अरुण तिवारी
बूँदों पर टिकी बुनियाद की मज़बूती जरूरी
Posted on 29 Mar, 2015 03:18 PM‘पानी और सतत् विकास’ - विश्व जल दिवस-2015 के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का सूत्र बिन्दु यही है। भारत में पानी और नदियों के बढ़ते संकट तथा विकास का आसमान छू लेने की ललक को देखते हुए यह एक चुनौती ही है।
चिन्ता पर चिन्तन का दिन
Posted on 24 Mar, 2015 04:10 PMविश्व जल दिवस पर विशेष
प्रकृति और इंसान के बनाए ढाँचों में सन्तुलन कैसे हो?
प्रकृति है, तो पानी है। पानी है, तो प्रकृति का हर जीव है; पारिस्थितिकी है। समृद्ध जल सम्पदा के बगैर, पारिस्थितिकीय समृद्धि सम्भव नहीं। पारिस्थितिकीय समृद्धि के बगैर, जल समृद्धि की कल्पना करना ही बेवकूफी है। विश्व जल दिवस के प्रणेताओं की चिन्ता है कि जलचक्र, अपना अनुशासन और तारतम्य खो रहा है। प्रकृति और इंसान की बनाए ढाँचों के बीच में सन्तुलन कैसे बने? प्रकृति को बदलने का आदेश हम दे नहीं सकते। हम अपने रहन-सहन और आदतों को प्रकृति के अनुरूप कैसे बदलें? चिन्ता इसकी है।
स्लम बढ़े या गाँव रहें?
पानी बसाता है। सारी सभ्यताएँ पानी के किनारे ही बसीं। किन्तु दुनिया भर में हर सप्ताह करीब 10 लाख लोग अपनी जड़ों से उखड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहेे हैं। 7400 लाख लोगों को वह पानी मुहैया नहीं, जिसे किसी भी मुल्क के मानक पानी योग्य मानते हैं।

जल दिवस का भारतीय संयोग
Posted on 22 Mar, 2015 01:07 PMविश्व जल दिवस पर विशेष
कितना सुखद संयोग है! 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के बहाने हम सब की अपनी एक नन्हीं घरेलू चिड़िया की चिन्ता; देशी माह के हिसाब से चैत्री अमावस्या यानी गोदान का दिन। 21 मार्च को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी मौसमी परिवर्तन पर संयमित जीवनशैली का आग्रह करते नवदिन और नवदिनों का प्रारम्भ।

खास होती, नदियों की आस
Posted on 18 Mar, 2015 12:38 PMविश्व जल दिवस पर विशेष
बधाई! यह विश्व जल दिवस के आने से पहले की कई तारीखें भारत की नदियों के लिए कुछ खास आस लेकर आई हैं। अच्छी खबरें कई हैं, लेकिन इससे अच्छी और अतुलनीय.. कोई नहीं।

सन्दर्भ : भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल-2015
Posted on 12 Mar, 2015 03:43 PMभूमि संशोधनों में कितना है दम

भू-अधिकार आयोजनों का हासिल
Posted on 03 Mar, 2015 11:09 AM भू-अधिकार के मसले पर सरकार को चेतावनी देने के आयोजनों का एक दौर सम्पन्न हो चुका है। वाया अन्ना, आयोजन का अगला दौर नौ मार्च को वर्धा (महाराष्ट्र) स्थित सेवाग्राम से शुरू होगा। इन आयोजनों का जनता को हुआ हासिल अभी सिर्फ इतना ही है कि वह जान चुकी है कि कोई ऐसा कानून बना था, जिसमें उनकी राय के बगैर खेती-किसानी की ज़मीन नहीं ली जा सकती थी।
अधिकार से अधिग्रहण तक सुधार माँगती ज़मीन
Posted on 22 Feb, 2015 04:16 PMबीते एक दशक में कई इलाकों में खेती का रकबा घटा है। खाद्यान्न उत्पा