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जहँ देखो पटवा की डोर
Posted on 24 Mar, 2010 10:36 AM
जहँ देखो पटवा की डोर।
तहवाँ दीजै थैली छोर।।


शब्दार्थ- पटवा-पीला।

भावार्थ- जहाँ पीले रंग का बैल दिखाई पड़े, उसे कुछ अधिक कीमत देकर भी खरीद लेना चाहिए।

जहाँ देखिहों रूपा धवर
Posted on 24 Mar, 2010 10:34 AM
जहाँ देखिहों रूपा धवर।
सुका चार बरु दीह अवर।।


शब्दार्थ- धवर-धवरा का सफेद। सुका- चार आना, चवन्नी।

भावार्थ- सफेद रंग के बैल के लिए चार सुका अर्थात कुछ अधिक दाम भी देना पड़े तो खरीद लेना चाहिए।

जहाँ परै फुलवा की लार
Posted on 24 Mar, 2010 10:32 AM
जहाँ परै फुलवा की लार।
झाड़ू लैके बुहारो सार।।


भावार्थ- जिस स्थान पर फुलवा नस्ल के बैल की लार गिरे उसे तत्काल झाड़ू से बुहार देना चाहिए।

जोतै क पुरबी लादै क दमोय
Posted on 24 Mar, 2010 10:31 AM
जोतै क पुरबी लादै क दमोय।
हेंगा क काम दे जो देवहा होय।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि जुताई के लिए पूर्वी नस्ल का, लादने के लिए दमोय नस्ल का और हेंगा के लिए देवहा नस्ल का बैल उत्कृष्ट होता है।

जहँवा देखिहाँ लोह बैलिया
Posted on 24 Mar, 2010 10:29 AM
जहँवा देखिहाँ लोह बैलिया।
तहँवा दीह खोलि थैलिया।।


भावार्थ- यदि लाल रंग का बैल दिख जाए तो उसे तत्काल खरीद लेना चाहिए।

छोट सींग औ छोटी पूँछ
Posted on 24 Mar, 2010 10:27 AM
छोट सींग औ छोटी पूँछ।
ऐसे को ले लो बेपूछ।।


भावार्थ- यदि बैल के सींग और पूँछ दोनों छोटी हों तो उसे बिना पूछे ही खरीद लेना चाहिए।

छद्दर कहै मैं आऊँ जाऊ
Posted on 24 Mar, 2010 10:26 AM
छद्दर कहै मैं आऊँ जाऊ। सद्दर कहै गुसैयें खाऊँ।।
नौदर कहै में नौ दिस धाऊँ। हित कुटुम्ब उपरोहित खाऊँ।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि जिस बैल के छः दाँत होते हैं वह कहीं ठहरता नहीं, सात दाँत वाला मालिक को ही खा जाता है और नौ दाँत वाला नौ दिशाओं में दौड़ता है एवं किसान के मित्र, कुटुम्बी और पुरोहित को खा जाता है।

छोटा मुँह औ ऐंठा कान
Posted on 24 Mar, 2010 10:24 AM
छोटा मुँह औ ऐंठा कान।
यहि बैल की है पहचान।।


भावार्थ- किसान को सदैव छोटे मुँह और ऐंठे कान वाले बैलों को खरीदना चाहिए।

घोंची देखै ओहि पार
Posted on 24 Mar, 2010 10:21 AM
घोंची देखै ओहि पार।
थैली खोलै यहि पार।।


भावार्थ- आगे मुड़े सींग वाला बैल यदि नदी के उस पार दिखायी पड़े तो उसे खरीदने के लिए इसी पार से पैसे की थैली खोल लेनी चाहिए अर्थात् यदि महँगा मिले तो भी खरीद लेना चाहिए।

इस कहावत का एक अन्य रूप भी मिलता है-

ओही पार जब देखिह मैना।
एही पार से फेंकिह बैना।।

कार कछौटी झबरें कान
Posted on 24 Mar, 2010 10:19 AM
कार कछौटी झबरें कान।
इन्हैं छाँडि जनि लीजौ आनि।।


भावार्थ- कृषक को काले कच्छ और झबरे कान वाले बैल को छोड़ कर दूसरा नहीं खरीदना चाहिए।

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