संदीप कुमार

संदीप कुमार
जैविक खेती देती है ज्यादा मुनाफा
Posted on 11 Sep, 2014 11:21 AM

जैविक खेती सस्ती तो है ही, जीवन और जमीन को बचाने के लिए भी जरूरी है। 1960 से 1990 तक कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए जिस तेजी से और जिस तरह से रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया, उसने हमारे खेतों और जीवन दोनों को संकट में डाल दिया। तब पर्यावरण की अनदेखी की गई थी, जिसकी कीमत हम आज चुका रहे हैं। 1990 के बाद से जैविक खाद की ओर खेती को लौटाने का अभ

organic farming
आधुनिक तरीके से करें सब्जियों की खेती
Posted on 05 Aug, 2014 12:26 PM

साग-सब्जियों का हमारे दैनिक भोजन में महत्वपूर्ण स्थान है। विशेषकर शाकाहारियों के जीवन में। साग-सब्जी भोजन में ऐसे पोषक तत्वों के स्रोत हैं, हमारे स्वास्थ्य को ही नहीं बढ़ाते, बल्कि उसके स्वाद को भी बढ़ाते हैं। पोषाहार विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित भोजन के लिए एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 85 ग्राम फल और 300 ग्राम साग-सब्जियों का सेवन करना चाहिए, परंतु हमारे द

vegetation
बारिश व रोपनी कम होने से किसान चिंतित
Posted on 04 Aug, 2014 12:51 PM

धान की रोपाई के लिए सबसे अच्छे समय में सूबे के कई जिले सुखाड़ की चपेट में है। कई दिनों से बारिश नहीं होने से किसान काफी परेशान हैं। इन जिलों में अब भी सामान्य से कम बारिश हुई है। सहरसा, भभुआ, गोपालगंज, अरवल, पूर्णिया, सारण, सीतामढ़ी में सबसे अधिक सुखाड़ है। मौसम विभाग के मुताबिक सूबे में अबतक 328.5 मिलीलीटर बारिश हुई है। जबकि इस समय 387.4 मिलीलीटर बारिश होनी चाहिए थी। अब तक जुलाई में राज्य में

drought
पर्यावरण को बचाना है तो सभी क्षेत्रों में वैकल्पिक स्रोतों को अपनाएं
Posted on 12 Jun, 2014 12:03 PM

देश तरक्की की राह पर दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन जिस गति से तरक्की हो रही है, उसी गति से हमारे देश में पर्यावरण की समस्या भी बढ़ रही है। जमीन, जंगल और पानी कम हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें वर्तमान सरकार भी पर्यावरण के मुद्दे पर गंभीर दिख रही है। इस कारण प्रत्येक वर्ष हमें केंद्रीय बजट में पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी प्रयासों की झलक दिखाई पड़ती रहती है। उधर केंद्र सरकार ने विकास की जरूरत क

giridih pollution
जल, जंगल, जमीन, जिंदगी... सब बर्बाद !
Posted on 21 Jan, 2012 03:09 PM

कौशल, अनिता और प्रीती... एक अंधेरी जिंदगी के गवाह

giridih pollution
बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर कर रहे खेती
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2019 के बीच भारत की कुल रिपोर्टेड जमीन की 30.51 करोड़ हेक्टेयर भूमि की गुणवत्ता गिरी, बंजर हुई है। इसका मतलब है कि 2019 में देश की कुल जमीन का 9.45% गुणवत्ता गिर चुका था, जो 2015 में केवल 4.42% था। यह जानकारी यूएनसीसीडी द्वारा जारी की गई है।
Posted on 20 May, 2024 06:39 AM

भारत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को उपयोगी बनाने की दिशा में काम कर रहा है। देश की कुल 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर भूमि में से 12 करोड़ 95 लाख सत्तर 70 हेक्टेयर भूमि बंजर है। भारत देश में बंजर भूमि के ठीक-ठीक आकलन के लिए अभी तक कोई विस्तृत सर्वेक्षण नहीं हुआ है, फिर भी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय का अनुमान मुताबिक सर्वाधिक बंजर जमीन मध्यप्रदेश में है-2 करोड़ 1 लाख 42 हेक्टेयर। उसके बा

बड़ी मात्रा में कृषि भूमि की गुणवत्ता गिरी या बंजर हुई हैं
पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मददगार सौर ऊर्जा
भारत, जो विश्व के सबसे जनसंख्या वाले देशों में से एक है, के लिए सौर ऊर्जा एक आदर्श ऊर्जा स्रोत है क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल है और कार्बन डाइऑक्साइड नहीं छोड़ती। यह गैर-नवीकरणीय ऊर्जा का एक श्रेष्ठ विकल्प है क्योंकि यह अक्षय है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग खाना पकाने, सुखाने और बिजली जैसे विभिन्न कार्यों के लिए कर सकते हैं। भारत में बिजली का उत्पादन महंगा होने के कारण, सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है।
Posted on 10 May, 2024 06:34 AM

सौर ऊर्जा ऊर्जा क्षेत्र में एक नवीकरणीय, अक्षय और किफायती रूप है। सौर उपकरण दो प्रकार के होते हैंः सक्रिय और निष्क्रिय। सौर ऊर्जा के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। सौर ऊर्जा के सबसे स्वच्छ और शुद्धतम रूपों में से एक।

सौर उर्जा
मखाना की खेती कर रही महिलाएँ
Posted on 05 Jan, 2015 11:46 AM

मखाना उत्पादन पूरी तरह से मछुआरा समुदाय की महिलाओं के हाथों में है। पुरुष इस पूरी प्रक्रिया में

fox nut
धान की खेती में पानी की खपत करें कम
Posted on 15 Jun, 2014 04:42 PM

सूखा प्रतिरोधी धान की खेती करना अब मुमकिन हो गया है। शुक्र है कि गेहूं की तरह अब चावल उगाने के लिए तकनीक उपलब्ध हो गई है। इसका मतलब यह हुआ कि धान के खेत को हमेशा पानी से भरा हुआ रखे बिना भी इसकी खेती की जा सकती है। नई तकनीक से धान की फसल के लिए पानी की जरूरत में 40 से 50 फीसदी तक कम करने में मदद मिलेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) और फिलिपींस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (

paddy cultivation
×