Posted on 25 Mar, 2010 10:21 AM नीचन से ब्योहार बिसाहा, हँसि के मांगे दम्मा, आलस नींद निगोड़ी घेरे, घघ्घा तीनि निकम्मा।
भावार्थ- जो लोग बुरे लोगों से मित्रता करते है, हँसकर अपना पैसा माँगते हैं और जिन्हें आलस्य या नींद हर समय घेरे रहती है, ये तीनों निकम्मे यानी बेकार होते हैं।
Posted on 25 Mar, 2010 10:19 AM निहपछ राजा मन हो हाथ, साधु परोसी नीमन साथ। हुकुमी पूत धिया सतवार, तिरिया भाई रखे विचार।। कहै घाघ हम करत विचार, बड़े भाग से दे करतार।।