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चैत अमावस मूल को
Posted on 17 Mar, 2010 04:31 PM
चैत अमावस मूल को, सरसै चारो बाय।
निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।।


शब्दार्थ- सरसै – बहना।

भावार्थ- यदि चैत्र मास की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा बहने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की सम्भावना है।

चैत मास जो बीजु बिजोवै
Posted on 17 Mar, 2010 04:26 PM
चैत मास जो बीजु बिजोवै।
भरि बैसाखहिं टेसू धौवे।।


भावार्थ- चैत महीने में यदि बादलों में बिजली चमके तो समझ लेना चाहिए कि बैसाख महीने में पानी इतना बरसेगा कि टेसू (पलाश के फूल) धपल जायेंगे।

चैत मास दसमी खड़ा
Posted on 17 Mar, 2010 04:15 PM
चैत मास दसमी खड़ा, बादर बिजुरी होय।
तौ जाने चित मांहि यह, गर्भ गलल सब जोय।।


शब्दार्थ- गरभ – गर्भ, गलल – गल गया।

चैत शुक्ल की दशमी को यदि बादल हों और बिजली चमक रही हो तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा का गर्भ गल गया है अर्थात् चौमासे में वृष्टि बहुत कम होगी।

चमके पच्छिम उत्तर कोर
Posted on 17 Mar, 2010 04:06 PM
चमके पच्छिम उत्तर कोर।
तब जान्यो पानी है जोर।।


भावार्थ- जब पश्चिम और उत्तर के कोने पर बिजली चमके तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा तेज होने वाली है।

चित्रा बरसे तीन जायँ
Posted on 17 Mar, 2010 04:00 PM

चित्रा बरसे तीन जायँ,
मोथी मास उखार।


भावार्थ- चित्रा नक्षत्र की वर्षा मोथी (मूँग की तरह का एक अन्न) उड़द और ऊख के लिए नुकसानदायक होती है।

चढ़त जो बरसै चित्रा
Posted on 17 Mar, 2010 03:54 PM
चढ़त जो बरसै चित्रा, उतरत बरसै हस्त।
कितनौ राजा डाँड़ ले, हारे नाहिं गृहस्त।।


शब्दार्थ- डाँड़-दण्ड, कर।

भावार्थ- यदि चित्रा नक्षत्र के लगने पर और हस्त नक्षत्र के उतरने पर वर्षा होती है तो फसल इतनी अच्छी होती है कि राजा चाहे जितना कर (मालगुजारी) लें, किसान को देने में कष्ट नहीं होता है।

चैत के पछिवाँ भादौ जला
Posted on 17 Mar, 2010 03:47 PM
चैत के पछिवाँ भादौ जला। भादौ पछिवाँ माघ के पला।।

भावार्थ- यदि चैत के महीने में पछुवा हवा चले तो समझ लो कि भादों महीने में अच्छी वर्षा होगी और यदि भादों के महीने में पश्चिमी वायु बहे तो समझो कि माध में पाला पड़ने वाला है।

कातिक सुदि पूनो दिवस
Posted on 17 Mar, 2010 03:34 PM
कातिक सुदि पूनो दिवस, जो कृतिका रिख होई।
तामें बादर बीजुरी, जो संजोग सो होई।।

चार मास तब बरखा होखी,

भली-भाँति यह भाखे जोसी।।


शब्दार्थ – रिख-नक्षत्र।
कातिक सुदी एकादसी
Posted on 17 Mar, 2010 03:26 PM
कातिक सुदी एकादसी, बादल बिजुली होय।
तो असाढ़ में भड्डरी, बरखा चोखी होय।।


शब्दार्थ – चोखी-तेज, अधिक।

भावार्थ – यदि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को बादलों में बिजली चमके तो भड्डरी के कथनानुसार आषाढ़ में वर्षा अधिक होगी।

करिया बादर जीउ डरवावै
Posted on 17 Mar, 2010 03:21 PM
करिया बादर जीउ डरवावै।
भूरा बादर पानी लावै।।


भावार्था – आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाये हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे, परन्तु यदि बादल भूरे हैं तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।

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