आंध्र प्रदेश

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ਨਵੇਂ ਸਿਰਿਓਂ ਲਿਖਣਾ ਤਕਦੀਰਾਂ ਨੂੰ
Posted on 19 Jan, 2016 09:49 PM

ਸ੍ਰੋਤ ਸਾਭਾਰ- ਯੋਜਨਾ

पारदर्शिता के लिए जरूरी सामाजिक अंकेक्षण
Posted on 28 Mar, 2015 01:29 PM सामाजिक अंकेक्षण जो राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी कानून का एक म
सामाजिक लेखापरीक्षण के माध्यम से जवाबदेही
Posted on 28 Mar, 2015 01:19 PM राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना कानून ने 2 फरवरी, 2008 को अपने दो साल पूरे किए। ये दो साल की यात्रा इसके लिए बहुत ही उतार-चढ़ाव वाली रही। जबकि कोई इसे पूरी तरह से दरकिनार नहीं कर सकता और यह कह सकता है कि यह पूरी तरह से धन की बर्बादी है या एक असफल कानून है। परन्तु इसके बारे में हम ऐसा भी नहीं कह सकते कि इसके अमल में बाधाएँ नहीं आईं। जैसे सभी बड़ी योजनाओं
गंगा देवी पल्ली गाँव : ज़िन्दगी बदलनी है तो खुद कदम उठाइये
Posted on 31 May, 2011 10:09 AM

आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले की मचापुर ग्राम पंचायत का एक छोटा-सा पुरवा था `गंगा देवी पल्ली´। ग्राम पंचायत से दूर और अलग होने के चलते विकास की हवा या सरकारी योजनाएं यहां के लोगों तक कभी नहीं पहुंची। बहुत सी चीजें बदल सकती थी लेकिन नहीं बदली क्योंकि लोग प्रतीक्षा किये जा रहे थे… कि कोई आएगा और उनकी जिन्दगी सुधरेगा। उसमें बदलाव की नई हवा लाएगा। करीब दो दशक पहले गंगा देवी पल्ली के लोगों ने तय किया

गंगादेवी पल्‍ली में बही विकास की गंगा
Posted on 28 Feb, 2011 10:35 AM

जरूरी नहीं कि हमारे गांव का विकास तभी होगा, जब बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों की कृपा दृष्टि हो। गांव का विकास खुद गांव वालों के हाथ में है। सरकारी कानून ऐसे हैं, जिनके इस्तेमाल से हम अपने गांवों में विकास की गंगा बहा सकते हैं। ग्रामसभा एक ऐसी संस्था है, जिसकी नियमित बैठक से भ्रष्टाचार को करारा जवाब दिया जा सकता है और अपने गांव का संपूर्ण विकास किया जा सकता है।आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले की मचापुर

अनन्तपुर : सूखा और आत्महत्या करते किसान
Posted on 25 Jan, 2010 03:12 PM बंगलोर एयरपोर्ट से आंध्रप्रदेश की तरफ़ राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर बढ़ें, तो नग्न पहाड़ और कुछ झाड़ियां दिखाई दी। थोड़ा और आगे बढ़ने पर अनन्तपुर जिले में ग्रेनाईट की चट्टानों और कड़ी धूप के बीच इस इलाके के किसान दिखाई दिए, जो पत्थरों को हटाने या तोड़ने में लगे थे ताकि अपने लिये कुछ ज़मीन हासिल करके मूंगफली उगा सकें। यही एक ऐसी फसल है जिसमें कम पानी लगता है और इसलिए यहां 85% रकबे में यही बोया जाता है।
कैसे हो भूजल सस्टेनेबल
Posted on 25 Jan, 2010 01:34 PM “…चेन्नई के लोगों ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर भूजल की बढ़ोत्तरी में उल्लेखनीय योगदान दिया है। लेकिन इतने मात्र से ही अपनी समस्याओं की इतिश्री नहीं मान लेनी चाहिए।…” चेन्नई वासियों की कोशिशों और भविष्य की जरूरतों पर प्रकाश डाल रहे हैं शेखर राघवन और इन्दुकान्त रगाड़े…
आंध्र प्रदेश का भूजल परिदृश्य
Posted on 16 Jan, 2010 10:40 AM

 

कुल भौगोलिक क्षेत्र (वर्ग किमी): 2,75,069

 

कुल जिले: 23

कुल मंडल : 1125

हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

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