राजु कुमार
समग्र स्वच्छता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें सिर्फ शौचालय निर्माण की बात नहीं है, बल्कि गाँव को आदर्श बनाने की बात है, जहाँ सड़कों पर गोबर, गन्दगी, कचरा नहीं हो, गाँव में घुसते ही घूरे का अम्बार नहीं दिखाई दे, साफ पानी की व्यवस्था हो। भोपाल में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में उक्त बातें मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मन्त्री गोपाल भार्गव ने कही।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के बारे में साझा समझ विकसित करने, प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर समुदाय आधारित स्वच्छता सम्बन्धी प्रयासों एवं अनुभवों को साझा करने, प्रदेश में स्वच्छता के लक्ष्यों को पाने की स्थिति का आंकलन करने, स्वच्छता के लक्ष्य प्राप्ति में आने वाली चुनौतियों को समझने और स्वच्छता के लक्ष्य प्राप्ति के लिए भावी रणनीति तय करने के लिए मध्यप्रदेश में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने किया। कार्यशाला में मन्त्री, वरिष्ठ अधिकारी, विकास एजेंसियों के प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ, जिला एवं विकासखण्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला एवं विकासखण्ड स्तर के कार्यक्रम अधिकारी, त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि और गाँव में लोगों को जागरूक करने वाले प्रेरक शामिल हुए।
मुख्य अतिथि श्री भार्गव ने कहा कि तमाम प्रयासों और प्रेरणा के बावजूद हम लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। आज भी खुले में शौच जाने वालों की संख्या लगभग 74 फीसदी है। जन जागरूकता की कमी आज भी बनी हुई है। हमें व्यवस्था को बेहतर बनाने और समुदाय को जागरूक करने की जरूरत है। इस कार्य के लिए राशि की कोई समस्या नहीं है और राज्य सरकार इसमें आने वाली चुनौतियों को खत्म करने के लिए हर स्तर पर नीतिगत बदलाव के लिए तैयार है।
तमाम प्रयासों और प्रेरणा के बावजूद हम लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। आज भी खुले में शौच जाने वालों की संख्या लगभग 74 फीसदी है। जन जागरूकता की कमी आज भी बनी हुई है। हमें व्यवस्था को बेहतर बनाने और समुदाय को जागरूक करने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि पेयजल एवं स्वच्छता मन्त्रालय, भारत सरकार की सचिव श्रीमती विजयलक्ष्मी जोशी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को हमें व्यापक संदर्भों में देखना है। यह सिर्फ शौचालय निर्माण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि समुदाय की आदतों एवं व्यवहार में बदलाव लाने का कार्यक्रम है। अगर ग्रामीण सामूहिक रूप से मल के सुरक्षित निष्पादन की जरूरत एवं महत्व को समझ पाएँ, तो गाँव को खुले में शौच से मुक्त कराना कोई मुश्किल काम नहीं है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश की अपर मुख्य सचिव डॉ. अरुणा शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि विभाग द्वारा प्रदेश में कई कार्यक्रम और योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है, पर स्वच्छता कार्यक्रम सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। मध्यप्रदेश सरकार ने तय किया है कि 2018 के अन्त तक प्रदेश के 22,813 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त कराया जाएगा और स्वच्छ गाँव विकसित किए जाएंगे। मध्यप्रदेश राज्य कार्यक्रम अधिकारी, स्वच्छ भारत मिशन श्रीमती हेमवती बर्मन ने कहा कि एक साझा मंच पर रणनीति बनाना ज्यादा सार्थक है।
कार्यशाला में ‘‘स्वच्छ एम.पी.’’ वेबसाइट और यूनिसेफ और एम.पी. टास्ट (मध्य प्रदेश टेक्निकल असिस्टेंट सपोर्ट टीम) के सहयोग से प्रकाशित स्वच्छता पर विभिन्न पुस्तिकाओं को लोकार्पित किया गया। मध्यप्रदेश के हरदा जिला, राजस्थान के बीकानेर जिला और पश्चिम बंगाल के नादिया जिला के स्वच्छता अभियान की प्रक्रियाओं एवं सफलताओं को साझा किया गया। मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती ने मध्यप्रदेश में शाला स्वच्छता पर प्रस्तुति दी। समुदाय आधारित स्वच्छता तकनीक के बारे में फीडबैक फाउण्डेशन के श्री अजय सिन्हा ने प्रतिभागियों को बताया। यूनिसेफ एवं एम.पी. टास्ट ने अपनी भूमिका को लेकर प्रस्तुति दी। कार्यशाला के अन्तिम सत्र में चुनौतियों एवं उसके समाधान पर चर्चा की गई और भावी रणनीति तय कर समय सीमा में लक्ष्यों की पूर्ति के साथ कार्यशाला का समापन किया गया।
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