चौथी दुनिया

चौथी दुनिया
आरटीआई के इस्तेमाल में समझदारी दिखाएं
Posted on 30 Oct, 2010 10:27 AM
हमारे पास पाठकों के ऐसे कई पत्र आए हैं, जिनमें बताया गया कि आरटीआई के इस्तेमाल के बाद किस तरह उन्हें परेशान किया जा रहा है या झूठे मुक़दमे में फंसाकर उनका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। यह एक गंभीर मामला है और आरटीआई क़ानून के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद से ही इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं। आवेदकों को धमकियां दी गईं, जेल भेजा गया। यहां तक कि कई आरटीआई कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमले भी हुए।
सूचना के बदले कितना शुल्क
Posted on 30 Oct, 2010 10:12 AM
सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जब आप कोई सूचना मांगते हैं तो कई बार आपसे सूचना के बदले पैसा मांगा जाता है। आपसे कहा जाता है कि अमुक सूचना इतने पन्नों की है और प्रति पेज की फोटोकॉपी शुल्क के हिसाब से अमुक राशि जमा कराएं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें लोक सूचना अधिकारी ने आवेदक से सूचना के बदले 70 लाख रुपये तक जमा कराने को कहा है। कई बार तो यह भी कहा जाता है कि अमुक सूचना काफी बड़ी है और इसे एकत्र करने के लिए एक या दो कर्मचारी को एक सप्ताह तक काम करना पड़ेगा, इसलिए उक्त कर्मचारी के एक सप्ताह का वेतन आपको देना होगा। ज़ाहिर है, सूचना न देने के लिए सरकारी बाबू इस तरह का हथकंडा अपनाते हैं।
ऐसे बनाएं आरटीआई आवेदन…
Posted on 30 Oct, 2010 09:38 AM
पिछले अंक में हमने आपको बताया था कि आरटीआई के इस्तेमाल में आने वाली द़िक्क़तों से कैसे निपटा जा सकता है। इस अंक से हम लगातार आरटीआई आवेदन का एक प्रारूप प्रकाशित करेंगे, ताकि आप अपना आरटीआई आवेदन ख़ुद तैयार कर सकें। इसी कड़ी में इस बार का आवेदन नरेगा से संबंधित है। यह आवेदन नरेगा में हो रही (अगर ऐसा है तो) धांधली को सामने लाने या जॉब कार्ड बनवाने में मददगार साबित हो सकता है। हम अपने सुधी पाठकों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे गांव-देहात में रहने वाले लोगों को भी इस कॉलम के बारे में बताएंगे और इसमें दिए गए आरटीआई आवेदन के प्रारूप को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे।
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कराहती नदियां
Posted on 31 Jul, 2010 09:53 AM
आमी का गंदा जल सोहगौरा के पास राप्ती नदी में मिलता है। सोहगौरा से कपरवार तक राप्ती का जल भी बिल्कुल काला हो गया है। कपरवार के पास राप्ती सरयू नदी में मिलती है। यहां सरयू का जल भी बिल्कुल काला नज़र आता है। बताते हैं कि राप्ती में सर्वाधिक कचरा नेपाल से आता है। उसे रोकने की आज तक कोई पहल नहीं हुई। पिछले दिनों राप्ती एवं सरयू के जल को इंसान के पीने के अयोग्य घोषित किया गया। कभी जीवनदायिनी रहीं हमारी पवित्र नदियां आज कूड़ा घर बन जाने से कराह रही हैं, दम तोड़ रही हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, बेतवा, सरयू, गोमती, काली, आमी, राप्ती, केन एवं मंदाकिनी आदि नदियों के सामने ख़ुद का अस्तित्व बरकरार रखने की चिंता उत्पन्न हो गई है। बालू के नाम पर नदियों के तट पर क़ब्ज़ा करके बैठे माफियाओं एवं उद्योगों ने नदियों की सुरम्यता को अशांत कर दिया है। प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्वों को संरक्षण हासिल है। वे जलस्रोतों को पाट कर दिन-रात लूट के खेल में लगे हुए हैं। केंद्र ने भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की सात हज़ार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे पर जांच पूरी होने तक तत्काल रोक लगाने के आदेश दे दिए हों, लेकिन नदियों के साथ छेड़छाड़ और अपने स्वार्थों के
सरकार ही प्रदूषित कर रही है नर्मदा
Posted on 28 Jul, 2010 03:24 PM

धार्मिक दृष्टि से अति पवित्र और प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए भारत सरकार ने मध्य प्रदेश को 15 करोड़ रुपयों की सहायता दी है। इसके अलावा राज्य सरकार भी नर्मदा जल को प्रदूषण से बचाने के लिए कई प्रकार के खर्चीले उपाय कर रही है, लेकिन इस सबके बाद भी नर्मदा में जल प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। कारण, सरकार स्वयं नर्मदा को गंदा कर रही है।
अधर में लटकी जलाशय परियोजना
Posted on 24 Jul, 2010 01:11 PM

देवघर ज़िले में चल रही दो बड़ी बहुप्रतीक्षित एवं बहुचर्चित जलाशय परियोजना का निर्माण कार्य अनियमितता, भ्रष्टाचार, लापरवाही एवं राजनीतिक दावपेंच के चंगुल में फंस कर रह गया है। दोनों ही जलाशय परियोजनाओं पर अब तक अरबों रुपये ख़र्च किए जा चुके हैं। फिर भी निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है। यह निर्माण कार्य जल संसाधन विभाग के अंतर्गत सिंचाई प्रमंडल देवघर द्वारा किया जा रहा है। पुनासी जलाशय परियोजना का निर्माण कार्य 1977 में शुरू हुआ। इसकी अनुमानित लागत 56 करोड़ रुपये थी। 33 वर्ष बीतने के बाद भी इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। अब तक इस पर 117 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। ग़ौरतलब है कि योजना राशि में चार बार संशोधन कर कुल अनुमानित
पर्यावरण का रखवाला जय श्रीराम
Posted on 19 Jul, 2010 02:40 PM

बख्तियारपुर (पटना) निवासी आरक्षी जितेंद्र शर्मा उ़र्फ जय श्रीराम उन चंद पुलिसकर्मियों में शामिल हैं, जिनके कार्य से प्रभावित हुए बिना कोई नहीं रह सकता। पटना के यातायात थाने में तैनात बिहार पुलिस का यह जवान एक अलग कार्य संस्कृति और जीवनशैली के लिए मशहूर हो रहा है। जुनून की सीमा से काफी आगे जाकर जय श्रीराम अब तक तीस हजार पेड़ लगा चुका है। हैरानी की बात यह है कि इस आरक्षी ने कभी किसी से कोई आर्
गोमुख से गंगासागर तक पदयात्रा पर एक संन्यासी
Posted on 19 Jul, 2010 02:00 PM

यदि यह पदयात्रा किसी नेता या अभिनेता की होती अथवा कोई रथयात्रा हो रही होती तो मीडिया इसकी पल-पल की जानकारी दे रहा होता, किंतु यह यात्रा एक संन्यासी कर रहा है, लिहाजा इसकी कहीं चर्चा नहीं हो रही, गोमुख से गंगासागर तक किनारे-किनारे पूरे ढाई हज़ार किलोमीटर लंबे मार्ग पर सर्दी, लू के थपेड़ों और बरसात के बीच इस संन्यासी की पदयात्रा गंगा की निर्मलता के लिए हो रही है। वह भी ऐसे मार्ग पर, जो कभी पार
राजस्‍थान के रास्‍ते महाविनाश की दस्‍तक
Posted on 15 May, 2010 07:03 AM

रेगिस्तान के सामने दीवार बनकर खड़ी अरावली की पहाड़ियां अब नंगी हो गई हैं और मरुस्थल की ताक़त के समक्ष दम तोड़ने लगी हैं. उपग्रह से लिए गए चित्र बताते हैं कि किस तरह रेगिस्तान इस अरावली की कमज़ोर हो चुकी दीवार में सेंध लगाकर अपना आकार बढ़ाने पर आमादा है. इन चित्रों में साफ नज़र आता है कि रेगिस्तान की रुकावट बनी अरावली की पहाड़ियों में नौ दर्रे बन गए हैंजहां से रेगिस्तान का प्रसार हो रहा है. इन दर्रों के ज़रिए रेत लगातार दक्षिणी राजस्थान की ओर बढ़ रही है.

यह पंचांग बांचने वाले किसी पंडित की भविष्यवाणी नहीं है. यह सरहद पार के किसी दुश्मन की साजिश भी नहीं है. यह हमारी अपनी करनी है, जिसका फल हमें भुगतना पड़ेगा. जी हां, राजस्थान के रास्ते महाविनाश देश में दस्तक दे रहा है. थार मरुस्थल के लिए पहचाना जाने वाला राजस्थान हमें अपने मतलबपरस्त और अदूरदर्शी कामों के लिए सजा देने का ज़रिया बनेगा. जब यह महाविनाश आएगा तो किसी की तिजोरी में जमा धन काम नहीं आएगा. कोई चाहे कितना अमीर या पावरफुल हो, सब इसकी जद में होंगे. और, यह भयानक नज़ारा अब हमसे दूर नहीं है. हमारी अपनी ही बनाई गई व्यवस्था में वह एक-एक क़दम आगे बढ़ाता जा रहा है. मौजूदा पीढ़ी शायद इसकी आहट ही महसूस कर रही हो, लेकिन आने वाली पीढ़ियों को हमारे कर्मों का फल ज़रूर भुगतना पड़ेगा.

जलमनी योजना
Posted on 07 May, 2010 08:03 AM
केंद्र सरकार के निर्देश पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 900 बच्चों की सेहत के लिए वाटर फिल्टर लगाने की योजना बनाई है. जलमनी योजना के नाम से छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए स्कूलों में वाटर फिल्टर लगाने की अनुशंसा कर दी, ताकि स्कूलों में ही बच्चों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके.
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