चिन्मय मिश्र

चिन्मय मिश्र
एक अनमोल, बेमोल और असाधारण पुस्तक
Posted on 13 Apr, 2012 02:04 PM
‘आज भी खरे हैं तालाब’ करीब दो दशक पूर्व पर्यावरण कक्ष, गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित की गई ऐसी पुस्तक थी जिस पर कोई कॉपीराइट नहीं है। तब से अब तक इस पुस्तक के बत्तीस संस्करण आ चुके हैं और करीब दो लाख से अधिक प्रतियां पाठकों तक पहुंच चुकी हैं। हिन्दी के अलावा इसके पंजाबी, बांग्ला, मराठी, उर्दू एवं गुजराती भाषा में संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इतना ही नहीं इक्कीस आकाशवाणी केंद्रों ने इस पुस्तक को संपूर्णता में प्रसारित किया है और कुछ ने तो श्रोताओं की मांग पर दो-तीन बार पुनः प्रसारित किया है। गांधी शांति प्रतिष्ठान ने इस ‘अनमोल’ पुस्तक के नवीनतम संस्करण को ‘बेमोल’ वितरित करने का अनूठा निर्णय लिया है। यह विशेष संस्करण भी दो हजार प्रतियों का है। पुस्तक का शुरुआती वाक्य है ‘अच्छे-अच्छे काम करते जाना।’
आज भी खरे हैं तालाब
मनरेगा से कृषि पर संकट नहीं
Posted on 06 Jan, 2012 11:09 AM
‘पिरामिड के सबसे नीचे के तल्ले में भूमिहीन खेत मजदूर हैं, जिनकी संख्या चार करोड़ बीस लाख है। ये खेती में लगी हुई जनसंख्या के 37.8 प्रतिशत हैं। इनके बीच कम से कम तीस लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें क्रीतदास या बंधुआ मजदूर कहा जाता है। इनके ऊपर हैं ‘अत्यंत छोटे किसान।’ पांच एकड़ से कम की जमीन के मालिकाना वाली अथवा सम्पत्तिहीन रैयत अथवा बंटाई पर खेती करने वाले किसानों को इसी वर्ग में रखा गया है। भारत में अध
पलायन: कोई विकल्प नहीं है
Posted on 05 Nov, 2011 03:43 PM
कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए,
कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।


- दुष्यंत कुमार
किसके सपनों का भारत !!
Posted on 17 Aug, 2011 03:02 PM

महाराष्ट्र में पुणे के निकट मावल में पुलिस की गोली से चार किसानों के मारे जाने के समाचार को यद

हिरोशिमा अभी भी जल रहा है
Posted on 15 Jul, 2011 03:41 PM

महात्मा गांधी ने बहुत पहले साध्य के लिए साधन की पवित्रता का सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया था । अब

नर्मदा की छाती पर एक नया पत्थर
Posted on 09 Apr, 2010 04:07 PM
भीष्म जी कहते हैं, ‘‘युधिष्ठिर ! जिन वृक्षों के फल खाने के काम आते हैं, उनको तुम्हारे राज्य में कोई काटने न पावे-इसका ध्यान रखना।’’ - ‘महाभारत-शान्तिपर्व’

जिस समय दिल्ली में सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई को 122 मीटर से बढ़ाकर 139 मीटर किए जाने की बैठक चल रही थी, ठीक उसी समय इंदौर के विसर्जन आश्रम में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री सुश्री मेधा पाटकर 11 अप्रैल 2010 से प्रारंभ होने वाली जीवन अधिकार यात्रा एवं इंदौर स्थित नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) पर होने वाले अनिश्चितकालीन धरने की रूपरेखा समझा रहीं थीं। बैठक में शहर के नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। एकाएक फोन बजा और खबर आई कि देवेन्द्र पांडे की अध्यक्षता में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा गठित पर्यावरणीय उप समिति जो कि सरदार सरोवर एवं इंदिरा सागर परियोजनाओं में पर्यावरणीय सुरक्षा से संबंधित दिशानिर्देशों
भ्रष्टाचार का बांध
Posted on 25 Aug, 2010 12:36 PM
‘‘सबसे पहले यह समझना होगा कि भ्रष्टाचार का कारण न व्यक्ति है, न विकास है। अगर विकास के ढांचे में भ्रष्टाचार का बढ़ना अनिवार्य है तो वह फिर विकास ही नहीं है।‘‘ किशन पटनायक

सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को दिए गए विशेष पुनर्वास पैकेज के अन्तर्गत हुए फर्जी रजिस्ट्री कांड की जांच कर रहे न्यायमूर्ति (अवकाशप्राप्त) एस.एस.झा आयोग के सम्मुख गवाही के लिए आ रहे सैकड़ों दलितों और आदिवासियों के साथ हुई धोखाधड़ी के प्रमाण देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने स्वीकार किया है कि उसने तकरीबन 2902 व्यक्तियों को यह पैकेज स्वीकृत किया है। इसमें से 1486 व्यक्तियों को एक किश्त का ही भुगतान हुआ है अर्थात उन्होंने अभी तक जमीन नहीं खरीदी है। इसके बावजूद रजिस्ट्रियों की संख्या 3800 का आंकड़ा पार कर चुकी है। गौरतलब है कि इस विशेष
वनवासी ही शेर को बचायेंगे -सुन्दरलाल बहुगुणा
Posted on 19 Aug, 2010 08:55 AM

(पर्यावणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा से चिन्मय मिश्र की बातचीत)


चिन्मय - अब तो आपको भी टिहरी बांध ने विस्थापित कर दिया है। ऐसे में बांधों को लेकर आपका क्या नजरिया है?

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