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स्वच्छता
मेंटेनेंस फ्री है बायो-डायजेस्टर टॉयलेट
Posted on 03 Oct, 2014 03:40 PMनई दिल्ल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत’ अभियान की शुरुआत के मौके पर नई दिल्ली के मंदिर मार्ग पर जिन बायो-डायजेस्टर शौचालयों का उद्घाटन किया है। उनमें विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इनमें मल को शत-प्रतिशत खत्म करने की क्षमता के साथ यह मेंटेनेंस फ्री हैं। खास बात यह है कि इन्हें नदियों के किनारे, गांव-शहर कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। यह पूरी तरह से ईको फ्रेंडली हैं।शर्म है कि आती नहीं..
Posted on 03 Oct, 2014 03:09 PMहम लोग अपने घरों को साफ-सुथरा रखने के प्रति चिंतित रहते हैं जबकि सासैनिटेशन ग्रीन रेटिंग पर स्कूलों को मिलेंगे पुरस्कार
Posted on 03 Oct, 2014 01:32 PM सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी ने कहा कि हमें स्कूलिंग से ही छात्रोदेश भर में चली स्वच्छता की झाड़ू
Posted on 03 Oct, 2014 10:48 AMमहाराष्ट्र, यूपी, बिहार, दिल्ली सहित देश भर में शुरू हुआ अभियान स्कूली बच्चों सहित तमाम सियासी दिग्गजों ने ली स्वच्छता की शपथ अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में सांसदों और गृह मंत्री ने भी की सफाईनरेंद्र मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों ने गुरुवार को अपने दफ्तरों और आवासीय इलाके में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए हर सप्ताह कम से कम दो घंटे काम करने का वचन लिया। केंद्र सरकार के प्रत्येक विभाग ने आज महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर अपने कर्मचारियों को शपथ दिलाने के लिए व्यापक बंदोबस्त किया था।
कहां सुधरी सफाईकर्मियों की हालत?
Posted on 03 Oct, 2014 09:57 AMचेन्नई में 24 मई 2003 और 17 अक्टूबर 2008 के बीच 17 सीवर कर्मचारियों की मौत, मैनहोलों या गटर की सफाई करते समय गंदी जहरीली गैस चढ़ने से हो गई। सफाई कर्मचारियों की ट्रेड यूनियनों का कहना है कि यह गिनती पिछले दो दशकों में 1,000 के नजदीक पहुंचती है।
मशहूर भारतीय फिल्मकार सत्यजित रे ने अपनी एक फिल्म अमेरिका में प्रदर्शित की तो पहले शो में ही बहुत से अमेरिकी फिल्म बीच में ही छोड़कर आ गए क्योंकि सत्यजीत रे ने फिल्म के एक सीन में भारतीय लोगों को हाथों से खाना खाते हुए दिखाया था जिसे देखकर उन्हें वितृष्णा होने लगी थी।
‘स्वच्छ भारत मिशन (2014-19)’ के महाअभियान का शपथपत्र 2, अक्तूबर, 2014
Posted on 02 Oct, 2014 11:02 AMस्वच्छता शपथ
महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी। महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्त्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें। मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।
हर वर्ष 100 घंटे यानि हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान कर के स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा। मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा। सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूंगा।
स्वच्छता अभियान के साथ कचरा प्रबंधन भी जरूरी है
Posted on 02 Oct, 2014 10:24 AMप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। इस मौके पर वह देशवासियों को स्वच्छता की शपथ भी दिलाएंगे। शपथ की कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं, महात्मा गांधी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जो न केवल स्वतंत्र बल्कि साफ सुथरा और विकसित हो, अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम देश को साफ सुथरा रखकर भारत माता की सेवा करें.....मैं स्वच्छता के प्रति समर्पित रहूंगा और इसकी खातिर समय दूंगा.......न मैं गंदगी फैलाऊंगा और न किसी को फैलाने दूंगा।
गांधी जी का सफाई पर बहुत जोर था वह इसके लिए किसी का इंतजार नहीं करते थे बल्कि खुद साफ-सफाई के काम में जुट जाते थे। अपने आश्रम में शौचालय भी वह स्वयं ही साफ करते थे। उनका यह वाक्य बहुत मशहूर हुआ था कि ‘‘अगर उन्हें भारत का लाट साहब बना दिया जाए तो वह सबसे पहले वाल्मीकि समुदाय की गंदी बस्तियों को साफ करना पसंद करेंगे।’’ सफाई से उनका यह मतलब बिल्कुल नहीं था कि कचरा एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाए। बल्कि उनके लिए सफाई का अर्थ कचरे का निपटान और उसका सही उपयोग था।
गांधी का स्वच्छ भारत
Posted on 02 Oct, 2014 10:01 AMमहात्मा गांधी भारत को स्वच्छ बनाना चाहते थे। लेकिन ऐसा हो न सका और अब महात्मा के उसी पथ पर चलने का बीड़ा उठाया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने।मौका था बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के स्थापना दिवस का। 47 साल के गांधी को तब बापू की उपाधि नहीं दी गई थी। बीचयू के स्थापना दिवस के मौके पर वह मंच पर बैठे थे। उनके साथ मंच पर ऐनी बेसेंट, पंडित मदन मोहन मालवीय और दरभंगा महाराज जैसी कई हस्तियां मौजूद थीं।
सामने कई राजा महराजा और प्रबुद्ध वर्ग के लोग बैठे हुए थे। अब मंच से लोगों को संबोधित करने की बारी मोहनदास करम चंद गांधी की थी। सभी को उम्मीद थी कि बीएचयू के स्थापना दिवस पर वह शिक्षा के विषय पर बोलेंगे लेकिन उन्होंने जो बोला उसे सुनकर वहां बैठे सभी लोग हैरान रह गए।