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क्यों बरसात होती है
Posted on 21 Jan, 2009 08:05 PM

वैसे तो हर बारिश में ही भीगने का मन होता है, पर मानसून की बात ही कुछ अलग है। मानसून तन को ही नहीं मन को भी भिगोता है - हर किसी के मन को। लोगों के तन मन ही को नहीं - नदी पहाड़, खेत खलिहान, हाट बाजार सभी के मन को। किसी को यह रोमांच देता है, किसी को खुशी, किसी को ताजगी तो किसी को नया जीवन। और यह सब करने वाला मानसून इस धरती का अपनी तरह का अकेला नाटकीय घटनाक्रम है। मानसूनी जलवायु काफी बड़े भूभाग को

फोटो साभार - अमर उजाला
ब्रेल लिपी में
Posted on 21 Jan, 2009 08:28 AM

'आज भी खरे हैं तालाब'

'आज भी खरे हैं तालाब' एक और इतिहास रचते हुए अब ब्रेल लिपी में भी उपलब्ध हो गयी है। ४ जनवरी १८०९ को फ्रांस में जन्मे ब्रेल लिपि के निर्माता लुई ब्रेल दृष्टिबाधित लोगों के लिए ज्ञान के चक्षु बन गए। उनके 200वें जन्मदिन के अवसर पर 'आज भी खरे हैं तालाब' को ब्रेल लिपी में छापा गया है। अपने देश में बेजोड़ सुंदर तालाबों की कैसी भव्य परंपरा थी, पुस्तक उसका पूरा दर्शन कराती है
बरसा सौ कोस....
Posted on 20 Jan, 2009 07:42 AM

`घाघ´ कहें, बरसा सौ कोस....


अगर चींटियां नन्हें कदमों से बड़ी तेजी से चलते हुए अपने अंडों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहीं हों, कौवे भी महफूज स्थानों पर घौसलें खोज रहे हो, मोर मस्त होकर झूम रहे हों, टिटिहरी टी...टी..टी...करती घूम रही हो तो समझ लीजिए कि मानसून आने वाला है।

जीव जंतुओं की ये गतिविधियां मानसून के आने के प्रचलित और लोकप्रिय पूर्वानुमान हैं। उत्तर भारत में बरखा रानी के आने का समय कवि `घाघ´ कुछ इस तरह बताते हैं -

दिन में बद्दर, रात निबद्दर
बहे पुरवइया,झब्बर-झब्बर
दिन में गरमी,रात में ओस
`घाघ´ कहें, बरसा सौ कोस

पानी का केन्द्रीय बजट
Posted on 16 Jan, 2009 10:11 AM वित्तमंत्री ने सन 2007-08 का आम बजट पेश करते समय बजट भाषण में सर्वहितकारी वृद्धि, कृषि क्षेत्र के लिए उच्च प्राथमिकता एवं द्वितीय हरित क्रांति का नारा देकर सबको लुभाने की कोशिश की थी। यदि हम बजट को ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र के नजरिये से देखते हुए इस पर गहराई से नजर डालें तो पता चलता है कि वित्त मंत्री ने जो नारा दिया था उसे करनी में नहीं बदला।
फव्वारा सिंचाई
Posted on 11 Jan, 2009 07:54 AM

फव्वारा द्वारा सिंचाई एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा पानी का हवा में छिड़काव किया जाता है और यह पानी भूमि की सतह पर कृत्रिम वर्षा के रूप में गिरता है। पानी का छिड़काव दबाव द्वारा छोटी नोजल या ओरीफिस में प्राप्त किया जाता है। पानी का दबाव पम्प द्वारा भी प्राप्त किया जाता है। कृत्रिम वर्षा चूंकि धीमें-धीमें की जाती है, इसलिए न तो कहीं पर पानी का जमाव होता है और न ही मिट्टी दबती है। इससे जमीन और हव

फव्वारा सिंचाई
सतही सिंचाई प्रणाली
Posted on 10 Jan, 2009 10:03 AM

भारत में अधिकतर कृषि योग्य क्षेत्रों में सतही सिंचाई होती है। इसमें प्रमुख है नहरों से नालियों द्वारा खेत में पानी का वितरण किया जाना तथा एक किनारे से खेत में पानी फैलाया जाना है। इस प्रणाली में खेत के उपयुक्त रूप से तैयार न होने पर पानी का बहुत नुकसान होता है। यदि खेत को सममतल कर दिया जाए तो इस प्रणाली में भी पानी की बचत की जा सकती है। आजकल लेजर तकनीक से किसान अपना खेत समतल कर सकते हैं। इससे ज

surface irrigation
जलवायु परिवर्तन का जल संसाधनों पर प्रभाव
Posted on 06 Jan, 2009 12:23 PM जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ेगा इस मुद्दे पर केन्द्रीय जल आयोग और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के संयुक्त संयोजन तथा जल संसाधन मंत्रालय के मार्गदर्शन में तैयार की गई यह रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई पहली आधिकारिक रिपोर्ट है। जलवायु परिवर्तन का जल संसाधनों, ग्लेशियरों और बर्फ पिघलनें, नदी व्यवस्था के अपवाह और भूजल में उनके योगदान पर प्रभाव आदि पर विस्तृत फील्ड डाटा इ
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