अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
बच्चों के नाम, एक पाती पानी की
Posted on 23 Nov, 2015 08:58 AM

प्रिय बच्चों,
water
उत्तर तलाशता जलवायु प्रश्न
Posted on 21 Nov, 2015 10:20 AM
पृथ्वी, एक अनोखा, किन्तु छोटा सा ग्रह है। अभी इसके बारे में ही हमारा विज्ञान अधूरा है। ऐसे में एक अन्तरिक्ष के बारे में सम्पूर्ण जानकारी का दावा करना या फिर जाने और कितने अन्तरिक्ष हैं; यह कहना, इंसान के लिये दूर की कौड़ी है।

सम्पूर्ण प्रकृति को समझने का दावा तो हम कर ही नहीं सकते; फिर भी हम कैसे मूर्ख हैं कि प्रकृति को समझे बगैर, उसे अपने अनुकूल ढालने की कोशिश में लगे हैं। कोई आसमान से बारिश कराने की कोशिश करने में लगा है, तो कोई प्रकृति द्वारा प्रदत्त हवा, पानी को बदलने की कोशिश में! क्या ताज्जुब की बात है कि इंसान ने मान लिया है कि वह प्रकृति के साथ जैसे चाहे व्यवहार करने के लिये स्वतंत्र है।
COP 20
आत्ममंथन से सुलझेंगी ये उलझी गाँठें
Posted on 20 Oct, 2015 03:21 PM
पिछले तीन सप्ताह के दौरान आन्ध्र के अकेले अनन्तपुर के हिस्से में 22
Arun tiwari
यूँ तो सुफल नहीं ला पाएगी ‘नमामि गंगे’
Posted on 20 Oct, 2015 12:13 PM
नदी बाँध विरोधियों के लिये अच्छी खबर है कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली सरकार को चेताया है कि वह बाँधों के निर्माण के लिये तब तक दबाव न डाले, जब तक कि वह दिल्ली की जल-जरूरत को पूरा करने के लिये अपने सभी स्थानीय विकल्पों का उपयोग नहीं कर लेती। जाहिर है कि इन विकल्पों में दिल्ली के सिर पर बरसने वाला वर्षाजल संचयन, प्रमुख है। आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली अपने जल प्रबन्धन को सक्षम बनाए तथा जलापूर्ति तंत्र को बेहतर करे।

पनबिजली के विरोधाभास


नदी बाँध विरोधियों के लिये बुरी खबर है कि देश की इसी सबसे बड़ी अदालत ने अलकनंदा-भागीरथी नदी बेसिन की पूर्व चिन्हित 24 परियोजनाओं को छोड़कर, उत्तराखण्ड राज्य की शेष पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये, पर्यावरण मंत्रालय को छूट दे दी है।
Hydro power project
मूर्ति विसर्जन पर एक चिट्ठी, धर्माचार्यों के नाम
Posted on 18 Oct, 2015 03:16 PM

नवरात्र विशेष


धर्म जगत के सभी आचार्यों को प्रणाम।
मूर्ति विसर्जन पर एक विनम्र निवेदन प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उचित लगे, तो स्वीकारें और अनुचित लगे, तो मुझे सुधारें।
खुशी होगी।


आचार्यवर!
.आम धारणा है कि मुख्य रूप से उद्योग, सीवेज और शहरी ठोस कचरा मिलकर हमारी नदियों को प्रदूषित करते हैं। इसीलिये प्रदूषण के दूसरे स्रोत, कभी किसी बड़े प्रदूषण विरोधी आन्दोलन का निशाना नहीं बने। समाज ने खेती में प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को नदी के लिये कभी बड़ा खतरा नहीं माना।

संस्कार व दूसरे धार्मिक कर्मकाण्डों में प्रयोग होने वाली सामग्रियों के कारण नदियों का कुुछ नुकसान होने की बात का विरोध ही हुआ। देखने में यही लगता है कि धूप, दीप, कपूर, सिंदूर, रोली-मोली, माला, माचिस की छोटी सी तीली, और पूजा के शेष अवशेष मिलकर भी क्या नुकसान करेंगे इतनी बड़ी नदी का। इसी सोच के कारण हम अपनी आस्था को आगे पाते हैं और नदी की सेहत को पीछे।
statue immersion
ताकि पानी और हम रहें निर्विवाद
Posted on 14 Oct, 2015 03:23 PM

कन्फ्लिक्ट रिजोल्यूशन दिवस, 15 अक्टूबर 2015 पर विशेष


. आज के दिन हम जल विवादों को निपटारे पर चर्चा कर रहे हैं, तो हमें जरा सोचना चाहिए कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गंग और हरियाणा में यमुना नहरों से अधिकांश पानी निकाल लेने के कारण इनके निचले हिस्से वालों की सेहत पर कुप्रभाव पड़ता है कि सुप्रभाव?

उत्तराखण्ड के बाँधों द्वारा पानी रोक लेने से उत्तर प्रदेश वाले खुश क्यों नहीं होते? नदी जोड़ परियोजना, ऐसी नाखुशी कोे घटाएगी कि बढ़ाएगी? क्या भारत की गंगा-ब्रह्मपुत्र पर बाँध-बैराज, बांग्ला देश के हित का काम है?

हित-अनहित की गाँठ बनते नदी बाँध


भारत, आज यही सवाल चीन से भी पूछ सकता है। चीन, पहले ही भारत की 43,800 वर्ग किलोमीटर जमीन हथियाए बैठा है।
water conflict
आपदा को समृद्धि में बदलने के बाढ़ सूत्र
Posted on 13 Oct, 2015 01:51 PM

इंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष


.13 अक्टूबर अन्तरराष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण दिवस है। जब पोर्टल के श्री रमेश ने मुझसे इस मौके पर बाढ़ को विषय बनाकर लेख लिखने का अनुरोध किया, तो सबसे पहला ख्याल यह आया कि क्या वाकई बाढ़, एक आपदा है?

क्या वाकई बाढ़, एक आपदा है?


जवाब आया कि बाढ़, प्राकृतिक होती है और कृत्रिम कारणों से भी, किन्तु यह सदैव आपदा ही हो, यह कहना ठीक नहीं। आपदा के आने का पता नहीं होता; कई नदियों में तो हर वर्ष बाढ़ आती है। पता होता है कि एक महीने के आगे-पीछे बाढ़ आएगी ही; तो फिर यह आपदा कहाँ हुई?
flood
साखर, संचय, हुनर, जैविकी : सूखे में सुख सार
Posted on 10 Oct, 2015 03:41 PM

इंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष


.सूखा पहले कभी-कभी आता था; अब हर वर्ष आएगा। कहीं-न-कहीं; कम या ज्यादा, पर आएगा अवश्य; यह तय मानिए। यह अब भारत भौगोलिकी के नियमित साथी है। अतः अब इन्हें आपदा कहने की बजाय, वार्षिक क्रम कहना होगा। वजह एक ही है कि सूखा अब आसमान से ज्यादा, हमारे दिमाग में आ चुका है।

हमने धरती का पेट इतना खाली कर दिया है कि औसत से 10-20 फीसदी कम वर्षा में भी अब हम, हमारे कुएँ, हमारे हैण्डपम्प और हमारे खेत हाँफने लगे हैं। उलटबाँसी यह कि निदान के रूप में हम नदियों को तोड़-जोड़-मोड़ रहे हैं। हमारे जल संसाधन मंत्रालय, हमेशा से जल निकासी मंत्रालय की तरह काम करते ही रहे हैं।
traditional water resource
हमारी नदियों को जीने दो
Posted on 26 Sep, 2015 04:28 PM

विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष


“हमारी नदियों को जीने दो” - दिल्ली उद्घोषणा में निहित इस अपील के साथ गत् वर्ष सम्पन्न हुए प्रथम भारत नदी सप्ताह को एक वर्ष पूरा हो चुका, किन्तु क्या इस एक वर्ष के दौरान अपील पर ध्यान देने की कोई सरकारी-गैर सरकारी समग्र कोशिश, पूरे भारत में शुरू हुई? क्या भारत की नदियों को जीने का अधिकार देने की माँग शासकीय, प्रशासनिक, न्यायिक या सामाजिक स्तर पर परवान चढ़ सकी?

क्या याद रही नदी की परिभाषा


नदी सप्ताह के दौरान देश भर के नदी कार्यकर्ताओं, अध्ययनकर्ताओं और विशेषज्ञों ने मिलकर नदी को परिभाषित करने की एक कोशिश की थी। श्री अनुपम मिश्र ने ठीक कहा था कि इंसान की क्या हैसियत है कि वह नदी को परिभाषित करे; इसीलिये नदी की परिभाषा, निष्कर्षों के कुछ टुकड़ों के जोड़ के रूप में आई
Hindon river
राष्ट्रीय यमुना नदी महोत्सव की तैयारी शुरू
Posted on 21 Sep, 2015 10:18 AM
तिथि : 13, 14, 15 नवम्बर 2015
स्थान : सरस्वती घाट, इलाहाबाद
आयोजक : ग्लोबल ग्रीन्स


यमुना नदी महोत्सव में नदी संवाद, यमुना के लिये दौड़, प्रतियोगिता, कवि सम्मेलन तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। कार्यक्रम में इलाहाबाद स्थित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, स्थानीय, विद्यार्थी तथा सांसद एवं भोजपुरी के नामी कलाकार श्री मनोज तिवारी आदि को भी आमंत्रित करने की योजना है। कार्तिक मास में गंगा-यमुना संगम की नगरी इलाहाबाद, एक राष्ट्रीय यमुना नदी महोत्सव का गवाह बनेगी। यमुना के नाम पर सम्भवतः यह राष्ट्र स्तरीय पहला यमुना नदी महोत्सव होगा। महोत्सव, तीन दिन तक चलेगा। स्थानीय गैर-सरकारी संगठन ‘ग्लोबल ग्रीन्स’ ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। वह संस्था के भीतर अलग से एक ‘यमुना प्रकोष्ठ’ बनाएगी।

प्रस्तावित राष्ट्रीय यमुना नदी महोत्सव में नदी संवाद, यमुना के लिये दौड़, प्रतियोगिता, कवि सम्मेलन तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। कार्यक्रम में इलाहाबाद स्थित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, स्थानीय, विद्यार्थी तथा सांसद एवं भोजपुरी के नामी कलाकार श्री मनोज तिवारी आदि को भी आमंत्रित करने की योजना है।

संस्था के सचिव संजय पुरुषार्थी द्वारा दी जानकारी के अनुसार, महोत्सव के लिये बाकायदा सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है।
Global greens
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