Posted on 23 Mar, 2010 01:14 PM खेते पाँसा जो न किसाना। उसके घरे दरिद्र समाना।।
शब्दार्थ- पाँसा- खाद, पास।
भावार्थ- जो कृषक अपने खेत में खाद नहीं डालता, उसके घर में दरिद्रता का वास होता है। एक अन्य आशय यह भी है कि जो किसान कभी खेत के समीप नहीं जाता है सदा दूसरों से ही खेती कराता है उसके घर में दरिद्रता निवास करती है।
Posted on 23 Mar, 2010 12:45 PM हरिन फलांगन काकरी, पैगे पैग कपास। जाय कहो किसान से, बोवै घनी उखार।।
शब्दार्थ- उखार-ईख, गन्ना।
भावार्थ- हिरण के एक छलांग की दूरी पर ककड़ी और मनुष्य के कदम-कदम की दूरी पर कपास का बीज बोना चाहिए। घाघ का कहना है कि किसान से जाकर कहो कि ईख को घनी बोवे।