अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
12 मार्च को हिमालय-गंगा बचाओ विमर्श
Posted on 05 Mar, 2017 03:41 PM

अवसर : दाण्डी मार्च वर्षगाँठ
स्थान : गाँधी दर्शन, राजघाट, नई दिल्ली
तिथि : 12 मार्च, 2017
समय : सुबह 10.30-4.00 बजे तक
आयोजक : सेव गंगा मूवमेंट (पुणे) और गाँधी दर्शन एवं स्मृति समिति, नई दिल्ली


यह विमर्श ऐसे समय में हो रहा है, जहाँ एक तरफ कानपुर में गंगाजल में लाल और सफेद रंग के कीडे़ पाये जाने से नई चुनौती पेश हो गई है, तो दूसरी ओर बिहार मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने पटना में एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन कर गंगा में प्रस्तावित बैराजों के खिलाफ मुहिम का ऐलान कर दिया है। भागलपुर से पटना के बीच बेतहाशा बढ़ती गाद के दुष्परिणाम से बचने के लिये फरक्का बैराज को तोडे़ जाने की माँग वह पहले ही कर चुके हैं।

गंगा-गांधी संयोग


भारत की आजादी के लिये जन-जनार्दन को एकजुट करने और ब्रिटिश सत्ता को जनता की सत्ता की ताकत बताने के लिये महात्मा गाँधी ने कभी दाण्डी मार्च किया था। आने वाले 12 मार्च, को दाण्डी मार्च की वर्षगाँठ है। आयोजकों ने इस मौके को जल सत्याग्रह दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया है।

''गंगा, सभी नदियों और जलसंचरनाओं की प्रतीक है; गिरिराज हिमालय, सभी पर्वतों, जंगलों और वन्यजीवन का और गाँधी, सत्य और अहिंसा की संस्कृति का।'' - प्रेषित विस्तृत आमंत्रण पत्र में गंगा, हिमालय और गाँधी को इन शब्दों में एक साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए श्रीमती रमा राउत ने खुले मन के रचनात्मक समालोचना विमर्श की इच्छा जताई है। श्रीमती रमा राउत, भारत सरकार की गंगा पुनरुद्धार विशेषज्ञ सलाहकार समिति की सदस्य होने के साथ-साथ 'सेव गंगा मूवमेंट' की संस्थापक-संयोजक हैं।
Gangotri
कार्बन क्रेडिट की दौड़ में शामिल पवित्र जंगलों की विरासत
Posted on 05 Mar, 2017 01:48 PM


मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित है जिला-ईस्ट खासी हिल्स। यहाँ की जयन्तिया पहाड़ियों के बीच सिमटी है घाटी - मावफलांग। समुद्र से 5,000 फीट की ऊँचाई पर बसे मावफलांग के पवित्र जंगलों की दास्तानें काफी पुरानी व दिलचस्प है।

मावफलांग जंगल
देह के बाद अनुपम
Posted on 03 Mar, 2017 12:01 PM


जब देह थी, तब अनुपम नहीं; अब देह नहीं, पर अनुपम हैं। आप इसे मेरा निकटदृष्टि दोष कहें या दूरदृष्टि दोष; जब तक अनुपम जी की देह थी, तब तक मैं उनमें अन्य कुछ अनुपम न देख सका, सिवाय नए मुहावरे गढ़ने वाली उनकी शब्दावली, गूढ़ से गूढ़ विषय को कहानी की तरह पेश करने की उनकी महारत और चीजों को सहेजकर सुरुचिपूर्ण ढंग से रखने की उनकी कला के।

डाक के लिफाफों से निकाली बेकार गाँधी टिकटों को एक साथ चिपकाकर कलाकृति का आकार देने की उनकी कला ने उनके जीते-जी ही मुझसे आकर्षित किया। दूसरों को असहज बना दे, ऐसे अति विनम्र अनुपम व्यवहार को भी मैंने उनकी देह में ही देखा।

अनुपम मिश्र
जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम
Posted on 19 Feb, 2017 04:30 PM


यदि हमारी खेती प्रमाणिक तौर पर 100 फीसदी जैविक हो जाये, तो क्या हो? यह सोचते ही मेरे मन में सबसे पहले जो कोलाज उभरता है, उसमें स्वाद भी है, गन्ध भी, सुगन्ध भी तथा इंसान, जानवर और खुद खेती की बेहतर होती सेहत भी। इस चित्र के लिये एक टैगलाइन भी लिखी है - “अब खेती और किसान पर कोई तोहमत न लगाए कि मिट्टी, भूजल और नदी को प्रदूषित करने में उनका भी योगदान है।’’

अभी यह सिर्फ एक कागजी कोलाज है। जमीन पर पूरी तरह कब उतरेगा, पता नहीं। किन्तु यह सम्भव है। सिक्किम ने इस बात का भरोसा दिला दिया है। उसने पहल कर दी है। जब भारत का कोई राज्य अपने किसी एक मण्डल को सौ फीसदी जैविक कृषि क्षेत्र घोषित करने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में कोई राज्य 100 फीसदी जैविक कृषि राज्य होने का दावा करे; यह बात हजम नहीं होती।

सिक्किम में जैविक खेती
क्या भाजपा ने गंगा को चुनावी अछूत मान लिया है
Posted on 19 Feb, 2017 10:55 AM

धर्म, जाति, समुदाय अथवा भाषा के आधार पर वोट माँगने पर अब सुप
Ganga river
कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना
Posted on 17 Feb, 2017 01:45 PM

जैविक खाद की तुलना में रासायनिक उर्वरक का उपयोग करने रहने पर
nature
अरुण के आंचल में खुशबू खजाना
Posted on 06 Feb, 2017 11:42 AM


उगते सूरज का प्रदेश, सर्वाधिक क्षेत्रीय बोलियों वाला प्रदेश, भारत का तीसरा विशाल राष्ट्रीय पार्क (नाम्दाफा नेशनल पार्क) वाला प्रदेश जैसे भारतीय स्तर के कई विशेषण अरुणाचल प्रदेश के साथ जुड़े हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश के लिये जो विशेषण सबसे खास और अनोखा है, वह है, यहाँ उपलब्ध सबसे अधिक आॅर्चिड विविधता।

ऑर्चिड या पुष्पबूटी
काश पंच महाभूत भी होते वोटर
Posted on 04 Feb, 2017 12:04 PM

विधानसभा चुनाव 2017 पर विशेष

 


पारम्परिक जलस्रोतों की अनदेखी ने बढ़ाया जल संकटपंजाब, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर - पाँच राज्य, एक से सात चरणों में चुनाव। 04 फरवरी से 08 मार्च के बीच मतदान; 11 मार्च को वोटों की गिनती और 15 मार्च तक चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न। मीडिया कह रहा है - बिगुल बज चुका है। दल से लेकर उम्मीदवार तक वार पर वार कर रहे हैं।

रिश्ते, नाते, नैतिकता, आदर्श.. सब ताक पर हैं। कहीं चोर-चोर मौसरे भाई हो गए हैं, तो कोई दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली कहावत चरितार्थ करने में लगे हैं। कौन जीतेगा? कौन हारेगा? रार-तकरार इस पर भी कम नहीं। गोया जनप्रतिनिधियों का चुनाव न होकर युद्ध हो। सारी लड़ाई, सारे वार-तकरार.. षड़यंत्र, वोट के लिये है। किन्तु वोटर के लिये यह युद्ध नहीं, शादी है।

पारम्परिक जलस्रोतों की अनदेखी ने बढ़ाया जल संकट
बर्बादी रोकनी है, तो नमभूमि बचाएँ
Posted on 02 Feb, 2017 11:05 AM

विश्व नम भूमि दिवस - 02 फरवरी, 2017 पर विशेष


लोकटक झीललोकटक झीलहर्ष की बात है कि विश्व नमभूमि दिवस - 2017 से ठीक दो दिन पहले आस्ट्रेलिया सरकार ने 15 लाख डॉलर की धनराशि वाले ‘वाटर एबंडेंस प्राइज’ हेतु समझौता किया है। यह समझौता, भारत के टाटा उद्योग घराने और अमेरिका के एक्सप्राइज घराने के साथ मिलकर किया गया है।

विषाद का विषय है कि जल संरक्षण के नाम पर गठित इस पुरस्कार का मकसद हवा से पानी निकालने की कम ऊर्जा खर्च वाली सस्ती प्रौद्योगिकी का विकास करने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।

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