सुनील चतुर्वेदी

सुनील चतुर्वेदी
एक विचार जो आकाश बना
Posted on 16 Oct, 2013 12:17 PM जिस तरह औद्योगिक अर्थव्यवस्था में बिजली/ऊर्जा/ पेट्रोलियम पदार्थ critical input है उसी तरह कृषि अर्थव्यवस्था में पानी का critical input की तरह प्रयोग होता है।
रेवा सागर
Posted on 16 Oct, 2013 11:56 AM

पृष्ठ भूमि : एक परिदृश्य


कृषि प्रधान देश में कृषि की स्थिति क्या है जानने के लिए एक नजर डालते हैं कृषि से जुड़े कुछ तथ्यों पर –
1. प्रतिवर्ष भारत में लगभग 20 हजार किसान फसल खराब हो जाने और कर्ज नहीं चुका पाने के कारण आत्महत्या कर लेते हैं।
2. एक राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के अनुसार 40 प्रतिशत किसान कृषि व्यवसाय को छोड़ना चाहते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग को रोकेगा रेवासागर
Posted on 22 Oct, 2014 03:41 PM
देवास जिले में पिछले तीन सालों से लगातार औसत से कम वर्षा होने के कारण रबी का रकबा लगातार घट रहा था। किसानों के पास सिंचाई के साधनों के नाम पर सिर्फ नलकूप थे। वो भी अत्यधिक भू-जल दोहन के कारण एक-एक कर किसान का साथ छोड़ते जा रहे थे। सिंचाई के लिए पानी की तलाश में 500 से 1000 फीट गहरे नलकूप करवाने के कारण किसान कर्ज में धंसता जा रहा था। ऐसे निराशाजनक परिदृश्य में तत्कालीन कलेक्टर श्री उमाकांत उमराव ने जल संवर्धन के क्षेत्र में एक नई अवधारणा विकसित कर उसे अभियान का रूप देने के लिए एक कारगर रणनीति तैयार की।नवंबर-दिसंबर के हल्के सर्द मौसम में यदि आप हवाई यात्रा के दौरान देवास जिले के टोंकखुर्द विकासखंड के ऊपर से गुजरे तो आपको हरे-हरे खेतों में ढेर सारी नीली-नीली बुंदकियां दिखाई पड़ेगी आप हैरत में पड़ जाएंगे। आपके मन में एक जिज्ञासा पैदा होगी कि आखिर खेतों में यह नीले रंग की फसल कौन-सी है...तो हम आपको बता दें कि इस क्षेत्र के किसानों ने अपनी खेती के तरीकों में क्या कोई बदलाव किया है? यहां के किसान अपने खेतों में पानी की खेती कर रहे हैं और ये जो नीली बुंदकियां हैं वो वास्तव में हर खेत में पानी से लबालब भरे तालाब हैं।
Talab
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