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पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता से मानव शरीर पर कुप्रभाव
Posted on 28 Dec, 2015 12:34 PM फ्लोरोसिस आधुनिक भारतीय समाज (खासकर ग्रामीण समाज) का वह अभिशाप है जो सुरसा की तरह मुॅंह फैलाए जा रही है और हजारों लोग प्रतिवर्ष इसकी चपेट में आकर वैसा ही महसूस कर रहे हैं जैसा कोई अजगर की गिरफ़्त में आकर महसूस करता है।

फ्लोरोसिस मनुष्य को तब होता है जब वह मानक सीमा से अधिक घुलनशील फ्लोराइड-युक्त पेयजल को लगातार पीने के लिये व्यवहार में लाता रहता है।

भारत में फ्लोरोसिस सर्वप्रथम सन् 1930 के आस-पास दक्षिण भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश में देखा गया था। लेकिन आज भारत के विभिन्न राज्यों में यह बिमारी अपने पाँव पसार चुकी है और दिन-प्रतिदिन इसका स्वरूप विकराल ही होता चला जा रहा है।
सैलाब का सबक
Posted on 27 Dec, 2015 09:54 AM
चेन्नई में जन्मे, पले-बढ़े और जीवन के आखिरी पड़ाव पर खड़े लोगों के लिये भी इस बार की बारिश और बाढ़ विस्मयकारी थी। एक दिन में इतनी बारिश तो पिछले सौ साल में भी नहीं हुई थी। ऐसे में बाढ़ की विभीषिका से चेन्नई को तो दो- चार होना ही था। चिन्ता की बात ये है कि साल 2015 में जिस अल नीनो प्रभाव को वैज्ञानिक इस भारी बरसात का कारण मान रहे हैं, उसके खतरे अभी भी खत्म नहीं हुये हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि
प्रलय की ओर दौड़ता सभ्यता रथ
Posted on 27 Dec, 2015 09:18 AM
समूची सभ्यता टैकनॉलॉजी के रथ पर सवार है। विकास का यह रथ तेज और तेज गति से दौड़ लगा रहा है। सभ्यता भी इस दौड़ का अभी तो आनन्द ले रही है, पर साथ ही भावी संकेतों को देखकर अपने अस्तित्व रक्षा के लिये चिन्तातुर भी है।
मुम्बई में प्रदूषण कल, आज और कल
Posted on 26 Dec, 2015 02:18 PM

मुम्बई में ध्वनि और वायु प्रदूषण का प्रारम्भ मोटर वाहनों, कोयला से चलने वाले बिजली घरों औ

सफाई अभियान का एकमात्र सूत्र - ‘देवालय से पहले शौचालय’
Posted on 26 Dec, 2015 01:06 PM
संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर देखेंगे तो समझ आएगा कि जैसे मन्दिर में जाने से पहले शरीर को शौचालय जाकर साफ-सुथरा रखना हमारी प्राथमिकता होती है वैसे ही देश जैसे मन्दिर को हम गन्दा कैसे रख सकते हैं?
शुभकामना फलीभूत करने के 21 जलवायु संकल्प
Posted on 25 Dec, 2015 03:30 PM

हिन्दी वाटर पोर्टल के आदरणीय पाठकों को ईद, क्रिसमस के साथ-साथ नूतन वर्ष 2016 की शुभकामना।

.शुभकामना है कि आप स्वस्थ जीएँ; मरें, तो सन्तानों को साँसों और प्राणजयी संसाधनों का स्वस्थ-समृद्ध संसार देकर जाएँ। संकल्प करें; नीचे लिखे 21 नुस्खे अपनाएँ; आबोहवा बेहतर बनाएँ; मेरी शुभकामाना को 100 फीसदी सच कर जाएँ।

1. स्वच्छता बढ़ाएँ।
कचरा चाहे, डीजल में हो अथवा हमारे दिमाग में; ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ाने में उसकी भूमिका सर्वविदित है, किन्तु स्वच्छता का मतलब, शौचालय नहीं होता। शौचालय यानी शौच का घर यानी शौच को एक जगह जमा करते जाना। गन्दगी को जमा करने से कहीं स्वच्छता आती है?

सरकारें करती रहीं सूखे पर फैसले का इन्तजार
Posted on 25 Dec, 2015 03:30 PM

केन्द्र और दिल्ली सरकार की टकराहट में एक महत्त्वपूर्ण खबर अखबारों के अन्दर के पृष्ठों में कहीं दबकर रह गई। यह खबर उन आठ सूखा प्रभावित राज्यों से सम्बन्धित थी, जहाँ पीड़ितों के परिवार में भोजन के अभाव में कुपोषण और भूखमरी का खतरा है।

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