राजस्थान पत्रिका, 07 मार्च 2016
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्वच्छ भारत मिशन की ओर एक कदम और आगे बढ़ाते हुए मुसुरपुट्टा गाँव को खुले में शौच से मुक्त करने की अनोखी पहल की गई है। यहाँ एक निगरानी समिति बनाई गई है, जो शौच के लिये बाहर जाने वालों पर नजर रखती है। इतना ही नहीं, उन्हें जब भी ऐसा कोई नजर आता है, तो सीटी बजाने लगते हैं। इस पहल का असर भी दिखने लगा है। लोग अपमानजनक स्थिति से बचने के लिये जारूक होते जा रहे हैं। इसके लिये समिति बनाई गई है। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं।
गाँव की जागरूक छवि
मुसुरपुट्टा ग्राम पंचायत को पूर्व से ही आदर्श ग्राम तथा नरहरपुर विकासखंड का दूसरा शौच मुक्त ग्राम होने का गौरव प्राप्त है। इसे बरकरार रखने को अभी भी वही जूनून और जोश ग्रामीणों में नजर आता है। ग्रामीण लाभा रामकोमा, शिवराम, कुमार साहू, छोटू अरकरा, लखन साहू, झाडूराम, उमेश साहू, रामेश्वर, शोरी, फूलचंद पदुम सहित आदि ने कहा कि सभी इस गौरव को बनाए रखने में पूरी तरह प्रयासरत हैं।
जुर्माने का भी प्रावधान
उपसरपंच भुवन भारती व पंच पुरुषोत्तम निषाद ने बताया कि गाँव में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि खुले में शौच जाने वालों पर 1000 रुपए का जुर्माना किया जाएगा, साथ ही शासकीय योजनाओं जैसे मनरेगा, स्मार्ट कार्ड, पेंशन योजनाएँ व सरस्वती साइकिल आदि के लाभ से भी वंचित रखा जा सकता है।
घर-घर शौचालय
वैसे तो मुसुरपुट्टा गाँव में 400 से भी ज्यादा मकान हैं। इनमें से लगभग 150 घरों में तो पहले से ही शौचालय थे। वहीं लगभग 250 घरों में शौचालय नहीं थे। पहले तो घर-घर शौचालय का निर्माण करने पर जोर दिया गया और जब शासन ने ओडीएफ ग्राम घोषित कर दिया है तो सभी को यह बताया गया कि सफाई के चलते ऐसा निर्णय लिया जा रहा है। सभी ग्रामवासियों ने इस निर्णय के लिये आम सहमति दे दी।
जागरूक होना समय की मांग
स्वच्छता के लिये जागरूक होना समय की माँग है। यह बहुत अच्छी पहल है। इसका आस-पास के अन्य ग्राम पंचायत भी अनुसरण करेंगी। यदि योजना सफल होती है तो मुसुरपुट्टा को पुरस्कार देने पर विचार किया जा सकता है।
- चंदन कुमार, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी
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