भारत

Term Path Alias

/regions/india

किसानों से सीखें मौसम का पूर्वानुमान
Posted on 08 Sep, 2009 06:17 PM

वे ऋतुओं के आधार पर गणना करते हैं, मौसम विज्ञान विभाग पश्चिम की नकल करता है


विगत आठ अप्रैल (09) को मौसम विज्ञान विभाग ने कहा था कि इस साल मानसून वक्त से पहले आ रहा है, बारिश अच्छी होगी। लेकिन ढाई महीने बाद 24 जून को उसी मौसम विभाग ने कहा कि मानसून डिले है और बारिश भी इस साल कम होगी। मौसम विभाग की किस भविष्यवाणी को सही माना जाए, यह समझ से परे है।
मनमौजी मानसूनी वर्षा
Posted on 03 Sep, 2009 04:44 PM

यह सर्व ज्ञात सत्य है कि जमीन पर तापमान में अन्तर के चलते मानसूनी हवाएं चलती हैं। इस विचारधारा के अनुसार यदि पृथ्वी पर या उसके सम्पूर्ण धरातल पर जल का या केवल स्थल का ही वितरण होता तो मानसून की उत्पत्ति न होती, किन्तु यह युक्ति ठीक वैसी ही है जैसे ``न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। ´´ अत: जमीन पर तापमान के अंतर के चलते मानसूनी हवाएं चलती हैं। वायुमण्डलीय ताप और दाब से गति उत्पन्न होती है। वाय

जल की जय हो
Posted on 02 Sep, 2009 08:00 PM

भारत में जल की बढ़ती हुई मांग और अनुपलब्धता को देखते हुए कैबिनेट कमेटी ने 2007 को जल वर्ष के रूप में अनुमोदन किया था । इस देश में पानी की उपलब्धता 4000 लाख घन मीटर है जिसमें से 2150 लाख घन मीटर पृथ्वी की निचली सतह में चला जाता है । 1150 लाख घन मीटर नदी व नालों में जल भराव के रूप में बह जाता है और 700 लाख घन मीटर भाप के रूप में नष्ट हो जाता है । हमारे देश में कुल उपलब्ध पानी से लगभग 1400 लाख हैक

जल और भारत का भविष्य
Posted on 22 Aug, 2009 08:35 PM
भारत को बहुत तेजी से पुरानी व्यवस्था को बदलकर नई व्यवस्था अपनानी चाहिए और नई पीढ़ी को पानी के मामले में मुश्किल भविष्य का सामना करने के लिए तैयार करना चाहिए।
बड़े बाँधों का लेखा-जोखा रखने वाला राष्ट्रीय रजिस्टर (2009)
Posted on 22 Aug, 2009 09:17 AM
भारत के सभी बड़े बाँधों का रिकॉर्ड रखने वाला यह नेशनल डैम रजिस्टर, भारत में स्थित सभी 5100 बड़े बाँधों का डाटा समाये हुए है। यह रजिस्टर जनवरी 2009 तक कार्य पूर्ण हो चुके 4710 बाँधों तथा निर्माणाधीन 390 बाँधों का समस्त डाटा रखता है।
पानी
Posted on 19 Aug, 2009 07:11 AM
पानी बचाये रखने की सलाह भी बुजुर्गों ने दी है और यह भी कहा है कि पानी जैसी चीज़ के लिये
हर समाज के लिए नदी एक संस्कृति है
Posted on 18 Aug, 2009 01:22 PM

नदी की प्रकृति है उसका प्रवाह। निरंतर बहते रहना ही नदी में जीवन का संचार करता है। नदी का अस्तित्व इस प्रवाह से ही है। नदी के किनारे एकाग्रचित्त होकर बैठिए और कल-कल बहते पानी को निहारिए। आपको लगेगा मानो वह कोई संदेश दे रहा है। जैसे नदी निरंतर बहती रहती है, आगे बढ़ती रहती है; वैसे ही जीवन में भी प्रवाह बना रहना चाहिए। जीवन थककर या हारकर रुकने में नहीं है; बल्कि निरंतर आगे बढ़ते रहने में है।
वर्षाजल का संचय (रेनवाटर हारवेस्टिंग) -- जल संकट दूर करने का रामबाण उपाय
Posted on 16 Aug, 2009 07:00 AM
आज विश्व के हर भाग में मनुष्यों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जरा इन तथ्यों पर गौर करें:-
सदी का सबसे भयानक सूखा सरकार ने माना
Posted on 14 Aug, 2009 07:27 PM
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि देश में वर्ष 2009 का सूखा इस सदी का सबसे भयानक सूखा है. ऐसा सूखा पिछले सौ सालों में नहीं पड़ा है.

मानसून में देरी के चलते पूरे देश में 20 फ़ीसदी बुआई कम हई है. देश के एक चौथाई जिलों में कम वर्षा के कारण सूखे की आशंका है.
सुप्रीम कोर्ट ने दी यमुना किनारे निर्माण को मंजूरी
Posted on 01 Aug, 2009 12:33 PM
जब मैं केन्द्रीय भूजल बोर्ड का अध्यक्ष रहा उस समय CGWB ने यमुना के इन जलजनित क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन किया था और उसके अनुसार इन मैदानों का रक्षण क
×