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इन्फॉर्मेशन विजन-2020 एवं आईसीटीज (Information Vision-2020 and ICTs)
Posted on 02 Oct, 2016 04:06 PM

महाराष्ट्र में एग्रोनेट द्वारा 40,000 गाँवों को जोड़ने का स्टेट गवर्नमेंट का प्लान है जिसस

आप एवं आपके वंश को भंवर-जाल में डालने वाले जलवायु-नीमहकीम (Weather experts lack informations on weather modulations and weather history)
Posted on 02 Oct, 2016 03:31 PM

यदि कम्प्यूटर द्वारा जलवायु की भविष्यवाणी विश्वसनीय होती जैसे हमसे आई.पी.सी.सी.

सिंधु जल समझौता टूटा तो भूखों मरेगा पाकिस्तान
Posted on 02 Oct, 2016 12:03 PM
सिंधु जल संधि समझने के लिये दो बातों पर विशेष रूप से ध्यान दे
हिमालय की जीओडायनमिक्स : चाय की मेज पर एक चर्चा (Geodynamics of Himalaya : A Discussion on Tea table)
Posted on 02 Oct, 2016 10:47 AM
हिमालय में भूचाल की एक पट्टी है जोकि मेन सेन्ट्रल थ्रस्ट के इर्द गिर्द फैली हुई है। दक्षिण में मेन बाउन्डरी थ्रस्ट और फूट हिल थ्रस्ट के आस-पास भूचाल की प्रक्रिया नहीं देखी गई है यद्यपि सूक्ष्म यंत्रों से भी प्रयत्न किए गए हैं। भूचाल की पट्टी में महाविनाशकारी महाभूकम्प आते हैं। हिमालय के महाभूकम्पों के लिये सीबर व आर्मब्रुस्टर ने 1986 में एक मॉडल प्रस्तुत किया था। यद्यपि यह एक सामान्य मॉडल है
लहरों पर लहर (After sea wave, wave of agony)
Posted on 01 Oct, 2016 03:58 PM

प्राकृतिक आपदाओं से अपने अस्तित्व को बचाना तब तक शायद न हो जब तक हम इन आपदाओं से अपने को

म्यार घाटी से जांस्कार (Miyar Valley to Zanskar)
Posted on 01 Oct, 2016 02:47 PM
11 सितंबर 2004 हमारी शोधयात्रा का 101वाँ दिन प्रातः 06:00 बजे ही हमने चेनाब घाटी स्थित उदयपुर (लाहुल) के वन विश्राम घर को छोड़ दिया था। अगले सात-आठ दिनों के लिये तम्बू और आवश्यक सामान लेकर प्रातः ही म्यार घाटी के उर्गोस गाँव में पहुँचना था, उदयपुर के रेन्ज अधिकारी ने आगे की यात्रा के लिये तीन स्थानीय बन्दों का बन्दोबस्त कर दिया था। म्यार नाले के साथ-साथ कोई 22 किमी चले होंगे कि अचानक हमारी ग
प्रकृति के नियमों में मनुष्य का हस्तक्षेप (Human interference in nature)
Posted on 01 Oct, 2016 02:35 PM

प्रकृति का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहाँ मनुष्य न पहुँच सका हो, मानव ने अपने प्रयासों से प

पॉलीथीन प्रदूषण समस्या एवं निदान (Solution of plastic and pollution)
Posted on 01 Oct, 2016 02:17 PM
प्रकृति एवं मानव ईश्वर की अनमोल एवं अनुपम कृति हैं। प्रकृति अनादि काल से मानव की सहचरी रही है। लेकिन मानव ने अपने भौतिक सुखों एवं इच्छाओं की पूर्ति के लिये इसके साथ निरंतर खिलवाड़ किया और वर्तमान समय में यह अपनी सारी सीमाओं की हद को पार कर चुका है। स्वार्थी एवं उपभोक्तावादी मानव ने प्रकृति यानि पर्यावरण को पॉलीथीन के अंधाधुंध प्रयोग से जिस तरह प्रदूषित किया और करता जा रहा है उससे सम्पूर्ण वात
जहरीली हवा बनी जानलेवा
Posted on 01 Oct, 2016 09:50 AM
प्रदूषित हवा के चलते भारत में हर साल छह लाख जबकि दुनियाभर में साठ लाख लोगों की जान जा रही है। यह खुलासा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में वायु प्रदूषण की वजह से हर साल आठ लाख मौतें हो रही हैं। इनमें 75 फीसदी से ज्यादा मौतें भारत में हो रही हैं। दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र से हवा के लिये गए नमूने बदतर स्थित
इण्डियन ओसन सुनामी - 26 दिसम्बर 2004 : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Indian ocean Tsunami - 26 December 2014 : A scientific point of view)
Posted on 30 Sep, 2016 04:37 PM

भारत सरकार ने शीघ्र ही आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन करने और सुनामी की सूचना देने वाली प्

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