पंचायतनामा डेस्क

पंचायतनामा डेस्क
योजनाएं तो यहां बहुत हैं बस लाभ लेने की जरूरत
Posted on 10 Aug, 2014 05:35 PM
आपदा से बिहार का रिश्ता युगों पुराना है। राज्य में नदियों का जाल है। बाढ़ और उससे आने वाली तबाही यहां की पहचान है। अब भी राज्य के बहुत बड़े शहरी इलाकों में लोग बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए बच्चे मकानों में रहते हैं। गंगा की सहायक नदियां शोक का प्रतीक बन गई है। प्राकृतिक आपदाओं का दायरा बहुत बड़ा है। हर मौसम के साथ इसके खतरों की प्रकृति भी बदलती है, मगर किसी का पीछा नहीं छोड़ती। ब
भविष्य को ध्यान में रखकर बांध बनाने की आवश्यकता
Posted on 09 Aug, 2014 09:42 PM
बिहार का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ और सूखे की चपेट में आता है। हर साल करोड़ों रुपए इसमें बह और सूख जाते हैं। क्या ये आपदा बिहार के लिए नियति बन चुकी है? इनका कोई निराकरण नहीं? आमजन को इन आपदा से बचाने का कोई तरीका है या नहीं? इन सब सवालों का जवाब जानने के लिए प्रख्यात पर्यावरणविद दिनेश कुमार मिश्र से सुजीत कुमार ने बात की।

बाढ़ जैसी आपदा का क्या कारण है?
आपदा को लेकर आमजन को सचेत करने की जरूरत
Posted on 09 Aug, 2014 09:25 PM
हम किसी भी आपदा को रोक नहीं सकते। प्रकृति के ऊपर कोई बस नहीं है। हा
पेयजलापूर्ति तथा स्वच्छता को लेकर कई योजनाएं
Posted on 08 Aug, 2014 03:36 PM
मनुष्य के जीवन में शुद्ध पेयजल व स्वच्छता का महत्वपूर्ण स्थान है। इससे हमारा जीवन न केवल स्वस्थ रहता है, बल्कि कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है। स्वस्थ्य जीवन के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति व स्वच्छता संबंधी आचरणों का पालन करना भी जरूरी है। स्वास्थ्य सर्वेक्षण से विदित है कि 60 से 70 प्रतिशत बीमारियां अशुद्ध पेयजल व गंदगी से होती है। ग्रामीण क्षेत्र में अशुद्ध पेयजल व दूषित वातावरण से बहुत सी
अपनी जिम्मेवारी निभाने में जुटी सरकार
Posted on 08 Aug, 2014 03:23 PM
स्वच्छ पेयजल व स्वच्छता मानव का मूल अधिकार है तो दूसरी तरफ मानवीय गरिमा का प्रतीक है। यदि भारतीय संविधान की बात करें तो पेयजल और स्वच्छता के विषय को राज्य का विषय माना गया है। संविधान में यह भी लिखा है कि संघीय व्यवस्था के मद्देनजर राज्यों की जिम्मेवारी है कि पेयजल और स्वच्छता पर नीति निर्मित कर पेयजल व स्वच्छता कार्यक्रमों को उचित दिशा-निर्देश लोगों को प्रदान करें। राज्य में पेयजल व स्वच्छता स
पेयजल की गुणवत्ता एवं उपयोग के लिए प्रचार-प्रसार की जरूरत
Posted on 07 Aug, 2014 04:20 PM
मानव जीवन में पेयजल व स्वच्छता का महत्व आदि काल से ही रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में जल की आवश्यकता सर्वविदित है। जल की आवशयकता को ध्यान में रखते हुए ही हमारे पूर्वजों के द्वारा जितने भी बड़े शहर बसाये गए हैं वे किसी न किसी नदी के किनारे अवस्थित है। गीता में श्री भगवान कृष्ण ने अपने को जल के रूप में प्रदर्शित करते हुए इसकी महत्ता को बताया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने तो स्वच्छता को जीवन दायनी
लोगों को मिले स्वच्छता, विभाग का यही है ‘मिशन’
Posted on 07 Aug, 2014 01:01 PM
बचपन से पढ़ते आये हैं कि जहां स्वच्छता होती है वहां भगवान का वास हो
Clean India
ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए पंचायत ही करें पहल
Posted on 16 Jun, 2014 03:40 PM
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक मार्च को राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में पंचायत प्रतिनिधियों के राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान खासे उत्साहित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक वे राज्य के गांव-गांव में जलापूर्ति व्यवस्था कर देंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि आम लोगों में 80 प्रतिशत बीमारियां प्रदूषित पानी पीने की वजह से होती है। अगर हम स्वच्छ पानी पियेंगे तो कम बीमार होंगे। लेकिन इस लक
श्रीविधि से लक्ष्य को पाने में झारखंड फेल
Posted on 14 Jun, 2014 10:14 PM
झारखंड श्रीविधि (एसआरआइ) से खेती करने के लक्ष्य से काफी पीछे है। पिछले खरीफ मौसम 2013-14 में झारखंड ने पांच लाख हेक्टेयर भूमि पर श्रीविधि से खेती करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन इसके बनिस्पत राज्य मात्र 67804.842 हेक्टेयर भूमि पर श्रीविधि से खेती कर सका। यानी लक्ष्य का मात्र 14 ही राज्य हासिल कर सका।
नई प्रणाली अपना कर बना रहे हैं धान उत्पादन का रिकॉर्ड
Posted on 14 Jun, 2014 07:19 PM
अक्सर यह देखा जाता है कि जब मॉनसून का मौसम आता है किसान एक ओर तो प्रसन्नता जाहिर करते हैं लेकिन उनके मन में मॉनसून फेल होने का डर भी बना रहता है। उनकी उम्मीद और आशाएं भगवान पर टिकी होती हैं। पर, धान की प्रमुखता से खेती करने वाले कई किसानों के मन से यह भय खत्म हो गया है। वे अब परंपरागत रूप से धान की खेती से दूर हट कर आधुनिक व वैज्ञानिक विधि से धान की खेती कर रहे हैं।
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