अरुणाचल प्रदेश

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बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा
बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा। हाल फिलहाल के दो अध्ययन हमारे लिए खतरे का संकेत दे रहे हैं। एक अध्ययन पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के आवृत्ति और तीब्रता बढ़ने की बात कर रहा है। तो दूसरा भूजल का अत्यधिक दोहन से दिल्ली-NCR क्षेत्र के कुछ भाग भविष्य में धंसने की संभावना की बात कर रहा है। दोनों अध्ययनों को जोड़ कर अगर पढ़ा जाए तस्वीर का एक नया पहलू सामने आता है। Posted on 15 May, 2024 09:10 AM

देहरादून। ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ के वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेटों के टक्कर से उत्पन्न होने वाले भूकंपों के अध्ययन डाटा को एकत्रित किया है और डाटा से उन क्षेत्रों की पहचान की है जो भूकंप से अत्यधिक प्रभावित और जोखिम में हैं। इस अनुसंधान के अनुसार, पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग, सिक्किम, अरुणाचल, असम और भूटान क्षेत्रों में भवि

भूजल का अत्यधिक दोहन
अरुणाचल प्रदेश : हर घर जल गांव की ओर ले जाने वाले ग्रामीणों की एकता और योगदान
इस ब्लॉग में हम आपको बतायेंगे कि कैसे अरुणाचल प्रदेश में स्थित खोवाथोंग गांव में 40 ग्रामीण परिवारों के साथ लगभग 204 आदिवासी लोगों को जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत 'हर घर जल' और हर घर को नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है | In this blog, we will tell you about how 204 tribal people along with 40 rural families in Khovathong village located in Arunachal Pradesh are being ensured 'Har Ghar Jal' and supply of tap water to every household under Jal Jeevan Mission (JJM) Posted on 03 Feb, 2024 12:45 PM

जलजीवन मिशन

अपने ग्रामीणों को आसानी से जीवन यापन की सुविधा प्रदान करने के लिए, दो अलग-अलग गांवों के स्थानीय ग्राम समुदाय, चासा और खोवाथोंग अपने लोगों और पीढ़ी की भलाई सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आए।

जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल की आपूर्ति सुनिश्चित
सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
खासकर सर्दी के आते ही लोगों को पानी की किल्लत का सामना करने की आदत हो गई है। साल-दर-साल समस्या विकराल होती जा रही है।  विशेषज्ञ मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, खनन और खेती के स्लेश एंड बर्न सिस्टम (झूम खेती) को झरनों के सूखने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। सख्त सरकारी निषेध के बावजूद, अनियंत्रित कटाई की समस्या एक चिंताजनक मुद्दा बनी हुई है। Posted on 18 Sep, 2023 02:28 PM

अरुणाचल प्रदेश अनुमानित 3.19 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल संसाधनों (सीजीडब्ल्यूबी, 2020) और भारत की एक तिहाई से अधिक जलविद्युत क्षमता के साथ प्रचुर जल संसाधनों से संपन्न है। कई प्रमुख नदियाँ जैसे कामँग, सियांग, सुबनसिरी, आदि और कई आर्द्रभूमि जैसे भागजंग, नगुला, आदि इसकी समृद्ध जैव विविधता का पोषण करती हैं। इतने विशाल जल संसाधनों के बावजूद, अरुणाचल प्रदेश पीने के पानी की कमी से जूझ रहा है।

सूख रहे झरनों का पुनरुत्थान
जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव : एक आकलन
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे ज्वलंत पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवी आकलन रिपोर्ट (एआर 5) के अनुसार इस शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। तापमान में उपरोक्त वृद्धि स्वास्थ्य, कृषि, वन, जल-संसाधन, तटीय क्षेत्रों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों पर विपरीत प्रभाव डालेगी। Posted on 01 Sep, 2023 02:19 PM

वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे ज्वलंत पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवी आकलन रिपोर्ट (एआर 5) के अनुसार इस शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। तापमान में उपरोक्त वृद्धि स्वास्थ्य, कृषि, वन, जल-संसाधन, तटीय क्षेत्रों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों पर विपरीत प्रभाव डालेगी। आईपीसीसी के अनुसार, यद

जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव : एक आकलन
जल प्रबंधन है मॉनसून की समस्या का समाधान
Posted on 14 Feb, 2010 02:24 PM
मॉनसून और आने वाले जल संकट से निबटने के लिए सबसे जरूरी यह है कि बारिश के पानी की हर बूंद का संरक्षण किया जाए। इसका भंडारण ताल-तलैया और यहां तक कि हर घर की छत पर किया जाए। इस बारे में विस्तार से बता रही हैं

आखिर 2009 का मॉनसून आ ही गया। पर प्रतिशोध की भावना के साथ। कई जगहों पर बाढ़ आ गई और लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।
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