अरुण तिवारी
युद्ध और शान्ति के बीच जल - भाग तीन
Posted on 06 Apr, 2018 06:53 PM
(प्रख्यात पानी कार्यकर्ता श्री राजेन्द्र सिंह के वैश्विक जल अनुभवों पर आधारित एक शृंखला)
आत्मघाती टर्की, दबंग इज़रायल और बेपानी फिलिस्तीन
आज टर्की-सीरिया-इराक विवाद ने शिया-सुन्नी और आतंकवादी त्रासदी का रूप भले ही ले लिया हो, शुरुआती विवाद तो जल बंटवारा ही रहा है। टर्की कहता है कि अधिक योगदान करने वाले को अधिक पानी लेने का हक है। सीरिया और इराक कह रहे हैं कि उनकी ज़रूरत ज्यादा है। अतः उन्हे उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी मिलना चाहिए। टर्की का दावा है कि इफरीटिस नदी में आने वाले कुल पानी में 88.7 प्रतिशत योगदान तो अकेले उसका ही है। वह तो कुल 43 प्रतिशत पानी ही मांग रहा है।
युद्ध और शान्ति के बीच जल - भाग दो
Posted on 23 Mar, 2018 02:38 PM(प्रख्यात पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह के वैश्विक जल अनुभवों पर आधारित एक शृंखला)
सीरिया, दुष्काल के चंगुल में
20 से 25 अक्टूबर, 2015 को टर्की के अंकारा में संयुक्त राष्ट्र संघ का एक सम्मेलन था। यह सम्मेलन, रेगिस्तान भूमि के फैलते दायरे को नियंत्रित करने पर राय-मशविरे के लिये बुलाया गया था। चूँकि, अलवर, राजस्थान के ग्रामीणों के साथ मिलकर तरुण भारत संघ इस विषय में कुछ सफल कर पाया है; लिहाजा, मुझे वहाँ की नोट स्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
युद्ध और शान्ति के बीच जल
Posted on 20 Mar, 2018 06:11 PMप्रख्यात पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह के वैश्विक जल अनुभवों पर आधारित एक शृंखला
विश्व जल दिवस, 22 मार्च 2018 पर विशेष
यह दावा अक्सर सुनाई पड़ जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध, पानी को लेकर होगा। मुझे हमेशा यह जानने की उत्सुकता रही कि इस बारे में दुनिया के अन्य देशों से मिलने वाले संकेत क्या हैं? मेरे मन के कुछेक सवालों का उत्तर जानने का एक मौका हाल ही में मेरे हाथ लग गया। प्रख्यात पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह, पिछले करीब ढाई वर्ष से एक वैश्विक जलयात्रा पर हैं। इस यात्रा के तहत वह अब तक करीब 40 देशों की यात्रा कर चुके हैं। यात्रा को 'वर्ल्ड पीस वाटर वाॅक' का नाम दिया गया है। मैंने राजेन्द्र सिंह से निवेदन किया और वह मेरी जिज्ञासा के सन्दर्भ में अपने वैश्विक अनुभवों को साझा करें और वह राजी भी हो गए। मैंने, दिनांक 07 मार्च, 2018 को सुबह नौ बजे से गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के कमरा नम्बर 103 में उनसे लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं राजेन्द्र सिंह जी से हुई बातचीत के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश
इस वक्त जो मुद्दे अन्तरराष्ट्रीय तनाव की सबसे बड़ी वजह बनते दिखाई दे रहे हैं, वे हैं - आतंकवाद, सीमा विवाद और आर्थिक तनातनी। निःसन्देह, सम्प्रदायिक मुद्दों को भी उभारने की कोशिशें भी साथ-साथ चल रही हैं। स्वयं को राष्ट्रवादी कहने वाली ताकतें अपनी सत्ता को निवासी-प्रवासी, शिया-सुन्नी, हिन्दू-मुसलमान जैसे मसलों के उभार पर टिकाने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में यह कथन कि तीसरा विश्व युद्ध, पानी को लेकर होगा; आगे चलकर कितना सही साबित होगा?
उल्लंघन करे, सो असभ्य
Posted on 12 Mar, 2018 02:04 PMअदालतों ने नदियों को लेकर कई अच्छे आदेश दिए, लेकिन उनकी पालना कराने हेतु जिम्मेदार एजेंसियाँ नाकारा साबित
पालन करे, सो प्रज्ञजन
Posted on 12 Mar, 2018 01:39 PMभारतीय संस्कृति में नदी के प्रति उचित व्यवहार करने हेतु जहाँ एक ओर दण्ड का प्रावधान है, वहीं दूसरी ओर नदी
नदी चाहत जस व्यवहार
Posted on 12 Mar, 2018 01:20 PMव्यापक सन्दर्भों में यह माना गया है कि प्रत्येक जीव का निर्माण पंचतत्वों के योग से होता है। अतः जीव की जीव
नदिया-गुणिया एकधन
Posted on 12 Mar, 2018 12:41 PMनदी को जीवित का दर्जा दिए जाने का मतलब है, उसे वे सभी अधिकार दे देना, जो किसी जीवित प्राणी के होते हैं। नद
नदी-नाम सम्बन्ध
Posted on 12 Mar, 2018 12:27 PMएक दूसरी कथा के अनुसार, गाधिराज की पुत्री और ऋषि ऋचीक की पत्नी सत्यवती अपने पति का अनुसरण करते हुए स्वर्ग
सेव गंगा, गिरिराज, ट्रुथ एंड नाॅन वायलेंस पर विमर्श
Posted on 11 Mar, 2018 06:17 PMचम्पारण तथा खेड़ा सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर बीती जनवरी-फरवरी के दौरान वह महाराष्ट्र में गंगा, गिरिराज, सत्य और अहिंसा यात्रा का आयोजन कर चुकी हैं। पानी हवा, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए गंगा, हिमालय तथा गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तथा पश्चिम घाटों के संरक्षण को वे ज़रूरी मानती हैं। वह चेताती हैं कि भारत की महान नदियों को मरते देख यदि हम चुप बैठे, तो प्रकृति माँ हमें माफ़ नहीं करेगी। भावी पीढ़ी हमारी भर्त्सना करेगी, सो अलग। अतः आवश्यक है कि हम स्वयं को आधुनिक धृतराष्ट्र न बनने दें।
अवसर : दाण्डी मार्च वर्षगाँठ
तिथि : 12 मार्च, 2018
स्थान : गाँधी दर्शन, राजघाट, नई दिल्ली
समय : सुबह 10.30 बजे से दोपहर बाद 4.30 बजे तक
आयोजक : सेव गंगा मूवमेंट (पुणे), गाँधी दर्शन एवं स्मृति समिति, नई दिल्ली तथा कस्तूरबा गाँधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट एवं अन्य।
गाँधी दर्शन के आलोक में जल सत्याग्रह
भारत की आज़ादी के लिए जन-जनार्दन को एकजुट करने और ब्रिटिश सत्ता को जनता की सत्ता की ताक़त बताने के लिए महात्मा गाँधी ने कभी दाण्डी मार्च किया था।
नाद स्वरे नदी नाम
Posted on 11 Mar, 2018 03:59 PMवैज्ञानिक दृष्टि से गौर करने लायक तथ्य यह है कि यदि नदी का पानी अपनी गति खो बैठे, तो उसका पानी सड़ने लगता