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कार्बन क्रेडिट क्या है और कैसे होती है कार्बन ट्रेडिंग?
Posted on 13 Dec, 2009 01:51 PM कार्बन अपने शुद्धतम रूप में हीरे या ग्रेफाइट में पाया जाता है । यही कार्बन, आक्सीजन, हाइड्रोजन व पानी से मिलकर प्रकाश संश्लेषण के द्वारा पौधों का भोजन तैयार करता है और यही कार्बन सूर्य की उष्मा को रोककर पृथ्वी का तापमान बढ़ाता रहा है । यह कार्बन इस वातावरण का ऐसा तत्व है जो नष्ट नहीं होता, विज्ञान के अनुसार जो पेड़ व जीव के शरीर का कार्बन था उसने ही जमीन के भीतर जाकर एक ऐसा योगिक बनाया जिसे हाइड्र
pankaj chaturvedi
लोक बुद्धि की जीवट यात्रा
Posted on 03 Nov, 2009 03:30 PM इस सृष्टि की रचना जल से हुई है और मनुष्य ही नहीं; समूची सृष्टि को निर्मित करने वाले क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर नामक पंचभूतों में एक जल भी है। मानव जाति का इतिहास भी जल से जुड़ा हुआ है। आदमी की आदि प्रजाति अमीबा की उत्पत्ति जल के बिना संभव ही नहीं थी। अधिकांश सभ्यताओं का विकास भी नदियों के किनारे हुआ है। आज भी महत्वपूर्ण नगर किसी न किसी नदी के किनारे ही अवस्थित हैं।
सूखा साल सुलगते सवाल
Posted on 30 Oct, 2009 05:59 PM

पहले कई हिस्सों में भारी बारिश, फिर बिन बरसात लंबा दौर और अब लगभग पूरे देश में सूखा। मानसून के छल ने कई सवाल सुलगा दिए हैं। भीषण महंगाई से जूझते लोग चौपट फ़सल और पेयजल संकट की मार में कैसे बचे रह पाएंगे? इस चौतरफ़ा संकट में सवाल उबरने और बचे रहने का है..

जेंडर, वाटर एंड इक्विटी - प्रशिक्षण कार्यशाला
Posted on 24 Oct, 2009 03:52 PM

दिनांक : 23 नवम्बर 2009 (सोमवार) से 27 नवम्बर 2009 (शुक्रवार) तक


तृतीय जेंडर, वाटर एंड इक्विटी ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन इस वर्ष दक्षिण एशिया में आयोजित करने का फ़ैसला किया गया है। यह आयोजन 23 से 27 नवम्बर 2009 के बीच होगा जिसके आयोजन स्थल के बारे में जानकारी बाद में दी जायेगी।

इस वर्कशॉप में सहभागिता के क्या-क्या लाभ हैं -

water scarcity
नदियां क्यों बाढ़ लाती हैं
Posted on 07 Oct, 2009 08:29 AM

शहरीकरण के कूड़े ने समस्या को बढ़ाया है। यह कूड़ा नालों से होते हुए नदियों में पहुंचता है, जिससे नदी की जल ग्रहण क्षमता कम होती है। पिछले तीन दशकों में पूरे देश में यह रोग बुरी तरह से लगा कि पारंपरिक तालाब, बावड़ी सुखा कर उस पर रिहायशी कालोनी या व्यावसायिक परिसर बना दिए जाएं। प्राकृतिक रूप से बने तालाब व पहाड़ जल संचयन के सशक्त स्रेत और बाढ़ से बचाव के जरिए हुआ करते थे। प्रकृति के इस जोड़-घटाव

सुरक्षा कवच को चाहिए सुरक्षा
Posted on 06 Oct, 2009 07:40 AM

1980 में ओज़ोन का छेद 3.27 मीलियन स्कवेयर किमी में फैला था, जो 2007 में बढ़कर 25.02 मीलियन स्कवेयर किमी हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसी तेज़ी से ओज़ोन नष्ट होती रही, तो 2054 तक धरती के आस-पास से ओज़ोन का सुरक्षा कवच समाप्त हो जाएगा..

Global warming
समुद्री पानी का अ-लवणीकरण
Posted on 05 Oct, 2009 05:10 PM


आपको कैसा लगेगा, यदि कोई आपसे पूछे कि क्या आप गला तर करने के लिये समुद्र के ताजे पानी का एक गिलास लेंगे? ज़ाहिर है कि आप इसे मजाक समझेंगे, क्योंकि समुद्र का पानी पीने के लायक नहीं होता… लेकिन निकट भविष्य में यह सम्भव होने जा रहा है। न सिर्फ़ तकनीक और विज्ञान के जरिये इसे सुलभ और आसान बनाया जायेगा, बल्कि कुछ देशों में इस दिशा में काम हो चुका है जबकि कुछ देशों में प्रगति पर है।

सूखी धरती पर कैसे करें खेती
Posted on 28 Sep, 2009 07:19 AM
भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 9 प्रतिशत (31.7 करोड़ हैक्टर) शुष्क (एरिड) क्षेत्र है । इस शुष्क क्षेत्र का सबसे अधिक भाग (62 प्रतिशत) अकेले राजस्थान राज्य में है । शेष क्षेत्र गुजरात (19 प्रतिशत), पंजाब व हरियाणा (9 प्रतिशत), कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत) राज्यों में है ।
जलवायु परिवर्तन पर कोपेन हेगेन सम्मेलन
Posted on 26 Sep, 2009 06:56 AM

सन् 1972 में स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में मानव वातावरण पर एक सम्मेलन हुआ था। सबसे पहले यहीं बदलते पर्यावरण पर विचार-विमर्श हुआ, फिर 1992 में रियो द जनेरो में अर्थ समिट हुआ जहां पर्यावरण को लेकर चिंता जाहिर की गई और यह माना गया कि कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं की गयी तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस दौरान बैठकों का दौर चलता रहा और अब आने वाले दिसंबर में कोपेन हेगन में
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