‘विश्व मच्छर दिवस’ पर विशेष - Special on 'World Mosquito Day'
मच्छर से कौन परेशान नहीं! और क्या-क्या उपाय नहीं किए मच्छर भगाने के लिये- तेल, अगरबत्ती, टिकिया, डीडीटी का छिड़काव, वेपोराइजर्स। परन्तु मच्छर भगाने का कारगर उपाय ढूँढने में हम इतने मसरूफ रहे कि इन उपायों का हमारे शरीर और सेहत पर क्या असर पड़ता है, यह पक्ष बहुत हद तक अनदेखा रह गया। इसी पक्ष की पड़ताल करता यह लेख अन्त में मच्छर भगाने के सुरक्षित, सेहतमन्द विकल्पों की भी जानकारी देता है।
मच्छरगर्मियों और सर्दियों के कुछ समय को छोड़ दिया जाय तो हमारे गाँव व शहरों में लगभग साल भर मच्छरों की भिनभिनाहट सुनी जा सकती है। मच्छर मलेरिया, हाथीपांव तथा कई प्रकार के वायरल रोग जैसे जापानी इनसेफेलाइटिस, डेंगू, दिमागी बुखार, पीत ज्वर (अफ्रीका में) आदि रोग फैलाते हैं।
Posted on 20 Aug, 2017 11:32 AM संखिया (आर्सेनिक), धातु एवं अधातु के बीच का तत्व है, जो प्रकृति में स्वतंत्र रूप में पृथ्वी की सतह एवं संखिया प्रधान चट्टानों में पाया जाता है। इसकी खोज सन 1250 में अल्बर्ट मैगनस द्वारा की गई और बताया कि यह विषधातुओं की श्रेणी में तैंतीसवें स्थान पर आता है। इसका अणुभार 74.9, परमाणु क्रमांक 33 एवं विशेष द्रव्यमान 5.73 हैं। संखिया प्रायः चट्टानों से होत
Posted on 19 Aug, 2017 01:57 PM आॅर्गेनिक (जैविक) खाद्य पदार्थ उनके प्रचारित स्वास्थ्य लाभ की वजह से देश में तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। क्या वे सुरक्षित हैं? उनके स्वास्थ्य के दावे कितने सच हैं? भारत में आॅर्गेनिक खाद्य पदार्थों के लिये कोई गुणवत्ता मानक नहीं है। उपभोक्ता को कैसे यकीन हो कि वह जो उत्पाद खरीद रहे हैं वे सही मायने में आॅर्गेनिक हैं।
Posted on 19 Aug, 2017 12:08 PM पानी हमारे जीवन का मूल हिस्सा है, इसके बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते। पृथ्वी पर जहाँ 70 फीसदी पानी मौजूद है वहीं हालात ऐसे क्यों हैं कि हमें पानी खरीद कर पीना पड़ता है? आखिर पानी को बोतल में पैक करके बेचना किसके दिमाग की उपज थी, आखिर कैसे पानी की भी कीमत लगने लगी? क्या पीने के पानी को साफ रखने का प्रत्येक इंसान का दायित्व नहीं है?
Posted on 18 Aug, 2017 04:44 PM सूर्य का अस्तित्व सृष्टि, ज्ञात-अज्ञात ब्रह्मांड के करोड़ों साल से है। सिर्फ ऐसे एक ही सूर्य नहीं ज्ञात-अज्ञात ब्रह्मांड में कई सूर्य हैं। आज जो हम सोलर एवं रिन्यूएबल ऊर्जा की चर्चा कर रहे हैं, हम उसपर शोध कर रहे हैं या उसका हम उपयोग कर रहे हैं ऐसा नहीं है कि इस ऊर्जा का हमने आविष्कार किया है, उसके अस्तित्व का हमने सृजन किया है, हमने अब उसे धीरे-धीरे