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मुश्किल है पर्यावरण प्रभाव का आकलन
Posted on 15 Mar, 2011 10:34 AM

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय हर महीने 80 से 100 परियोजनाओं को अनुमति देता है।

 

विकास का पर्यावरणीय आकलन
Posted on 12 Mar, 2011 04:31 PM

असल में विकसित और अधिकांश विकासशील देशों के विकास का ढांचा ही असंतुलित है जिसे पृथ्वी बर्दाश्त

ग्लोबल वार्मिंग और लापरवाह वैश्विक रवैया
Posted on 12 Mar, 2011 10:45 AM

अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि सभी क्षेत्रों खासकर तटीय शहरों, खेतों, जलीय इलाकों और समूचे पर्यावरण तंत्र पर वैश्विक तापमान वृद्धि का प्रभाव पड़ेगा। वर्ष 2060 तक तापमान की यह वृद्धि 4 डिग्री सेल्सियस तक हो सकती है। इससे खाद्य संकट बढ़ जाएगा और तटीय इलाकों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। कुछ इलाके डूब भी जाएंगे। धरती के गरमाने से एशिया के समुद्र तटीय

सहजनः स्वर्ग का पेड़
Posted on 12 Mar, 2011 10:11 AM पिछले कुछ अर्से से पर्यावरणविद टिकाऊ विकास की बातें कर रहे हैं। टिकाऊ विकास यानि ऐसा विकास, जो लम्बे समय तक हमारा साथ दे, हमारे प्राकृतिक संसाधनों को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें देर तक उपलब्ध बनाएं रखें, हमारी आर्थिक वृद्धि भी बाधित न हो और पर्यावरण भी शुद्ध बना रहे और प्राकृतिक संसाधनों का समुचित दोहन हो पर प्राकृतिक विनाश नहीं हो। कुल मिलाकर यही है स्थायी विकास या टिकाऊ विकास। दरअसल, यह अवधारणा 1987 में ब्रुटलेण्ड की चर्चित पुस्तक ‘‘अवर कॉमन फ्यूचर‘ से निकली है। जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि हमारे प्राकृतिक संसाधन अनुकूल और अमिट नहीं हैं। हमारे जंगल, कोयला, पेट्रोल और पीने लायक साफ पानी सभी बड़ी तेजी से घट रहे हैं। अतः अब आगे विकास ऐसा होना चाहिए जिसमें ‘‘धरती की सेहत‘‘ का भी ख्याल रखा जाए।
भूमि-जल संवर्धन पुरस्कार और राष्ट्रीय जल पुरस्कार
Posted on 10 Mar, 2011 05:28 PM

1. सरकार ने भूजल संसाधन के संवर्धन को बढ़ावा देने

, जल उपयोग दक्षता, जल के पुनर्चक्रण एवं पुनरुपयोग को प्रोत्साहित करने और जल प्रयोक्ताओं के बीच जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू किये हैं।

2. पुरस्कार वर्षा जल संचयन एवं कृत्रिम पुनर्भरण

के माध्यम से भूजल संसाधन के संवर्धन की नूतन पद्धतियां अपनाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ)/ग्राम पंचायतों/शहरी स्थानीय निकायों (1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले)/संस्थाओं/निगमित क्षेत्र और व्यक्तियों को बढ़ावा देने, जल उपयोग दक्षता, जल के पुनर्चक्रण एवं पुनरुपयोग को प्रोत्साहित करने और लक्षित क्षेत्रों में जनता की भागीदारी से जागरुकता पैदा करने हेतु उल्लेखनीय योगदान के लिए दिए जाएंगे जिनके परिणामस्वरूप दावाधारकों के
मैला ढोने वाली मालगाड़ी बन कर रह गई हैं नदियाँ: राजेंद्र सिंह
Posted on 10 Mar, 2011 12:08 PM

देश में पानी को लेकर राजेंद्र सिंह ने राह दिखाई है। राजस्थान के कई इलाके जो एकदम बंजर और सूखे हुए थे, वहां आम जनता के श्रमदान से उन्होंने तस्वीर ही बदल दी। आज ऐसे इलाकों में हर तरफ पानी है और हरियाली भी। राजेंद्र सिंह को पानी पर उनके कार्य के लिए प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार से नवाजा गया था। देश में पानी की स्थिति पर उनसे हुई बातचीत।

पेप्सी-कोक का आर्थिक साम्राज्य
Posted on 10 Mar, 2011 11:56 AM

इन्हें स्कूल की कैण्टीन से बाहर करें, खेलकूद के मैदान से और बस अड्डों से बाहर करें। छतरियों, कुर्सियों, दुकानों की दीवारों, टी शर्टों और हार्डिंग्स से इन्हें बाहर करें। वैश्विक गाँव में वैश्विक उपनिवेशवादियों के चंगुल में भारत को नहीं फँसने देना है। दुनिया के स्तर पर परिवर्तन बहुत तेजी से हुआ है। राष्ट्र कमजोर हुए हैं, बाजार मजबूत हुआ है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ वैश्विक ताकत हैं। दुनिया में नई ग

पानी की भारतीय जीवन दृष्टि
Posted on 10 Mar, 2011 11:37 AM पानी के बारे में यह दृश्य भारतीय संस्कृति में इतनी गहरी हो गई है क
विश्वबैंक, मुद्राकोष और डब्ल्यूटीओ हैं असली नीति निर्माता
Posted on 10 Mar, 2011 10:02 AM पानी की बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और उनके एसोसिएशन- यूएस कोलिशन ऑफ सर
अभी भी सपना है ग्रामीण शुद्ध पेयजल की उपलब्धता
Posted on 10 Mar, 2011 09:27 AM

ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम: अनेक कामों में इस्तेमाल होने वाला जल हमारी दैनिक जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। शुद्ध पेयजल के महत्व को किसी भी प्रकार से कम नहीं किया जा सकता। जल के शुद्ध न होने पर अनेक बीमारियां हो जाती हैं। पेयजल राज्य विषय है और इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुविधायें उपलब्ध कराने की योजनाएं राज्य सरकारें अपने संसाधनों से चलाती हैं। भारत सरकार इस कार्य के लिये त्वर

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