प्रमोद मक्कड़
पी.एच.डी. चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने भारतीय सी.एस.आर. ग्रुप के साहचर्य में नई दिल्ली स्थित लक्ष्मीपत सिंघानिया आॅडिटोरियम में 6 फरवरी, 2015 को भारतीय स्वच्छता शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। सामाजिक तथा काॅर्पोरेट दोनों सेक्टरों से पधारे प्रतिष्ठित महानुभावों ने इस अवसर पर स्वच्छता तथा सम्बद्ध विषयों, जैसे शौचालय तथा इनके सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष पर अपने विचार रखे।
सम्मेलन में कर्नाटक सरकार के माननीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मन्त्री श्री एच.के पाटिल मुख्य अतिथि थे।
इस अवसर पर सुलभ स्वच्छता एवं सामाजिक सुधार-आन्दोलन के संस्थापक डाॅ. बिन्देश्वर पाठक को स्वच्छता के क्षेत्र में उनके अप्रतिम योगदान के लिए माननीय मन्त्री श्री पाटिल तथा हिन्दुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड के श्री मातियो रीजी के कर-कमलों से ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्रदान किया गया। अन्य कई योग्य व्यक्तियों तथा कम्पनियों को भी अवार्ड दिए गए।
न्यूयाॅर्क के मैडिसन स्क्वेयर में प्रधानमन्त्री श्री मोदी के भाषण के बाद हमें अब लगता है कि हम भारतीयों को भी अब कुछ करना होगा। जिस प्रकार हम मुक्ति के लिए चिन्तन-मनन की बात करते हैं, वैसे ही हमारा नया नारा होना चाहिए ‘मुक्ति के लिए स्वच्छता’।
इस अवसर पर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सी.एस.आर. ग्रुप के सह-संस्थापक डाॅ. राणा सिंह ने कहा कि स्वाधीनता-प्राप्ति के पश्चात भारत अनेक सामाजिक मुद्दों का निष्पादन करता रहा है, फिर भी हमारे सामने कई नई चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिनका हमें सामना करना है। इनमें एक अत्यन्त प्रमुख मुद्दा है देश के सभी नागरिकों को स्वच्छता सुविधा उपलब्ध कराना।
आगंतुक महानुभावों का स्वागत करते हुए इण्डिया सी.एस.आर. ग्रुप के संस्थापक निदेशक श्री रुसेन कुमार ने कहा कि आज स्वच्छता के विषय पर जानकार तथा सम्मान्य अतिथिगण सम्मेलन को सम्बोधित करने के लिए उपस्थित हैं।
माननीय श्री एच.के. पाटिल, डाॅ. बिन्देश्वर पाठक, श्री तुषार गाँधी (महात्मा गाँधी के प्रपौत्र), दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के विशेष पदाधिकारी श्री अजय चौधरी, आई.पी.एस. स्वामी चिदानन्द सरस्वती तथा श्री मातियो रीजी ने दीप-प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत का परिदृश्य बदल रहा है। हमें अपनी सोच में तब्दीली लानी होगी। उन्होंने डाॅ. बिन्देश्वर पाठक को शौचालय-क्रान्ति का भीष्म पितामह बताया। उन्होंने कहा कि न्यूयाॅर्क के मैडिसन स्क्वेयर में प्रधानमन्त्री श्री मोदी के भाषण के बाद हमें अब लगता है कि हम भारतीयों को भी अब कुछ करना होगा। जिस प्रकार हम मुक्ति के लिए चिन्तन-मनन की बात करते हैं, वैसे ही हमारा नया नारा होना चाहिए ‘मुक्ति के लिए स्वच्छता’।
श्री अजय चौधरी ने अपने भाषण में इस बात पर चिन्ता जताई कि हाथों से मानव-मल की सफाई के निषेध के लिए कानून होते हुए यह अभी भी देश के कई राज्यों में प्रचलित है। उन्होंने कहा कि तथाकथित निम्न वर्ग की महिलाओं को उच्च वर्ग के लोगों द्वारा प्रयोग किए जा रहे कुओं से पानी नहीं लेने दिया जाता।
श्री मातियो रीजी ने कहा कि हिन्दुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड स्वच्छता, स्वास्थ्य तथा शिक्षा से सम्बद्ध परियोजनाओं पर कार्यरत है। वर्ष 2019 तक सभी के लिए शौचालय उपलब्ध कराए जाने की प्रधानमन्त्री की घोषणा से उत्प्रेरित होकर कम्पनी सतत विकास की दिशा में सक्रिय है।
डाॅ. सुरेश गोयल (पी.एच.डी. चेम्बर) ने इस बात पर दुःख प्रकट किया कि हमारे देश में सभी के लिए शौचालय उपलब्ध नहीं है, अचरज इस बात पर होता है कि कुछ शौचालय वाले घरों के लोग भी खुले में शौच करते हैं।
श्री अजय चौधरी ने अपने भाषण में इस बात पर चिन्ता जताई कि हाथों से मानव-मल की सफाई के निषेध के लिए कानून होते हुए यह अभी भी देश के कई राज्यों में प्रचलित है।
श्री तुषार गाँधी ने कहा कि शौचालय में फ्लश करने के बाद हम मल के विषय में निश्चिन्त हो जाते हैं। हमें पर्यावरण की कोई सुध-बुध नहीं होती। महात्मा गाँधी ने गाँवों में स्वच्छता की योजना सोची थी। गड्ढे वाले शौचालय के सम्बन्ध में उनकी धारणा अपने में सही थी, ‘टट्टी पर मिट्टी’।
माननीय श्री एच.के. पाटिल ने कहा कि यह बड़ी चिन्ता की बात है कि प्रत्येक 20 सेकण्ड में स्वच्छता के अभाव के चलते एक बच्चे की मृत्यु, खास कर गरीब परिवारों में, हो जाती है। भारत प्रजातान्त्रिक देश है, शहर हो या देहात, हर नागरिक को पेयजल का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 तक कर्नाटक खुले में शौच से पूर्णतः मुक्त हो जाएगा। उन्होंने स्नानघर के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला, जिसके अभाव में स्त्रियों को खुले में स्नान करना पड़ता है। राज्य में शौचालय-सह-स्नानागार बनाए जा रहे हैं। मन्त्री महोदय के इस सुझाव का कि एन.जी.ओ. तथा अन्य एजेंसियाँ गाँवों को अंगीकार करें तथा उन्हें खुले में शौच से मुक्त बनाएँ, सम्मेलन के प्रतिभागियों ने स्वागत किया।
इस अवसर पर सभा को सम्बोधित करते हुए डाॅ. बिन्देश्वर पाठक ने कहा कि वह महात्मा गाँधी के अनुयायी रहे हैं, उनके विचार और दर्शन सदा संगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि अर्जित ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण दिमाग लगाना होता है। सुलभ आन्दोलन प्रारम्भ करने के बाद अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए डाॅ. पाठक ने बताया कि पहले शौचालय की बात करना भी बुरा माना जाता था। उन्होंने एक अंग्रेज महिला की कहानी सुनाई, जो भारत आना चाहती थी, किन्तु स्वच्छता सुविधा के अभाव की सूचना मिलते ही उन्होंने अपना कार्यक्रम बदल लिया।
साभार : सुलभ इण्डिया फरवरी 2015
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