डॉ. दिनेश मिश्र
डॉ. दिनेश मिश्र
काम पहले योजना का अनुमोदन बाद में: बागमती नदी से सिंचाई के नाम पर भद्दा मजाक
Posted on 14 Dec, 2011 11:00 AMअगर यहाँ कुछ उपजता है तो वह किसानों के अपने पुरुषार्थ से। फर्क बस इतना ही आया है कि सिंचाई के
ताकि काम चलता रहे और योजना भी बनती रहे
Posted on 14 Dec, 2011 10:24 AMफरवरी 1980 में प्राक्कलन का जो स्वरूप था उसके अनुसार सिंचाई योजना में बराज, नहरों तथा जल निकास
पानी की निकासी का रास्ता कहाँ गया?
Posted on 14 Dec, 2011 09:51 AMउमेश राय, ग्राम मोरों, प्रखंड हनुमान नगर, दरभंगा कहते हैं, ‘‘...दरभंगा जिले में नेपाल से निकलने वाली 19 नदियाँ गुजरती हैं और इस जिले की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि इन नदियों के माध्यम से बरसात के मौसम में आने वाला सारा का सारा पानी 24 घंटे के अंदर खेत की सिंचाई करके निकल जाया करता था। किसी को बाढ़ से कोई नुकसान नहीं पहुँचता था। आजादी के पहले तक यह पूरा इलाकानदी का धारा-परिवर्तन और योजना की स्वीकृति
Posted on 14 Dec, 2011 09:12 AM1969 की बाढ़ के बाद से नदी तो अब पिपराही, जाफरपुर, चन्दौली, कन्सार, पचनौर और रक्सिया होते हुए
आर्थिक संकट, आश्वासन और राजनीति
Posted on 13 Dec, 2011 01:55 PMबागमती घाटी में सिंचाई के नाम पर विभिन्न सरकारों द्वारा बरगलाये जाने का सिलसिला अभी तक खत्म नह
कील गड़ाई
Posted on 13 Dec, 2011 12:45 PMआजादी के बाद इस प्रथा के स्वरूप को विकृत कर दिया गया और घाट की बंदोबस्ती नीलामी द्वारा की जाने
पुल तो है लेकिन समस्या वही है
Posted on 13 Dec, 2011 11:15 AMबनमा प्राइमरी स्कूल, सहरसा के पूर्व अध्यापक और बेलहा पंचायत, प्रखंड मानसी, जिला खगड़िया के वर्तमान मुखिया ठाकुर पासवान बताते हैं, ‘‘...अगर कहीं बागमती का दायां तटबंध टूटा तो सारा पानी हमारे ही इलाके से होकर गुजरने वाला है। 1987 के बाद से इस तटबंध के टूटने की घटनाओं में तेजी आयी है। नदी की पेंदी का लेवेल ऊपर उठने से तबाही भी बढ़ी है और बाढ़ का पानी भी ज्यादारास्ते कहाँ हैं?
Posted on 12 Dec, 2011 03:15 PMइस पुल के निर्माण के पहले सोनबरसा में बागमती पर एक बहुत बड़ा घाट हुआ करता था। कोसी थोड़ा दूर उ