अमरनाथ
पुनर्वास अधिकारी के खिलाफ दलित/आदिवासी उत्पीड़न का मुकदमा
Posted on 31 Jan, 2017 11:13 AM
नर्मदा विस्थापितों का आन्दोलन उस समय दिलचस्प मोड़ पर आ गया जब अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निरोधक कानून के अन्तर्गत पुनर्वास अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी गई।
नमामि गंगे कार्यक्रम में भी पीपीपी मॉडल को उपलब्धि मानता है मंत्रालय
Posted on 05 Jan, 2017 12:16 PMमंत्रालय ने गंगा अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति
परमाणु संयंत्र के खिलाफ हैं ग्राम सभाएँ
Posted on 12 Dec, 2016 11:52 AMराजस्थान के थार मरुस्थल के बीस प्रतिशत भूभाग से ही सात लाख म
सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखाकर सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाया
Posted on 10 Dec, 2016 11:30 AMसर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2000 और 2005 के निर्णयों में खेती योग्य उपयुक्त जमीन का आवंटन,
आम लोगों से प्राकृतिक संसाधनों को छीनकर कारपोरेट को दिया जा रहा है - मेधा पाटकर
Posted on 04 Dec, 2016 02:38 PMबाँध, बराज और तटबन्ध किसी समस्या के समाधान नहीं हैं। वे समस्य
केन्द्रीय टीम ने माना बिहार को भारी नुकसान
Posted on 17 Nov, 2016 10:21 AMबिहार में इस साल चार चरणों में बाढ़ आई। जुलाई में नेपाल में ब
बारिश के अभाव में बाढ़ का नजारा
Posted on 10 Nov, 2016 10:51 AM
इस बार बिहार की बाढ़ अजीब थी। राज्य के हर हिस्से में बाढ़ आई, लेकिन राज्य के किसी भी हिस्से में सामान्य से अधिक वर्षा नहीं हुई थी। बाढ़ पूरी तरह पड़ोसी राज्यों में हुई वर्षा की वजह से आई थी। बिहार के कुछ जिलों में यह कमी पचास प्रतिशत से अधिक रही। लेकिन नेपाल, झारखण्ड और मध्य प्रदेश में हुई वर्षा की वजह से यहाँ चार चरणों में बाढ़ आई। कई जगह तो बारिश की कमी की वजह से खेत परती पड़े थे, खेती नहीं हुई थी। कुछ सम्पन्न किसानों ने नलकूपों के सहारे खेती की थी कि बाढ़ आ गई और फसल डूब गई। यह सामान्य बाढ़ नहीं थी।
पड़ोसी राज्यों में हुई वर्षा से आई बाढ़ से हुए नुकसानों का जायजा लेने केन्द्रीय टीम आज तक नहीं आई है। नुकसानों के बारे में बिहार सरकार ने आकलन किया है और 22 सितम्बर को ही अपना ज्ञापन केन्द्र को सौंप दिया। उस आकलन के अनुसार बिहार में बाढ़ से लगभग 4112 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
नदियों को उनका अधिकार वापस देना होगा-राजेन्द्र सिंह
Posted on 01 Nov, 2016 11:58 AMनदी संवाद यात्रा -2
कमला के तट पर बड़ा शहर है। झंझारपुर यह मिथिलांचल की राजनीति का केन्द्र भी है। यहाँ जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने ‘नदियों के अधिकार’ का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि नदियों की विनाशलीला से बचने और नदियों को सूखने से बचाने के लिये उनका अधिकार वापस लौटाना होगा।
नदी क्षेत्र का विस्तार उसकी मूल धारा से लेकर वहाँ तक होता है, जहाँ तक उसका पानी जाता है। इस अति बाढ़ प्रवण और बाढ़ प्रवण क्षेत्र में कायदे से कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए और अगर अनिवार्य हो तो ध्यान रखना चाहिए कि नदी के स्वाभाविक प्रवाह में अड़चन न आए। परन्तु लोगों ने उन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। इसे रोकना और हटाना होगा।