साक्षात्कार

Term Path Alias

/sub-categories/interviews

‘नदियों ने मनुष्य की चेतना और सभ्यता को इस मुकाम तक पहुँचाया’
Posted on 07 Sep, 2009 06:38 AM

(सुप्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब से प्रेम कुमार के साक्षात्कार का यह अंश हम ‘नया ज्ञानोदय’ के मार्च 2004 के अंक से साभार प्रकाशित कर रहे हैं। -सम्पादक)
प्रेम कुमार:- समुद्र तटों पर सभ्यता के विकास को आप किस दृष्टि से देखते हैं?
'नरेगा से पीछे हटना संभव नहीं'
Posted on 03 Jul, 2009 08:24 PM

अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफ़ेसर ज़्यां द्रेज़ से बातचीत

पैसा दो शौचालय जाओ
Posted on 02 Jul, 2009 04:34 PM

चार दशक पहले जब बिंदेश्वर पाठक ने शौचालय पद्धतियों में बदलाव लाने के लिए काम शुरू किया था, तो लोगों में कई तरह की आशंकाएं थीं. आज उनका संगठन सुलभ इंटरनेशनल एक ब्रांड बन चुका है. 2009 का स्टॉकहोम वाटर प्राइज पाने वाले पाठक से भरत लाल सेठ ने उनके संगठन की कार्यप्रणाली पर बातचीत की, प्रस्तुत है उसके अंश:

सुलभ की सफलता की कहानी
कोलिन चार्टर से जलसंकट पर बातचीत
Posted on 29 Jun, 2009 09:42 PM

“पानी”, जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात, जहाँ एक तरफ़ पानी धरती के प्राकृतिक संतुलन और सुरक्षा को बनाए रखने के लिये आवश्यक है, वहीं समूची जीव-जन्तु-मानव प्रजाति के लिये भोजन और कपड़े सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये भी जरूरी है। आज पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण जल स्रोतों पर नष्ट होते पर्यावरण की काली छाया गहराने लगी है। पत्रकार अशोक शर्मा ने इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट
पानी का कोई विकल्प नहीं
Posted on 21 Jun, 2009 05:58 PM

जल-मल निस्तारण एवं सफ़ाई पर जिम्बाब्वे में प्रसारित एक इंटरव्यू…

WSSCC नामक संस्था की जल-मल निस्तारण एवं स्वास्थ्य संयोजक, नोमा नेसेनी से बुसानी बफ़ाना का लिया हुआ एक साक्षात्कार, जिसमें उन्होंने जिम्बाब्वे में जारी “सफ़ाई कार्यक्रम” एवं उसके क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं के बारे में बताया…
जल संरक्षण हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है - संजय देशपांडे
Posted on 28 Feb, 2009 01:20 PM
डी.एस. कुलकर्णी समूह के सह प्रबंध निदेशक श्री संजय देशपाण्डे से भारतीय पक्ष ने वर्षा जल संरक्षण को लेकर उनकी भावी योजनाओं और दृष्टि के बारे में बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश-

प्रश्न : आपको अपार्टमेंट में जल संरक्षण तंत्र लगाने की प्रेरणा कहां से मिली? यह केवल एक व्यावसायिक नीति का परिणाम है या इसमें कुछ सामाजिक सोच भी है?

उत्तर : जल संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। यह केवल व्यावसायिक नीति नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक जिम्मेदारी भी है। देश के अनेक भागों में पानी की बढ़ती मांग और घटती उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन चुकी है। मैं स्वयं महाराष्ट्र
प्रत्येक स्तर पर हो जल संरक्षण
Posted on 21 Feb, 2009 07:03 AM
-रवि शंकर, भारतीय पक्ष

श्रीमती सविता गोखले (सचिव, अर्थकेयर फाउंडेशन) पर्यावरण प्रेमियों में एक जाना-माना नाम है। एक सफल व्यवसायी होने के बाद भी श्रीमती गोखले ने पानी की समस्या हेतु काम करना प्रारंभ किया। वे अर्थ केयर फाउंडेशन की कर्ताधर्ता हैं।
फ़रहाद कॉण्ट्रेक्टर
Posted on 15 Feb, 2009 02:32 AM

एक कर्मठ शिष्य, एक “जल-दूत” हैं


एक पुस्तक किस प्रकार किसी व्यक्ति का समूचा जीवन, उसकी सोच, उसकी कार्यक्षमता और जीवन के प्रति अवधारणा को बदल सकती है, उसका साक्षात उदाहरण हैं गुजरात के फ़रहाद कॉण्ट्रेक्टर, जिन्हें उनकी विशिष्ट समाजसेवा के लिये “संस्कृति अवार्ड” प्राप्त हुआ है और जिनकी कर्मस्थली है सतत सूखे से प्रभावित राजस्थान की मरुभूमि। फ़रहाद जब भी कुछ कहना शुरु करते हैं, वे उस पुस्तक का उल्लेख करते हैं, सबसे पहले उल्लेख करते हैं, अपने कथन के अन्त भी उसी पुस्तक के उद्धरण देते हैं। बीच-बीच में वे पुस्तक के बारे में बताते चलते हैं, कि किस प्रकार कोई पुस्तक किसी को इतना प्रभावित कर सकती है।

well
जल और सफाई बुनियादी जरूरतें - सुबिजॉय दत्ता
Posted on 13 Feb, 2009 01:49 PM

“जल और सफाई आदमी की बुनियादी जरूरतें हैं। विकास के इस दौर में, बढ़ती जनसंख्या के लिए भारत के सभी गावों, शहरों में सेहत पर बुरा असर डालने वाले सभी कारणों से बचने के लिए टिकाऊ पानी और सफाई व्यवस्था होनी जरूरी है।“

 

-सुबिजॉय दत्ता


सुबिजॉय इन्वायरमेंट इंजीनियर हैं जो 1980 से ही भारत और अमेरिका में ‘सोलिड वेस्ट और पानी’ के मुद्दे पर काम कर रहें हैं। एक साफ-सुथरी यमुना के लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने सन् 2000 में मेरीलैंड में “यमुना फाउण्डेशन फॉर ब्लू वॉटर” की शुरुआत की। सुबिजॉय भारत में सिलचर के अलावा

×