Posted on 17 Mar, 2010 04:31 PM चैत अमावस मूल को, सरसै चारो बाय। निश्चय बांधो झोपड़ी, बरखा होय सिवाय।।
शब्दार्थ- सरसै – बहना।
भावार्थ- यदि चैत्र मास की अमावस्या को मूल नक्षत्र पड़े और हवा चौतरफा बहने लगे तो रहने के लिए झोपड़ी छा लेनी चाहिए क्योंकि वर्षा तेज होने की सम्भावना है।
Posted on 17 Mar, 2010 03:54 PM चढ़त जो बरसै चित्रा, उतरत बरसै हस्त। कितनौ राजा डाँड़ ले, हारे नाहिं गृहस्त।।
शब्दार्थ- डाँड़-दण्ड, कर।
भावार्थ- यदि चित्रा नक्षत्र के लगने पर और हस्त नक्षत्र के उतरने पर वर्षा होती है तो फसल इतनी अच्छी होती है कि राजा चाहे जितना कर (मालगुजारी) लें, किसान को देने में कष्ट नहीं होता है।
Posted on 17 Mar, 2010 03:47 PM चैत के पछिवाँ भादौ जला। भादौ पछिवाँ माघ के पला।।
भावार्थ- यदि चैत के महीने में पछुवा हवा चले तो समझ लो कि भादों महीने में अच्छी वर्षा होगी और यदि भादों के महीने में पश्चिमी वायु बहे तो समझो कि माध में पाला पड़ने वाला है।
Posted on 17 Mar, 2010 03:21 PM करिया बादर जीउ डरवावै। भूरा बादर पानी लावै।।
भावार्था – आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाये हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे, परन्तु यदि बादल भूरे हैं तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।