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पानी नहीं होगा तो क्या होगा
Posted on 06 Jan, 2011 09:35 AM

क्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो चेतें।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन की बाढ़
Posted on 04 Jan, 2011 09:12 AM
हाल में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि 2030 तक देश को जलवायु परिवर्तन के गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे

'भारत पर जलवायु परिवर्तन का असर' नामक यह रिपोर्ट पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश, प्रोद्यौगिकी मंत्री कपिल सिब्बल और जाने-माने वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन ने जारी की। इस रिपोर्ट में भारत के हिमालय, पश्चिमी घाट, तटवर्ती क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि, पानी, स्वास्थ्य और वन क्षेत्रों पर वर्ष 2030 तक पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया है।
झरना
Posted on 03 Jan, 2011 12:01 PM

यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है। इसका शीर्षक है- उमंग। उमंग में प्रस्तुत है-उमंग की पर्यावरण श्रंखला में प्रस्तुत है झरना। सुनने के लिये क्लिक करें.....

 

 

 

water fall
नदी
Posted on 03 Jan, 2011 11:52 AM

यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा बनाई गयी है। पर्यावरण संकलन में 'नदी' अपनी व्यथा सुना रही है। सुनने के लिये क्लिक करें....
 

river
बादल की एक यात्रा
Posted on 03 Jan, 2011 11:27 AM एक था बादल। छोटा-सा बादल। एकदम सूखा और रूई के फाहे सा कोमल। उसे लगता - यदि मैं पानी से लबालब भर जाऊँ, तो कितना मजा आए! फिर मैं धरती पर बरसूँगा, मेरे पानी से वृक्ष ऊगेंगे, पौधे हरे-भरे होंगे, सारी धरती पर हरियाली छा जाएगी... खेत अनाज की बालियों से लहलहाएँगे... ये सभी देखने में कितना अच्छा लगेगा! लेकिन इतना पानी मैं लाऊँगा कहाँ से?
सच्चा मित्र- पेड़
Posted on 01 Jan, 2011 05:27 PM

यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है। इसका शीर्षक है- उमंग। उमंग में सबसे पहले प्रस्तुत है-सच्चा मित्रः पेड़। सुनने के लिये क्लिक करें.....

 

 

 

tree
हम क्या उगाते हैं
Posted on 01 Jan, 2011 04:59 PM

यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है। इसमें कक्षा-5 की पुस्तक रिमझिम में संकलित कविता हम क्या उगाते है को गीत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कविता सुनने के लिये क्लिक करें.....

 

 

 

agriculture
छोटी सी हमारी नदी
Posted on 01 Jan, 2011 02:31 PM

यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है। इसमें कक्षा-5 की पुस्तक रिमझिम में संकलित कविता छोटी सी हमारी नदी को गीत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कविता कवि रविंद्न नाथ टैगोर द्वारा रचित है। इस कविता में नदी और मानव के संबंध को शब्दों में गूंथा गया है। लेकिन आज नदियों की क्या दशा हो गई है जानने के लिये सुनिये.....

 

 

 

river
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