सीएसई
ड्रिप सिंचाई प्रणाली: एक क्रांति का सूत्रपात
Posted on 31 Dec, 2009 07:28 PMआज भारत में फसलों की सिंचाई, उद्योग, आवास और बढ़ती जनसंख्या के कारण जल, जंगल और जमीन भारी दबाव में है। सन् 1955 में जहां प्रति व्यक्ति 5,000 घन मीटर पानी की वार्षिक उपलब्धता थी, वहीं सन् 2000 तक आते-आते 2,000 घन मीटर ही रह गई।
जल स्वराज अभियान के पहल-प्रयास
Posted on 31 Dec, 2009 07:24 PMपानी पर कार्यशालाकानपुर आधारित एक गैर-सरकारी संगठन ‘इको फ्रेंड्स’ ने पानी के कई सवालों को लेकर 27-28 सितम्बर 2003 के बीच एक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें कानपुर के 29 स्कूलों के 10वीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के 80 से ज्यादा छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों ने भी भाग लिया।
एन आर पेद्दमइयाह
Posted on 31 Dec, 2009 07:22 PMअगर पानी बहना बंद हो जाए, तो नीदकट्टी (पारंपरिक जल प्रबंधक) भी नहीं रह पाएंगे। चिट्टू जिले के पंगनूर चेरूवु गांव की एक 60 वर्षीय महिला एन आर पेद्दमइयाह अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यूँ तो उनके काम को तलाशना काफी मुश्किल है, परन्तु उसे इसका कोई मेहनताना नहीं मिलता है। उनका कहना है कि, “जब तक कि मैं जिन्दा हूँ तब तक यह परम्परा जारी रहेगी, लेकिन मेरे बाद क्या होगा, इसका संदेह है।“गांधीग्राम के जल प्रबंधक
Posted on 31 Dec, 2009 07:21 PMपानी का बंटवारा और वो भी भारत के जल संकटग्रस्त क्षेत्र में- एक विफोस्टक मुद्दा है, जिससे खेत युद्ध का मैदान बन जाता है। परन्तु गुजरात के कच्छ जिले के सूखे प्रांत में स्थित गांधी ग्राम के लोगों ने पानी वितरण समिति (पाविस) के जरिए इसका समाधान तलाश लिया है। इस सफलता के पीछे क्या फार्मूला है?जेथू सिंह भट्टी
Posted on 31 Dec, 2009 07:18 PMऐसा लगता है कि अभी हमने राजस्थान में पारंपरिक वर्षाजल संग्रहण व्यवस्था का ऊपरी खजाना ही तलाशा है, क्योंकि यहां ऐसी अनेक व्यवस्थाएं मौजूद हैं, जिनकी अभी भी खोज करनी बाकी है। और इन्हीं में एक है ‘पार’ व्यवस्था, जिसे ‘थार इंटीग्रेटेड डेवलेपमेंट सोसायटी’ (टीआईएसडीएस) के महासचिव जेथू सिंह भट्टी ने जैसलमेर जिले के मनपिया गांव में पुनर्जीवित किया। इसके लिए उन्हें सीएसई से वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ है।रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून
Posted on 31 Dec, 2009 07:13 PMउत्तरांचल के पहाड़ों में देश के अन्य हिस्सों की तरह सामुदायिक जल प्रबंधन का एक लम्बा इतिहास रहा है। यहां नौला, धारा, मंगरा, ताल, खाल, चाल, बावड़ी, कुंडी इत्यादि जैसे पानी के स्रोत आज भी यहां की भव्य जल परम्परा के परिचायक हैं।जल संवर्धन के लिए ऋण योजना
Posted on 31 Dec, 2009 07:11 PMराष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने मध्य प्रदेश के किसानों को निजी भूमि में जल संवर्धन के कार्यों के लिए बैंकों द्वारा ऋण दिलाने की योजना बनाई है।
पानी साफ करने का सरल उपाय
Posted on 31 Dec, 2009 07:06 PMदूषित पानी साफ करने के कई उपायों में रेत फिल्टर तकनीकी काफी उपयोगी साबित हुई है। इस तकनीकी का प्रयोग केन्या के मचाकोस जिले में सफलतपूर्वक हुआ, जहां पानी के प्रदूषण ने इस सरल और सस्ती तकनीकी को और विकसित किया। मचाकोस जिला केन्या के पूर्वी प्रांत का एक सूखाग्रस्त क्षेत्र है। यहां सन् 1998 से सूखा पड़ा हुआ है और अधिकांश फसल उगने से पहले ही सूख जाया करती है। इस स्थिति में अनेकों किसानों ने अपने खेत
शहरों में वर्षाजल संग्रहण: क्यों और कैसे?
Posted on 31 Dec, 2009 07:04 PMआज देश के विभिन्न शहरों में पानी का संकट खड़ा हो रहा है और यह संकट सतही ओर भूजल दोनों के अभाव से उपजा है। इस संकट से निपटने के लिए हमें गांव के साथ-साथ शहरों में भी जल संग्रहण के विभिन्न तरीकों का उपयोग करना होगा। लेकिन अब सवाल उठता है कि शहरों में इसे कैसे क्रियान्वित किया जाए। दरअसल ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में वर्षा जल संग्रहण का समान अर्थ है। फर्क बस इतना है कि ग्रामीण इलाकों में जल पंढ
पानी रोकने का सरल और सस्ता उपाय
Posted on 31 Dec, 2009 07:01 PMअगर बरसात के बाद नदी-नालों से बहने वाले पानी का प्रभावी तरीके से संग्रहण किया जाय तो पानी कई गुना और ज्यादा मिलने लगेगा।