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चालीस हजार से अधिक ग्राम जल स्वच्छता समितियां गठित
Posted on 23 Sep, 2008 08:10 PM
समिति में शत-प्रतिशत सदस्यता महिलाओं को /ग्वालियर/ 23 अप्रैल 08/ समग्र स्वच्छता अभियान के तहत प्रदेश में अब तक 40 हजार से अघिक ग्राम जल स्वच्छता समितियों का गठन किया जा चुका हैं। समितियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें सभी सदस्य महिलाएं हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रूस्तम सिंह ने बताया कि राज्य शासन ने ग्राम जल स्वच्छता समितियों में महिलाओं की शत-प्रतिशत भागीदारी इसलिए सुन
स्वच्छता का महत्व
Posted on 23 Sep, 2008 08:05 PM
राजेश जैन/ पानीपत/30 सित07/ स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वच्छता का विशेष महत्व है। स्वच्छता अपनाने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और एक स्वस्थ राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। अत: हर व्यक्ति को जीवन में स्वच्छता अपनानी चाहिए और अन्य लोगों को भी इसके लिए पेरित करना चाहिए। यह बात जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के प्रशिक्षक श्री बी.पी.रावल ने समालखा में नेहरू युवा केन्द्र व ग्रामीण शिक्षा प्
केन्द्रीय जल आयोग
Posted on 23 Sep, 2008 07:11 PM

केन्द्रीय जल आयोग देश के भीतर जल संसाधन के क्षेत्र में एक मुख्य तकनीकी संगठन है और यह बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, नौसंचालन, पेयजल आपूर्ति तथा जल विद्युत विकास के लिए सम्बन्धित राज्य सरकारों के परामर्श से पूरे देश में जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण और उनके उपयोग के लिए योजनाएं शुरू करने, समन्वय करने तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सामान्य रूप से जिम्मेदार है।

केंद्रीय जल आयोग
जल संसाधन मंत्रालय
Posted on 23 Sep, 2008 06:57 PM

सिंचाई और विद्युत’ विषय का इतिहास बहुत पहले 1855 से शुरू होता है जब इस विषय का दायित्व उन दिनों नवनिर्मित लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया था लेकिन 1858 में गंभीर अकाल पड़ने पर सिंचाई और तत्सम्बन्धी नीति में तेजी आई थी। तब एक बड़े पैमाने पर नहर निर्माण का काम हाथ में लेने का निर्णय लिया गया तथा त्वरित विशाल निर्माण कार्य पर निगाह रखने के लिए नहर महानिरीक्षक की नियुक्ति की गई। देश के भीतर सिंचाई स

जब पूरा गांव ही बन गया भगीरथ
Posted on 23 Sep, 2008 04:54 PM

सामूहिक प्रयास कैसे बियाबान में फूल खिला सकते हैं, यह देखना है तो आपको एक बार कन्नौज के उदैतापुर गांव जाना पड़ेगा। राजा भगीरथ गंगा को धरती पर लाए, तो उनका प्रयास मुहावरा बन गया। अब पूरे गांव ने मिलकर पानी का संकट दूर किया, टंकी खड़ी की और घरों तक पाइपलाइन डाल दी। वह भी सरकार से एक पैसा लिये बिना। छोटा-सा यह गांव उन लोगों को रोशनी दिखाता है, जो खुद कुछ करने के बजाय भगवान या सरकार भरोसे बैठे रहते

श्रीपद्रे- एक परिचय
Posted on 23 Sep, 2008 02:17 PM

श्रीपद्रे केरल में वानी नगर के निवासी पद्रे का जन्म 10 नवम्बर 1955 में हुआ था। वैसे तो श्रीपद्रे पेशे से एक किसान हैं, लेकिन वे शिक्षा जगत के एक बहु प्रतिभाशाली व्यक्तित्व भी हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र के जल संकट से निपटने के लिए हमारी पारंपरिक जल व्यवस्था का मोल समझा और पिछले कईं सालों से इस पारंपरिक ज्ञान का प्रचार- प्रसार करने में जुटे हुए हैं। श्रीपद्रे ने वर्षाजल संग्रहण पर अब तक छह किताब

श्रीपद्रे
भूमि एवं मृदा
Posted on 23 Sep, 2008 12:31 PM

भूमि क्या है ?

soil
टाइल लाइन डालने की पद्धतियॉ
Posted on 23 Sep, 2008 12:12 PM
टाइल लाइन डालने की विभिन्न पद्धतियॉ है। किसी भी पद्धति को अपनाने से पूर्व क्षेत्र की जल निकास समस्या, स्थाई निर्गम तथा भूमि के ढाल का ज्ञान होना आवश्यक है। आवश्यकतानुसार निम्नलिखित पद्धतियों में सें कोई भी अपनाई जा सकती है।
फसल विविधीकरण अपनाने हेतु भूमिगत जल-निकास
Posted on 23 Sep, 2008 11:50 AM

उत्तराखण्ड मे जल मग्न क्षेत्र उधम सिंह नगर एवं हरिद्वार जिले के कुछ भागो मे पाया जाता है। इन क्षेत्रो में भूमि जल स्तर पौधों की जड़ो की गहराई के ऊपर होता है (जलमग्नता) अथवा वर्ष की कुछ अवधियों, जैसे वर्षा ऋतु में ऊपर हो जाता है, वहाँ भूमिगत हवा का अभाव हो जाता है, जिसके कारण जड़े अच्छे ढंग से पोषक तत्व ग्रहण नहीं कर पाती हैं और पौधों की वृद्धि में बाधा पड़ती है। भूमि जल को निकालने तथा इस अतिरिक

tile drainage
रुफटोप वर्षा जल संचयन : कैसे करें
Posted on 23 Sep, 2008 11:33 AM

छत पर प्राप्त वर्षा जल का भूमि जलाशयों में पुनर्भरण निम्नलिखित संरचनाओं द्वारा किया जा सकता है।

1. बंद / बेकार पड़े कुंए द्वारा
2. बंद पड़े/चालू नलकूप (हैंड पम्प) द्वारा
3. पुनर्भरण पिट (गङ्ढा) द्वारा
4. पुनर्भरण खाई द्वारा
5. गुरुत्वीय शीर्ष पुनर्भरण कुँए द्वारा
6. पुनर्भरण शिफ्ट द्वारा

गुरुत्वीय शीर्ष पुनर्भरण कुँए द्वारा

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