अरुण तिवारी
गाद और प्रदूषण की चपेट में बैतरणी नदी बेसिन
Posted on 20 Dec, 2011 04:47 PMक्या हम कचरा खाने के लिए हैं?
जब जागो, तभी सवेरा
Posted on 18 Dec, 2011 01:05 PMआज नदी की धारा खुल चुकी है और लोगों के मन भी। बकुलाही संसद के निर्माण के लिए बकुलाही पुत्रों क
![bakulahi river](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/bakulahi%20river_5.jpg?itok=gbTD4r8m)
कुदरत बहाये, हम रोकें नदी !!
Posted on 18 Dec, 2011 12:39 PM’’गर फुर्सत मिले तो पानी की तहरीरों को पढ़ लेना।हरेक दरिया हजारों साल इक अफसाना सा लिखता है।’’
![river](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/river_24_6.jpg?itok=V3bG52HO)
नदी सूखी तो सपने भी हो गये रेत
Posted on 18 Dec, 2011 12:11 PMयोजना-परियोजनायें बनी, तो बात बड़ी-बड़ी नदी, तालाब, झील या वर्षा व भूजल तक सीमित होकर रह गई। अ
![Narmada](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Narmada_3_10.jpg?itok=rP-cpGE9)
मत-अभिमत: पानीदार होने से ही पलायन रुकेगा युवराज!
Posted on 23 Nov, 2011 12:16 PMसंदर्भ: यूपी के लोगों के पलायन संबंधी राहुल गांधी का बयान
![Rahul Gandhi](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Rahul%20Gandhi_5.jpg?itok=RJy4Fs8A)
मत-अभिमत: बयान नहीं, संजीदा कोशिश से ही होगा पानी आबाद
Posted on 23 Nov, 2011 11:50 AMसंदर्भ: आर्गनाइजर में छपी दिल्ली मुख्यमंत्री को चेतावनी- पानी दंगे करा सकता है।
![water privatization](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/water%20privatization_9.jpg?itok=ZjmwRFv-)
मंदाकिनी रूठी, तो क्या रूठ नहीं जायेंगे श्रीराम?
Posted on 22 Nov, 2011 09:38 AMचित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।
तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक देंय रघुवीर।।मंदाकिनीएक जमाने तक यह चौपाई सुनाकर रामचरितमानस के वाचक रामभक्त तुलसी के महत्व बखान किया करते थे। किंतु अब वाचक तो वाचक, पूर्णिमा-अमावस्या स्नान दर्शन के लिए पैदल ही खिंचे चले आने वाले भी शायद भूल चुके हैं कि उनकी जिंदगी में मानिकपुर, मैहर और चित्रकूट का क्या महत्व है। यदि आस्थावानों की आस्था सच्ची होती, तो इनका हाल बेहाल न होता।
उल्लेखनीय है कि ये तीनों स्थल बुंदेलखण्ड में आस्था के बड़े केंद्र हैं। यहां के पहाड़, जंगल और नदियां ही इन स्थलों की शक्ति रहे हैं। वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता ने इन्हीं शक्तियों से शक्ति पाई। किंतु बीते कुछ वर्षों से यह शक्ति लगातार क्षीण हो रही है। केन, बेतवा, धसान जैसी महत्वपूर्ण नदियां थक रही हैं। स्रोत से शुरू हुई जलधारा अब नदियों के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच रही है। चित्रकूट का मनप्राण-मंदाकिनी का प्रवाह भी अब मंद पड़ गया है। मंदाकिनी नदी की 30 किमी तक सूख गई है। मंदाकिनी की आकर्षित करने वाली नीलिमा अब कालिमा
![mandakini](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/mandakini_6.jpg?itok=54mFMm8m)
इंडिया वाटर बनाम इंडिया मार्का
Posted on 24 Oct, 2011 04:59 PMपिछले दिनों अमेठी के करीब 250 मानिंदों की सहभागिता से संपन्न हुए एक उर्जा सम्मेलन ने चेतना जगा
![indiamark handpump](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/indiamark%20handpump_5.jpg?itok=rL4hmc49)