अरुण तिवारी
29 मई को महानदी जलाधिकार सम्मेलन
Posted on 25 May, 2017 10:57 AM
लू और कुछ अन्य परिस्थितियों के कारण महानदी जलाधिकार सम्मेलन 29 मई को नहीं होगा। आयोजकों ने जल्द ही नई तिथि तय कर सूचित करने की जानकारी दी है।
तिथि : 29 मई, 2017
समय : प्रातः 10 बजे से दोपहर बाद 03 बजे तक
स्थान : इन्सटीट्युशन आॅफ इंजीनियर्स (रेडक्रास भवन के सामने), सचिवालय मार्ग, भुवनेश्वर, उड़ीसा
आयोजक : महानदी बचाओ, आजीविका बचाओ अभियान
विषय : महानदी एवं अन्य नदी बेसिन में जलाधिकार
एक परिचय महानदी
महानदी यानी महान नदी। महानदी, मध्य-पूर्वी भारत की सबसे खास नदियों में से एक है। महानदी, कई पहाड़ी और मैदानी प्रवाहों से मिलकर बनी उत्तर प्रवाहिणी नदी है। महानदी की यात्रा छत्तीसगढ़ से फरसिया गाँव से शुरू होकर उड़ीसा के रास्ते बंगाल की घाटी में प्रवेश करती है। प्रवेश से पूर्व, ब्राह्मणी नदी के साथ मिलकर विशाल डेल्टा बनाती है। महानदी का यात्रामार्ग 858 किलोमीटर लंबा है। इस बीच महानदी, कई नदियों और कटक, संबलपुर जैसे प्राचीन व्यापारिक नगरों से संगम करती चलती है।
एक समय तक महानदी, अपने मूल स्रोत से करीब 190 किलोमीटर तक पारम्परिक नौवाहन के लिये विख्यात थी। हीराकुण्ड बाँध के निर्माण ने यह सुविधा समाप्त की। हीराकुण्ड बाँध निर्माण से पहले महानदी भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक गाद लेकर चलने वाली नदियों में से एक थी।
बिहार गंगा गाद और अविरलता पर दिल्ली में सेमिनार
Posted on 15 May, 2017 01:35 PM
दिनांक : 18-19 मई, 2017
समय : प्रातः 09 बजे से 05 पाँच बजे सायं तक
स्थान : इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर, लोदी एस्टेट, नई दिल्ली -110003
सेमिनार का विषय : बिहार में गंगा की अविरलता में बाधक गाद : समस्या और समाधान
आयोजक : जल संसाधन विभाग, बिहार शासन, पटना
गंगा के पास भले ही 'राष्ट्रीय नदी' और 'जीवित इकाई' का दर्जा हो, लेकिन उसकी सांस को बाधित करने के प्रयास अभी रुके नहीं हैं। उत्तराखण्ड की गंगा के गले के लगी फाँसों से हम परिचित ही हैं। हल्दिया से इलाहाबाद तक राष्ट्रीय जलमार्ग - एक परियोजना की ज़िद ठाने केन्द्र सरकार, एक ओर गंगा की कृत्रिम ड्रेजिंग यानी उडाही करके नदी की गाद से छेड़-छाड़ कर रही है, तो दूसरी ओर टर्मिनल, जलपोतों की मरम्मत आदि के लिये निर्माण के जरिए गंगा नदी भूमि पर बाधायें खड़ी करने जा रही है। इस पूरे परिदृश्य के बीच में फरक्का बैराज दुष्परिणाम के पीड़ितों ने अवाज उठानी शुरू कर दी है। खासकर, पश्चिम बंगाल के माल्दा टाउन और मुर्शिदाबाद ज़िले कटान से बुरी तरह प्रभावित हैं।
नर्मदा कार्ययोजना: विशेषज्ञ राय हेतु 08 को सेमिनार
Posted on 06 May, 2017 02:01 PM
दिनांक: 08 मई, 2017
स्थान: भोपाल, मध्य प्रदेश
आयोजक: मध्य प्रदेश शासन
सेमिनार का विषय: नदी जल और पर्यावरण संरक्षण
मध्य प्रदेश शासन के योजना, आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक खाण्डेकर से प्राप्त आमंत्रण पत्रानुसार, शासन 08 मई को भोपाल में नदी जल और पर्यावरण संरक्षण विषय पर एक सेमिनार आयोजित कर रहा है। सेमिनार का उद्देश्य, नर्मदा नदी संरक्षण एवं संवर्द्धन कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने हेतु विशेषज्ञों के अनुभवों का लाभ लेना है। इसी उद्देश्य से सेमिनार में चर्चा हेतु विषयवार पाँच समूहों का गठन किया गया है:
आइये, ब्रह्मपुत्र को जानें - भाग 01
Posted on 04 May, 2017 11:36 AM
रिकाॅर्डधारक ब्रह्मपुत्र
जैसे पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों के बिना भारत के बाजूदार नक्शे की कल्पना अधूरी है, वैसे ही ब्रह्मपुत्र के बिना पूर्वोत्तर भारत का कल्पनालोक भी अधूरा ही रहने वाला है। ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति भी है, सभ्यता भी और अस्मिता भी। ब्रह्मपुत्र बर्मी भी है, द्रविड़ भी, मंगोल भी, तिब्बती भी, आर्य भी, अनार्य भी, अहोम भी और मुगल भी। उसने खुद अपनी आँखों से इन तमाम संस्कृतियों को आपस में लड़ते, मिलते, बिछुड़ते और बढ़ते देखा है। तमाम बसवाटों को बसते-उजड़ते देखने का सुख व दर्द। दोनों का एहसास ब्रह्मपुत्र में आज भी जिंदा है। ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर भारत की लोकास्थाओं में भी है, लोकगीतों में भी और लोकगाथाओं में भी। ब्रह्मपुत्र, भूपेन दा का संगीत भी है और प्रकृति का स्वर प्रतिनिधि भी। पूर्वोत्तर की रमणियों का सौंदर्य भी ब्रह्मपुत्र में प्रतिबिम्बित होता है और आदिवासियों का प्रकृति प्रेम भी और गौरवनाद भी। आस्थावानों के लिये ब्रह्मपुत्र, ब्रह्म का पुत्र भी है और बूढ़ा लुइत भी। लुइत यानी लोहित यानी रक्तिम।
धरती के प्रति धर्म निभाने का आह्वान
Posted on 22 Apr, 2017 10:25 AM
पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल 2017 पर विशेष
शेयर बाजार अपनी गिरावट का दोष, बारिश में कमी को दे रहा है। उद्योगपति, गिरते उत्पादन का ठीकरा पानी की कमी पर फोड़ रहे हैं। डाॅक्टर कह रहे हैं कि हिन्दुस्तान में बढ़ती बीमारियों का कारण जहरीला होते हवा-पानी हैं। भूगोल के प्रोफेसर कहते हैं कि मिट्टी में अब वह दम नहीं रहा। उपभोक्ता कहते हैं कि सब्जियों में अब स्वाद नहीं रहा। कृषि वैज्ञानिक कह रहे हैं कि तापमान बढ़ रहा है, इसलिये उत्पादन घट रहा है। किसान कहता है कि मौसम अनिश्चित हो गया है, इसलिये उसके जीवन की गारंटी भी अनिश्चित हो गई है।
पेयजल को लेकर आये दिन मचने वाली त्राहि-त्राहि का समाधान न ढूँढ पाने वाली हमारी सरकारें भी मौसम को दोष देकर अपना सिर बचाती रही हैं। अप्रैल के इस माह में बेकाबू होते पारे को हम सभी कोस रहे हैं, किन्तु अपने दोष को स्वीकार कर गलती सुधारने की दिशा में हम कुछ खास कदम उठा रहे हों; ऐसा न अभी सरकार के स्तर पर दिखाई देता है और न ही हमारे स्तर पर।
आइए, संजो लें विरासत के ये निशां
Posted on 18 Apr, 2017 10:08 AMविश्व विरासत दिवस, 18 अप्रैल 2017 पर विशेष
जलमंत्री कपिल मिश्रा को भी लगा राजरोग
Posted on 15 Apr, 2017 04:05 PM
परसों खबर मिली कि विशेषज्ञ समिति ने माना है कि श्री श्री रविशंकर द्वारा गत वर्ष यमुना पर किये आयोजन के कारण यमुना की क्षति हुई है। कल खबर मिली कि दिल्ली के जलसंसाधन मंत्री श्री कपिल मिश्रा ने विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों का मजाक ही नहीं उड़ाया, बल्कि श्री श्री को पुनः यमुना तट पर आयोजन हेतु आमंत्रित भी किया है। मजाक भी किसी प्राइवेट लिमिटेड विशेषज्ञ समिति का नहीं, बल्कि खुद भारत सरकार के जलसंसाधन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति का उड़ाया गया है।
दुखद भी, अविश्वसनीय भी
मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि पर्यावरण विशेषज्ञ समिति का मजाक उड़ाने वाला यह शख्स वही है, जिसे मैंने पर्यावरण के जाने-माने विशेषज्ञ स्व. श्री अनुपम मिश्र की अन्तिम संस्कार के मौके पर गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान से लेकर निगम बोध घाट तक हर जगह घंटों हाथ बाँधे खड़ा देखा था।