गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
आओ! नदियों को बचाएँ
यदि नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोका नहीं गया तो लगभग 1500-2000 वर्ष बाद भारत नदी विहीन देश होगा। आधुनिकता के युग में पूर्वजों की चेतावनियों को मनुष्य ने अनसुना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप पतितपावनी गंगा सहित अन्य नदियों का पावन जल कलुषित और प्रदूषित हो गया है। कई नदियाँ विलुप्ति के सन्निकट हैं और कुछ का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। 
Posted on 19 Dec, 2023 12:57 PM

मानव सभ्यता का विकास नदियों के तट पर हुआ। नदियों को मानव ने जल स्रोत और जीवनोपयोगी साधन जुटाने का माध्यम बनाया। सिंधु घाटी की सभ्यता, नील नदी घाटी सभ्यता से लेकर अद्यतन मानव और जीव-जंतुओं का जीवन का आधार भी नदियाँ ही हैं। यह परिवहन और कृषि कार्य के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं। जिस प्रकार माँ अपनी संतान का पालन-पोषण करती है, उसी प्रकार नदियाँ भी मानव सहित अनेक प्राणियों के लिए जीवनदात्री हैं। नदी क

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