अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
ये तालाब हैं ही नहीं तो पानी कहां से भरेगा?
Posted on 01 Jul, 2011 10:45 AM

ऐसा लगता है कि तालाबों के रचनाकारों को इस बात की परवाह ही नहीं है कि तालाबों में पानी रहे या न

pond
वायु प्रदूषण: साफ सांसों की खातिर आइए,  हवा बनायें मुआफिक
Posted on 09 Nov, 2022 02:37 PM

ऋतु परिवर्तन के इन दिनों में दिल्ली का वायु प्रदूषण फिर उसी स्तर की ओर अग्रसर है, जहां हम वर्ष 2019 में थे: पिछले चार साल में खराब हवा के दिन - 1440; बेहद खराब हवा की अवधि - तीन माह; अच्छी हवा की उपलब्धता - मात्र पांच दिन। 14 चिन्हित स्थान ऐसे, जिनकी वायु गुणवत्ता, शेष दिल्ली की तुलना में हमेशा खराब। वायु प्रदूषण के कारण इंसानी मौतों का आंकड़ा - 30,000 प्रति वर्ष। कोरोना और स्माॅग साथ-साथ होने प

विकेंद्रकीकृत प्रबंधन पर हो जोर
Posted on 03 Jun, 2019 01:04 PM

बढ़ते सुखाड़ का घाव अब नासूर बन चुका है। अगले पांच साल बाद हालात बेहद गंभीर होंगे। जरूरत राहत की नहीं, रोग की जड़ पर जाकर उसका नाश करने की है। सिंचाई और उद्योग-पानी के दो सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। इन दोनों से उनकी जरूरत के पानी के इंतजाम की जवाबदेही खुद उनके हाथ में देने की प्राथमिकता पर लाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।

water crisis
बातों से नहीं बनेगी बात
Posted on 07 May, 2019 01:37 PM

दो दशक पहले तक भारत में गर्मी का मौसम 3 महीने के लिए आता था। पानी की किल्लत दूसरे गर्म महीने में दस्तक देती थी। इस साल सर्दियां थोड़ी लंबी ज़रूर खिंच गई हैं, किंतु अब गर्मियां, मार्च से जून तक 4 महीने के लिए आती हैं। पानी की कमी का संकट जनवरी से ही शुरू हो जाता है। इस वर्ष मध्य और पूर्वी भारत में मानसून के कमजोर रहने का अनुमान आया है। स्पष्ट है कि पानी कुछ और तरसाएगा।

सौराष्ट्र के एक कसबे में महिला पानी के लिए जाती हुई
जल कौशल से होगा हल
Posted on 02 Jul, 2018 03:26 PM

वर्षाजल से पेयजल का इन्तजाम करने का कौशल जैसलमेर के रामगढ़ का हर ग्रामवासी जानता है। नगरीय हाउसिंग और औद्य

rainwater harvesting
गाँधी जी का पर्यावरण मंत्र संयम, स्वावलम्बन और सोनखाद
Posted on 01 Oct, 2015 10:13 AM

स्वच्छता दिवस, 02 अक्टूबर 2015 पर विशेष


कचरा, पर्यावरण का दुश्मन है और स्वच्छता, पर्यावरण की दोस्त। कचरे से बीमारी और बदहाली आती है और स्वच्छता से सेहत और समृद्धि। ये बातें महात्मा गाँधी भी बखूबी जानते थे और हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी भी। इसीलिये गाँधी जी ने स्वच्छता को स्वतंत्रता से भी ज्यादा जरूरी बताया। मैला साफ करने को खुद अपना काम बनाया।

गाँवों में सफाई पर विशेष लिखा और किया। कुम्भ मेले में शौच से लेकर सुर्ती की पीक भरी पिचकारी से हुई गन्दगी से चिन्तित हुए। श्रीमान मोदी ने भी स्वच्छता को प्राथमिकता पर रखते हुए स्वयं झाड़ू लगाकर अपने प्रधानमंत्रित्व काल के पहले ही वर्ष 2014 में गाँधी जयन्ती को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत की।

वर्ष-2019 में गाँधी जयन्ती के 150 साल पूरे होने तक 5000 गाँवों में दो लाख शौचालय तथा एक हजार शहरों में सफाई का लक्ष्य भी रखा।
Mahatma Gandhi
हिमालय की समझ और सतर्कता की जरूरत
Posted on 28 Apr, 2015 12:49 PM
नेपाल को केन्द्र बनाकर आया भूकम्प, हिमालयी क्षेत्र के लिए न पहला है और न आखिरी। भूकम्प पहले भी आते रहे हैं, आगे भी आते ही रहेंगे। हिमालय की उत्तरी ढाल यानी चीन के हिस्से में कोई न कोई आपदा, महीने में एक-दो बार हाजिरी लगाने जरूर आती है। कभी यह ऊपर से बरसती है और कभी नीचे सबकुछ हिला कर चली जाती है। अब इनके आने की आवृति, हिमालय की दक्षिणी ढाल यानी भारत, नेपाल और भूटान के हिस्से में भी बढ़ गई हैं। ये
Himalaya
पानी और टिकाऊ विकास में कैसे हो सन्तुलन
Posted on 23 Mar, 2015 06:53 AM
भारतीय जल पर बात करने के पारम्परिक दिवस कई हैं। 22 मार्च विश्व जल दिवस है, सो बात वैश्विक ही की जाए। भारत में नए विज्ञापनों में पानी की बचत के नुख्से मुँह, बर्तन, गाड़ी धोते वक्त नल खुले रखने के बजाय मग और बाल्टी के उपयोग तथा अनुशासित सिंचाई तक सीमित रहते हैं। लेकिन इस मामले में अन्तरराष्ट्रीय नजरिया बेहद बुनियादी और ज्यादा व्यापक है। यह नजरिया संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष विश्व जल दिवस के लिए घो
bird bathing in water
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