Posted on 25 Mar, 2010 12:07 PM सावन घोड़ी भादौं गाय। माघ मास जो भैंस बिआय।। कहैं घाघ यह साँची बात। आप मरै कि मालिकै खाय।।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि घोड़ी सावन में और गाय भादों में और भैंस माघ के महीने में बच्चा देती है तो या तो वह स्वयं मर जायेगी या अपने मालिक को खा जायेगी।
Posted on 25 Mar, 2010 11:56 AM माघ पूस की बादरी, औ कुँवारा घाम। ये दोनों जो कोइ सहै, करै पराया काम।।
भावार्थ- माघ और पूस महीने की बदली और क्वार की धूप को जो सहन कर ले, वही दूसरे का काम कर सकता है क्योंकि माघ और पूस में ठंडी बहुत होती है और क्वार में धूप अधिक तेज होती है।
Posted on 25 Mar, 2010 11:48 AM बाछा बैल, बहुरिया जोय, ना घर रहै न खेती होय।
भावार्थ- जो किसान नये बछड़ो को बैल बनाकर खेती करता है और जिसकी पत्नी नई-नवेली हो, तो न तो उस किसान की खेती अच्छी हो पाती है और न ही वह घर संभल पाता है।