बांध, बैराज और जलाशय

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श्रीनगर परियोजना तो मनमानी से चल रही है
Posted on 06 Oct, 2009 10:53 AM 27 जुलाई 09 को अलकनन्दा नदी पर निर्माणाधीन 330 मेगावाट की श्रीनगर जल विद्युत परियोजना का कॉफर बाँध ढह गया। दरअसल यह परियोजना फर्जी कागजातों पर आधारित है तथा पर्यावरण और कानूनी मानकों की अवहेलना करते हुए बन रही है। इस बाँध का काम 1988 में आरम्भ होना था, परन्तु अब तक कई बड़े ठेकेदार काम हाथ में लेकर इसे छोड़ चुके हैं। अंततः 2005 में आंध्र प्रदेश के जी.वी.के. ग्रुप ने इसे शुरू किया।
उकाई: हम भी बह गए थे
Posted on 11 Sep, 2009 08:40 PM
न भाखड़ा बांध की तरह प्रसिद्ध, न नर्मदा बांध की तरह बदनाम-उकाई बांध तो गुमनामी में बना था। न किसी को उसको बनाने का समय याद, न यह कि उसने बनने के बाद कितने परिवारों, गांवों को मिटाया था। उकाई बांध कोई बहुत बड़ा नहीं था पर सन् 2006 में वह उसी शहर और उद्योग-नगरी को ले डुबा, जिसके कल्याण के लिए उसे सन् 1964 में बहुत उत्साह से बनाया गया था। लेकिन तब भी एक सज्जन अपनी पुरानी मोटर साइकिल पर इस पूरे इलाके में घूम रहे थे। उस दौर में तो बांधों को नया मंदिर माना जा रहा था। शुरू में तो वे भी इन नए मंदिरों के आगे नतमस्तक ही थे। पर धीरे-धीरे उन्होंने जो देखा और फिर लोगों के बीच उतर कर जो कुछ किया, उसकी उन्हें सबसे भारी कीमत भी चुकानी पड़ी- उन्हें एक सूनी सड़क पर एक ट्रक ने रौंद कर मार डाला था। उनका काम भी कभी सामने नहीं आया पर वह काम खाद बना और फिर उसी खाद से ऐसे विचारों को पोषण मिला। उनका नाम था श्री रमेश देसाई। उकाई नवनिर्माण समिति का भुला दिया गया यह किस्सा रमेश भाई ने अपनी हत्या से कुछ ही पहले सन् 1989 में लिखा था। 
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