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मंगलवारी मावसी
Posted on 20 Mar, 2010 12:01 PM
मंगलवारी मावसी, फागुन चैती जोय।
पशु बेंचो कन संग्रहो, अवसि दुकाली होय।।


शब्दार्थ- मावसी-अमावस्या। कन-अनाज। अवसि-अवश्य। दुकाली- अकाल।

भावार्थ- यदि फागुन और चैत्र की अमावस्या को मंगल पड़े तो समझ लेना चाहिए कि अकाल पड़ने वाला है इसलिए पशुओं को बेचकर अन्न एकत्र करना शुरु कर दो।

माघ सुदी तो सत्तमी सोमवार दीसन्त
Posted on 20 Mar, 2010 11:53 AM
माघ सुदी तो सत्तमी सोमवार दीसन्त।
काल पड़ै राजा लड़ै, सगरे नरा भ्रमन्त।।


भावार्थ- यदि माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सोमवार पड़े तो निश्चय ही अकाल पड़ेगा, राजा युद्धरत होगा और सारे मनुष्य भटकते फिरेंगे।

माघ उजेरी पंचमी सरसै उत्तम बाय
Posted on 20 Mar, 2010 11:47 AM
माघ उजेरी पंचमी सरसै उत्तम बाय।
तो जानो ये भादवौं बिन कोरौ जाय।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल पंचमी को अच्छी हवा चले तो भादों में वर्षा के आसार नहीं है अर्थात् भादों सूखा जायेगा।

भोर समै डरडम्बरा
Posted on 20 Mar, 2010 11:38 AM
भोर समै डरडम्बरा, रात उजेरी होय।
दुपहरिया सूरज तपै, दुरभिछ तेऊ जोय।।


शब्दार्थ- डरडम्बरा – आकाश में बादल

भावार्थ- यदि सुबह आसमान में बादल हों और रात्रि में आसमान स्वच्छ हो औऱ दोपहर में सूर्य तपे अर्थात कड़ी धूप हो तो निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है।

भादों बदी एकादसी
Posted on 20 Mar, 2010 11:34 AM
भादों बदी एकादसी, जो ना छिटकै मेघ।
चार मास बरसै नहीं, कहै भड्डरी पेख।।


शब्दार्थ- बदी-कृष्ण पक्ष। पेख-देखना।

भावार्थ- भड्डरी का कहना है कि यदि भादों कृष्ण एकादशी को आसमान में बादल न दिखाई दें तो समझ लेना चाहिए कि चार महीने पानी नहीं बरसेगा।

बोली लोखरि फूली काँस
Posted on 20 Mar, 2010 11:28 AM
बोली लोखरि फूली काँस।
अब नाहिंन बरखा कै आस।।


भावार्थ- यदि लोमड़ी बोलने लगे और कांस फूलने लगे तो समझ लेना चाहिए कि अब वर्षा की कोई आशा नहीं है।

पहिला पानी भरिगा ताल
Posted on 20 Mar, 2010 11:19 AM
पहिला पानी भरिगा ताल,
घाघ कहै अब परिगा अकाल।


भावार्थ- वर्षा के पहले पानी से ही यदि ताल भर जायँ तो घाघ कहते हैं कि अकाल पड़ना तय है।

पाँच मंगरी फागुनी
Posted on 20 Mar, 2010 11:13 AM
पाँच मंगरी फागुनी, पूस पाँच सनि होय।
काल पड़े तब भड्डरी, बीज बोअइ मति कोय।।


भावार्थ- फागुन मास में पांच मंगलवार और पौष मास में यदि पाँच शनिवार पड़े तो भड्डरी के अनुसार निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है और कोई बीज न बोये क्योंकि उससे कोई लाभ नहीं होगा।

पुष्य पुनर्बस भरे न ताल
Posted on 20 Mar, 2010 11:08 AM
पुष्य पुनर्बस भरे न ताल।
तो फिर भरिहैं अगली साल।।


भावार्थ- यदि पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्रों की वर्षा से ताल-तलैया न भरें तो फिर अगले वर्ष ही भरेंगे अर्थात् सूखा पड़ने के आसार है।

पहिलै पानि नदी उफनायँ
Posted on 20 Mar, 2010 11:02 AM
पहिलै पानि नदी उफनायँ।
तो जानियौ कि बरखा नायँ।।


भावार्थ- यदि पहली वर्षा के पानी से नदियाँ उफना जायँ तो समझ लें कि अब आगे वर्षा होने की सम्भावना नहीं है।

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