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गुरु जल संयंत्र (परमाणु ऊर्जा विभाग) कोटा राजस्थान
Posted on 08 Oct, 2008 09:15 PMजल संरक्षण, बेकार पानी में कमी, सीवेज शोधन और पौधा रोपणहिंडाल्को इंडस्ट्रीज़, रेनुकूट, सोनभद्र, यूपी: समुदाय आधारित जल प्रबंधन
Posted on 08 Oct, 2008 07:48 PMहिंडाल्को के रेनुकूट संयंत्र में एक जल प्रबंधन परियोजना चलाई जा रही है जिसका लक्ष्य इस पहाड़ी क्षेत्र के ३० गांवों को फ़ायदा पहुंचाना है। इस इलाके में करीब 65% आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुज़र बसर करती है। परियोजना के तहत बाहर से पानी लाकर 2500 एकड़ से अधिक ज़मीन की सिंचाई की व्यवस्था की गई जिससे करीब 4165 लोगों को फ़ायदा हुआ। इसी तरह बारिश के पानी के संरक्षण के माध्यम से 8600 एकड़ ज़मीन की सिंचाई करिलायंस एनर्जी, दहानु, महाराष्ट्र; समुदाय आधारित जल संरक्षण प्रबंधन
Posted on 08 Oct, 2008 07:44 PMरिलायंस एनर्जी के कोयला आधारित दहानु ताप विद्युत स्टेशन (डीटीपीएस)से मुंबई में बिजली की आपूर्ति की जाती है। दहानु अरब सागर से लगा हुआ आदिवासी बहुल क्षेत्र है। 185 गांवों वाले इस इलाके की आबादी ३ लाख से अधिक है। इस इलाके में बारिश खूब होती है लेकिन उसे इकट्ठा करने की सुविधाओं की कमी है। समुद्र तटीय इलाका होने के कारण यहां के लोग खारे पानी से जुड़ी हुई समस्याओं से भी जूझते रहते हैं। कंपनी ने रोटरी कहिंडाल्को इंडस्ट्रीज़, मूरी , झारखंड: संरक्षण, उत्सर्जन शोधन और पुनर्चक्रण
Posted on 08 Oct, 2008 07:40 PMएल्युमीनिया के उत्पादन में पानी का बहुत अधिक इस्तेमाल होता है। विषैले उत्सर्जन और ग्रीन हाउस गैसों माध्यम से इसका पर्यावरण पर गहरा असर होता है। ऐसे में पानी के इस्तेमाल और अन्य उत्सर्जन में कमी के किसी भी प्रयास को प्रोत्साहित करना चाहिए। हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ ने उत्पादन प्रक्रिया और अपनी टाउनशिप मूरी में इस्तेमाल होने वाले पाने के पुनर्चक्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके साथ ही कंपनी ने आस-पास केजल संरक्षण और अपशिष्ट जल प्रबंधन के कारपोरेटी प्रयास
Posted on 08 Oct, 2008 07:32 PMचूंकि कंपनियां पानी की सबसे बड़ी उपयोगकर्ता और उत्सर्जक हैं। ऐसे में भारत में पानी और सफ़ाई की स्थिति में कंपनियों की निर्णायक भूमिका है। खासतौर इस समय की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास के संदर्भ में इस पक्ष का महत्व और बढ़ गया है। कंपनियों की गतिविधियों का पर्यावरण और संसाधनों पर पड़ रहे असर की आलोचनात्मक परख के साथ-साथ यह भी ज़रूरी है कि पर्यावरण के नज़रिए से कंपनियों के ज़िम्मेदाइंटेग्रेटिड वाटर एण्ड वेस्ट वाटर मेनेजमेंट पर राष्ट्रीय कॉंफ्रेंस
Posted on 06 Oct, 2008 12:03 PMइंटेग्रेटिड वाटर एण्ड वेस्ट वाटर मेनेजमेंट पर राष्ट्रीय कॉंफ्रेंस(IWMA 2008)(45वीं वार्षिक कॉंफ्रेंस IAEM )
डॉ. Triguna सेन सभागार, एलुमिनि एसोसिएशन हॉल
जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता - 700 032
इंडियन एसोसिएशन फॉर इंवायर्नमेंटल मेनेजमेंट (IAEM)
NEERI, नागपुर के एसोसिएशन में
स्कूल ऑफ वाटर रिसोर्स इंजीनियरिंग (SWRE) जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता
सेनिटेशन पर तीसरा दक्षिण एशियाई सम्मेलन
Posted on 06 Oct, 2008 11:36 AMसेनिटेशन पर तीसरा दक्षिण एशियाई सम्मेलन, नई दिल्ली में 16 से 21 नवम्बर 2008 को , आयोजित किया जा रहा है. 18-21 नवंबर 2008 के मुख्य सम्मेलन से पहले दो दिन (16-17 नवम्बर 2008) को क्षेत्र दौरों की योजना बनाई गई है.कागज़ात जमा करने के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त की जा सकती है: पेपर प्रस्तुति विवरण
पानी की फिक्र : दस मई से पहले धान की नर्सरी नहीं
Posted on 04 Oct, 2008 08:02 AMजैसे-जैसे औद्योगिक इकाइयों की तादाद, किसानों में नकदी फसल उगाने आदि से भूजल का दोहन तेज हुआ है। इसके चलते बहुत से इलाके बिल्कुल सूख गए हैं। वहां जमीन से पानी खींचना नामुमकिन हो गया है। अनेक क्षेत्रों में जल्दी ही ऐसी स्थिति पैदा होने की आशंका जताई जाने लगी है। भूजल संरक्षण के लिए कुछ राज्य सरकारें छिटपुट उपाय तो करती नजर आती हैं, मगर संकट के मुकाबले यह बहुत कम है। दिल्ली सरकार ने कुछ साल पहले न