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नदी मुख अथवा लघु खाड़ियों की खोज
Posted on 21 Sep, 2008 08:06 PMनदीमुख वे स्थान होते हैं जहां ताजे पानी की नदियां और धाराएं समुद्र के पानी से मिलती हुई महासागरों में गिरती हैं। विभिन्न प्रकार के पक्षी, मछली तथा अन्य वन्य जातियां इन नदी मुखों को अपना आवास बनाती हैं। इन नदी मुखों तथा इसके आसपास की भूमि पर जनता निवास करती है, मछलियां पकड़ती हैं, तैरती है और प्रकृति का आनंद उठाती है।
जल नीति राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बननी चाहिये
Posted on 21 Sep, 2008 07:37 PMप्रोफेसर रासा सिंह रावत अजमेर के सांसद हैं। कहते हैं कि जब मैं छोटा था तो अजमेर में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनो ही ओर का मानसून आता था। लेकिन वनों के कटने और रेगिस्तान के विस्तार के कारण वनस्पति का अभाव हो गया। परिणामस्वरुप अजमेर भी मारवाड़ व मेवाड़ की तरह अकाल की चपेट में आ गया। वर्षाभाव की वजह से तालाब सूख गये। राजस्थान सरकार ने अब तय किया है कि अजमेर जिले के गाँवों को भी बीसलपुर का पानी
पूर्वी कलकता रामसर
Posted on 21 Sep, 2008 06:52 PMसंसार के कस्बों और शहरों के सामने प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले बेकार पानी से निपटने की समस्या एक प्रमुख समस्या है। इस बेकार पानी का या तो अत्यधिक लागत वाली पारंपरिक जल उपचार प्रक्रियाओं से उपचार किया जाता है या फिर इसे उपचारित किए बिना नदियों अथवा दूसरी जलीय इकाईयों में बहने दिया जाता है। ताजे पानी की सीमित उपलब्धता और चिरस्थायी बढती हुई मांग के कारण वेकार पानी का उपचार किया जाना अब अनिवा
हम नदी के रास्ते को साफ रखें
Posted on 21 Sep, 2008 06:45 PMमुंशी राम बिजनौर के जुझारू सांसद हैं। वे अपने जिले की जल समस्याओं से न केवल परिचित हैं, बल्कि उसका समाधान भी सुझाते हैं कि अगर नदी के रास्ते को साफ रखा जाये तो बाढ़ की समस्या सुलझ सकती है। वे नदी के अधिशेष जल को सूखा ग्रस्त इलाकों में ले जाने की भी वकालत करते हैं। लेकिन वे इंगित करते हैं कि लिफ्ट करके पानी को दूसरी जगह पहुँचाना उचित नहीं है, हमें नदी के सहज गुरुत्वाकर्षण को प्रयोग में लाना चाहि
केनगलपलिया उप वाटरशैड-कोराटगेरी तालुका
Posted on 21 Sep, 2008 06:14 PMबंडिंग गतिविधियों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना-मेरागोंडानागुनी एमडबल्यूएस/मेरागोंडानागुनी स्थित केनगनपलिया उपवाटरशैड के सूक्ष्म वाटशेड की बंडिंग गतिविधियां आरंभ में बहुत धीमी थीं। इसके बावजूद एजी के अंतर्गत ही एक दल का गठन करने के लिए क्षेत्र के समूह के सदस्यों को एक युक्ति के बारे में बताकर कार्य आरंभ करने के लिए कहा गया। तदनुसार, यकदकट्टेहल्ला एजी के पांच सदस्य आगे आभारत-बंग्लादेश समस्या जैसी जल समस्या
Posted on 21 Sep, 2008 05:44 PMखीरी संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधि, समाजवादी पार्टी के सांसद देश के सुलझे हुये विचारवान सांसदों में से हैं। वे नेपाल की नदियों से होने वाले संभावित खतरे के प्रति न सिर्फ सतर्क हैं बल्कि संसद को भी आगाह करते रहे हैं। उनके नजरिये से भारत के पाकिस्तान समस्या मूलत: जल समस्या है।
बिहार की बाढ़
Posted on 21 Sep, 2008 05:20 PMबाढ़ से पूर्ण मुक्ति के लिये ''नदी मुक्ति आंदोलन'' शुरु किया है, परंतु राजनेता व तटबंध ठेकेदारों द्वारा निरंतर रोढ़े डाले जाने की वजह से यह बहुत अधिक सफल नहीं हो पाया है। नदी मुक्ति आंदोलन सभी तटबंधों को हटाने व नदी को 1954 पूर्व की अवस्था पर लाने की माँग करता है। हम शोधकर्ता, नीति निर्माता व सरकार को इस मुद्दे से अवगत कराते हैं और आम जनता को शिक्षित करते हैं कि तटबंध बाढ़ समस्या का समाधान नहीं
संरक्षित ग्रामीण जल प्रबंधन
Posted on 20 Sep, 2008 01:06 PMप्रतिदर्श अध्ययन/ ललित शर्मा , जय सहगल, एलोरा मुबाशिर/ सहगल फाउन्डेशन, गुड़गांव/ - यह दस्तावेज ग्रामीण जल प्रबंधन से संबंधित ग्राहयता के तत्वों पर प्रकाश डालता है, किंतु इसमें शोध के माध्यम से मशीनरी की तकनीकी ग्राहयता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जल प्रबंधन संरचना की असफलता अक्सर तलछट प्रबंधन की डिजाईन की कमी के कारण होती है। एक आदर्श
त्वरित जल परीक्षण किट
Posted on 20 Sep, 2008 10:53 AMरक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला-रअप्र ने त्वरित जल प्ररीक्षण इकाई 'गुंज' का निर्माण किया है। गुंज दुर्गम क्षेत्रों मे निवास कर रहे लोगों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि इन क्षेत्रों मे स्वच्छ पेय जल की अनुपलब्धता रहती है। ऐसे क्षेत्रों में जल-जनित रोगों से छुटकारा पाने के लिये पेयजल की गुणवत्ता की जाँच आवश्यक है। जल-जनित रोग जन-स्वास्थ्य के लिये बहुत ही घातक हैं। कोई भी अल्प शिक्षित व्यक्ति अपने स
जल जनित रोग और सावधानियाँ
Posted on 20 Sep, 2008 08:38 AMजल या पानी अनेक अर्थों में जीवनदाता है। इसीलिए कहा भी गया है। जल ही जीवन है। मनुष्य ही नहीं जल का उपयोग सभी सजीव प्राणियों के लिए अनिवार्य होता है। पेड़ पौधों एवं वनस्पति जगत के साथ कृषि फसलों की सिंचाई के लिए भी यह आवश्यक होता है। यह उन पांच तत्वों में से एक है जिससे हमारे शरीर की रचना हुई है और हमारे मन, वाणी, चक्षु, श्रोत तथा आत्मा को तृप्त करती है। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते। शरीर में