है (1500 घन मीटर/प्रति व्यक्ति/प्रतिवर्ष)।

भूमि उर्वरता की मूल रूप में निरूपण सूक्ष्म जीवों का योगदान
Posted on 02 Aug, 2016 04:47 PM
भारत की जनसंख्या की कुल आबादी का अधिकांश भाग ग्रामीण अंचलों में बसता है। जिसके जीवन का मूल आधार कृषि पर निर्भर एवं ग्रामीण किसान व आम जनमानस का भरण-पोषण एवं पालन रोजगार के साधन की आर्थिक निर्भरता पर निहित है। आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री स्व.
प्रकृति के प्रति आदर का भाव रखें
Posted on 02 Aug, 2016 04:24 PM
प्रयाग में संगम तट क्षेत्र में माघ में प्रतिवर्ष लगने वाला संत मेला ‘खिचड़ी’ से प्रारंभ होकर ‘शिवरात्रि’ के बाद समापन हो जाता है। माघ मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग आते हैं। बहुत से लोग ‘कल्पवास’ भी करते हैं। माघ मेले के दौरान गंगा तट पर यदि आपने कुछ दिन निवास किया होगा अथवा प्रात:काल स्नान के लिये गए होंगे, तो आपने निश्चित रूप से कुछ लोगों को गंगा तट के निकट वृक्षों के नीचे बै
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